BAREILLY : सरकारी तंत्र की अदूरदर्शिता के रोज नए उदाहरण देखने को मिलते हैं। इसी फेहरिस्त में इस बार ड्रेस डिस्ट्रीब्यूशन स्कीम का उदाहरण जुड़ गया है। प्राइमरी व जूनियर हाईस्कूल के बच्चों को को सर्व शिक्षा अभियान के तहत बांटी जाने वाली स्कूल यूनिफॉर्म अब तक नहीं मिली है, जबकि वेडनसडे को उसकी लास्ट डेट निकल गई। दरअसल इस योजना का पूरा रुपया ही डिस्ट्रक्ट को नहीं मिल पाया।

राज्य सरकार ने नहीं भेजा पूरा रुपया

सर्व शिक्षा अभियान के तहत होने वाले स्कूल ड्रेस वितरण के लिए 7भ् फीसदी बजट केंद्र सरकार जबकि बाकी ख्भ् प्रतिशत रुपया राज्य सरकार वहन करती है। इस सेशन ब्0,फ्70 स्टूडेंट्स को यूनिफॉर्म बांटे जाने का टारगेट था। इसके लिए बजट का 7भ् फीसदी रुपया क्9 सिंतबर तक केंद्र सरकार द्वारा भेज दिया गया, लेकिन राज्य सरकार द्वारा ख्भ् फीसदी बजट की पहली किस्त ही भेजी गई है, जो ख्भ् सिंतबर को प्राप्त हुई। पूरा बजट न होने से ट्यूजडे तक मात्र फ्ख्7 स्कूलों में यूनिफॉर्म बंटी जो पूरे वितरण का केवल साढ़े दस फीसदी है।

रुपए के अनुसार नहीं हुआ काम

पूरा बजट ना आने के मुद्दे को अगर दरकिनार भी कर दिया जाए तो ड्रेस वितरण में झोल नजर आता है। गौरतलब है कि पूरे बजट का 7भ् फीसदी से अधिक रुपया आ गया था तो इस लिहाज से उपलब्ध बजट के अनुपात में काम हो जाना चाहिए था। लेकिन क्ब् अक्टूबर तक काम की प्रगति केवल दस फीसदी ही है। इस मामले में बीएसए चंद्रकेश यादव कहते हैं कि टेलरों को ड्रेस सिलने के लिए दे दी गई है। बीच में दशहरा की छुट्टियां पड़ने से वितरण काम में देरी हुई है।