Driver uncle rules follow करो

आपका लाडला स्कूली बस में कितना सेफ है। इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि बीते साल 30 स्कूली बसों का ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ने चालान किया था। बस ड्राइवर्स के पास न तो डीएल था और न ही पूरे पेपर। इसके अलावा कुछ तकनीकि खराबियां भी मिलीं। यहां स्कूली बसों का संचालन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक नहीं हो रहा था। इस वजह से उनका चालान किया गया था। ऐसी लापरवाही करने में स्कूली कैब भी पीछे नहीं हैं। कैब में रोजाना क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाया जाता है।

नियम को ठेंगा

यूं तो कई बसें बच्चे को स्कूल से घर और घर से स्कूल पहुंचाने में लगी है लेकिन स्कूली कैटगरी में रजिस्टर्ड बसों की संख्या 340 है। इन बसों के सहारे ही पैरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल भेज रहे हैं। ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के मुताबिक रूटीन चेकिंग के दौरान स्कूली बसों की जांच की जाती है। गड़बड़ी मिलने पर उनका चालान कर दिया जाता है। रूटीन चेकिंग में बसों के पेपर, डीएल, एंश्योरेंस, फिटनेस, परमिट और पॉल्यूशन सहित तमाम पेपर की जांच की जाती है। इसके अलावा स्कूल बस की चेकिंग में सुप्रीम कोर्ट के रूल्स का भी पूरा ध्यान रखा जाता है।

कैब भी पीछे नहीं

प्रजेंट टाइम में कई स्कूली कैब सड़कों पर दौड़ रही हैं। नियम के मुताबिक इन कैब में 5 या 6 बच्चों को बैठाना चाहिए लेकिन चालक ज्यादा कमाई के चक्कर में अधिक बच्चों को बैठा लेते हैं। शहर में कई बार दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। डिपार्टमेंट के साथ स्कूल मैनेजमेंट को भी इस ओर ध्यान देना होगा। नहीं तो नतीजा गंभीर होगा।

कितने महफूज हैं बच्चे

हाल ही में अम्बाला में हुए एक्सीडेंट में 13 स्कूली बच्चे की मौत हो गई थी, कई घायल हो गए थे। इसके बाद हरियाणा में स्कूल बसों की चेकिंग शुरू हुई लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। ऐसे में यहां कितनी बसें नियम से चल रही हैं और बच्चे कितने सुरक्षित हैं? इसका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है।

-स्कूल बसें पीले रंग पेंटेड होनी चाहिए।

-'सावधान बच्चे हैंÓ, बस के पीछे जरूर लिखा होना चाहिए।

-बसों की खिड़कियां ग्रील से ढकी होनी चाहिए।

-बस की फिटनेस सही हो और ब्रेक लगते ही बैक लाइट जले।

-हेडलाइट और इंडिकेटर भी वर्किंग मोड में हो।

-बस का पायदान भी बच्चों के कद के अनुसार हो।

-बस में फस्र्ट ऐड की सुविधा जरूर हो।

-फायर इस्टिंग्यूसर भी होना चाहिए।

बसों का हुआ चालान

समय-समय पर स्कूली बसों की ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट की ओर से चेकिंग की जाती है। बीते साल चेकिंग के दौरान 30 बसों का चालान किया गया था। उनसे जुर्माना भी वसूला गया। जिन्होंने जुर्माना नहीं दिया उन बसों को सीज कर लिया गया। चेकिंग के दौरान स्कूल बसों के लिए जारी सुप्रीम कोर्ट के रूल्स पर भी ध्यान दिया जाता है।

टाइम टु टाइम स्कूल बस और कैब की चेकिंग की जाती है। नियम के अनुसार नहीं चलने वाली बसों का चालान भी किया जाता है।

-शिव पूजन त्रिपाठी, आरटीओ

Checking में पकड़ीं drivers की कमियां

सड़क पर रहें अलर्ट

1-7 जनवरी तक ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट की ओर से चलाए गए आई चेकअप कैंप में कुछ ऐसे ही तथ्य सामने आए हैं। 540 ड्राइवर्स के आई चेकअप के दौरान 27 ड्राइवर्स को चश्मा लगाने की सलाह दी गई है। आई चेकअप कैंप ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ने सड़क सुरक्षा सप्ताह के अन्तर्गत लगाया था। लोगों को सड़क पर अलर्ट होकर चलने की हिदायत दी जा रही है, ताकि किसी तरह की मिसहैपिन्ग न हो। चेकअप के दौरान 27 ड्राइवर्स की आंखों में प्रॉब्लम पाई गई। इसका मतलब यह हुआ कि कई ऐसे ड्राइवर्स भी स्टेयरिंग संभाल रहे हैं जिन्हें ठीक से दिखाई नहीं देता है। ऐसे में पैसेंजर्स की जान खतरे में है। यह भी कहा जा रहा है कि अगर 540 ड्राइवर्स से ज्यादा का चेकअप होता तो यह संख्या और बढ़ सकती थी।

129 वाहनों के स्टैंड गैस कटर से काटे

सड़क सुरक्षा सप्ताह के दौरान करीब 760 गाडिय़ों को पॉल्यूशन सर्टिफिकेट दिया गया। इस दौरान पॉल्यूशन लेवल की जांच की गई, जिन वेहिकल्स से पॉल्यूशन पार्टिकल कम निकल रहे थे। उन्हें पॉल्यूशन सर्टिफिकेट दिया गया। वहीं सैटरडे को सैटेलाइट, चौपुला और बदायूं में करीब 129 वाहनों के स्टैंड गैस कटर से काटे गए। इस बारे में ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के आरआई डीके सिंह ने बताया कि आई चेकअप कैंप में डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के डॉक्टर्स की हेल्प ली गई थी। जिन ड्राइवर्स की आंखों में कमियां पाई गईं उन्हें आंखें ठीक करवा कर दोबारा डिपार्टमेंट के सामने पेश होने के लिए कहा गया है। दोबारा उपस्थित होने पर उनकी आंखें सही पाई जाएंगी तो उन्हें वाहन चलाने की इजाजत दी जाएगी।