-स्कूल गेट पर हैंड सैनेटाइज व थर्मल स्क्रीनिंग के बाद बच्चों को एंट्री
-बच्चों के स्कूल पहुंचने से महीनों से बंद क्लासों में लौटी रौनक
बरेली: कोरोना काल में अब तक घर पर ही ऑनलाइन स्टडी के बोझ तले दबे बच्चों के लिए फर्स्ट सेप्टेंबर खुशियों की सौगात लेकर आई। डेढ़ साल बाद स्कूल ओपन होने पर मानों उन्हें पंख लग आए। इतने लंबे समय तक घर की चाहरदीवारी में कैद बच्चे वेडनेसडे को जब स्कूल पहुंचे तो ऐसा लगा जैसे वह उड़ने को बेताब हों। पेरेंट्स के साथ आए बच्चे सबसे पहले तो अपना स्कूल देखकर ही चहक उठे। गेट पर ही अपने साथ के बच्चों को देखकर तो मानों उनकी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। स्कूल गेट पर खड़े पेरेंट्स भी बच्चों की खुशी पर खुश नजर आए और अपने लाड़लों की सुरक्षा को लेकर उनके दिलों में, चेहरों पर जो घबराहट थी वह भी छूमंतर हो गई। बच्चों की इस खुशी से स्कूलों में लंबे समय पसरा सन्नाटा तो टूटा ही, स्कूल परिसर भी खुशियों से महक उठा।
अलर्टनेस के साथ स्कूल पहुंचे बच्चे
शहर के कांवेंट स्कूलों में पहले से ही इस दिन को लेकर विशेष तैयारियां चल रही थी। बच्चों की सुरक्षा के लिए स्कूल परिसर के साथ ही क्लास रूम्स और वॉश रूम्स को भी सैनेटाइज किया जा रहा था। इसके साथ ही परेंट्स को भी कोविड गाइड लाइन को लेकर अवेयर किया जा रहा था। इसी का नतीजा रहा कि वेडनेसडे को बच्चे पूरी अलर्टनेस के साथ ही स्कूल पहुंचे। स्कूल मैनेजमेंट की ओर से बच्चों के लिए मास्क, हैंड सैनेटाइज और सोशल डिस्टेंसिंग फॉलो कराने की व्यवस्था पहले ही तैयार रही। स्कूल गेट पर बच्चों के हैंड सैनेटाइज के बाद उन्हें क्लास रूम में जाने दिया गया। क्लास में भी बच्चों के बीच सोशल डिस्टिेंसिंग फॉलो कराई गई और उन्हें लंच व पानी शेयर नहीं करने दिया गया।
सीसीटीवी कैमरों से निगरानी
प्राइवेट स्कूलों में कोविड प्रोटोकॉल को फॉलो कराने के लिए सीसीटीवी कैमरों का भी सहारा लिया गया। इसके जरिए क्लास में बच्चों की एक्टिविटीज पर नजर रखी गई। जिन बच्चों ने मास्क उतारा तो उन्हें इस पर टोका गया और मास्क पहनाया गया। इसी तरह बच्चों के लंच शेयर करने पर भी नजर रखी गई। सेक्रेड हार्ट्स स्कूल की प्रिंसिपल ने बताया कि बार-बार हर क्लास में जाकर बच्चों को नहीं देखा जा सकता, इसमें सीसीटीवी कैमरे खासे मददगार साबित हो रहे हैं।
परिषदीय स्कूलों में सिर्फ औपचारिकता
परिषदीय स्कूल भी वेडनेसडे से ओपन हो गए, लेकिन यहां बच्चों की उपस्थिति और व्यवस्थाओं को लेकर सिर्फ औपचारिकता ही पूरी हुई। अधिकांश स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति न के बराबर रही। कुछ स्कूलों में चंद बच्चे ही पहुंचे तो, कई स्कूलों में स्टाफ बच्चों की राह ही तकता रहा। ऐसा नहीं था कि उन्होंने बच्चों को बुलवाने का प्रयास नहीं किया, पर उनके पेरेंट्स ने ही इसमें रुचि नहीं दिखाई। जिन स्कूलों में कुछ बच्चे पहुंचे तो उनका यहां स्वागत हुआ और बच्चों ने भी अपने टीचर्स के चरण स्पर्श कर ही क्लास रूम में प्रवेश किया।
ओवरलोड हुआ कंपोजिट स्कूल जसौली
बेसिक शिक्षा परिषद के अधिकांश स्कूलों में पहले दिन जहां बच्चों की उपस्थिति न के बराबर रही, लेकिन शहर में ही एक स्कूल ऐसा भी रहा जो बच्चों की उपस्थिति से ओवरलोड हो गया। यह स्कूल रहा किला क्षेत्र का कंपोजिट विद्यालय जसोली। जब से इस स्कूल को उद्योगपति शकील कुरैशी ने संवारा है, तब से ही यहां एडमिशन को लेकर होड़ मची है। इसका नतीजा वेडनेसडे को यहां देखने को मिला। स्कूल में सुबह समय से पहले ही बच्चों और उनके पेरेंट्स की भीड़ जुट गई। क्लास खुलते ही बच्चे मास्क और सोशल डिस्टिेंसिंग भी भूल गए। बच्चों की इतनी बड़ी संख्या में संभालना स्टाफ के लिए भी सिरदर्द बन गया।
स्कूल से मायूस भी लौटे बच्चे
सरकार के आदेश पर वैसे तो वेडनेसडे को अधिकांश स्कूलों में प्राइमरी क्लासेस ओपन हो गई, पर कुछ स्कूल ऐसे भी रहे जिन्होंने बच्चों को एंट्री ही नहीं दी। हरुनगला स्थित चाइल्ड केयर बिशप कोनराड स्कूल में वेडनेसडे प्राइमरी क्लासेस ओपन नहीं हुई। यहां पेरेंट्स के साथ पहुंचे बच्चों को गेट से ही वापस लौटा दिया। बड़े ही उत्साह के साथ लंबे समय बाद स्कूल यूनीफार्म में सज-धजकर पहुंचे बच्चों के चेहरों पर इससे मायूसी छा गई।