-- अपर नगर आयुक्त को सौंपी गई फर्जीवाड़े की जांच
-- आरोपी की मां से भी मांगा गया एफिडेविट पर जवाब
BAREILLY: नगर निगम में फर्जी डॉक्यूमेंट्स के आधार पर नौकरी पाने वाले का पर्दाफाश हो गया है। नगर आयुक्त उमेश प्रताप सिंह ने आरोपी युवक की नौकरी रद्द कर कर दी है। नगर आयुक्त ने इस फर्जीवाड़े की जांच का जिम्मा अपर नगर आयुक्त को सौंप दिया है। वहीं पूरे मामले में नगर स्वास्थ्य अधिकारी व अपर नगर आयुक्त से लिखित में जवाब मांगा है। हालांकि फर्जीवाड़े के इस खेल में दो बाबुओं पर जांच की सुई अटकी है, जो इस पूरे घपले के मास्टर माइंड हैं। पिछले सवा महीने में निगम के स्वास्थ्य विभाग में यह दूसरा बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ में आया है, जिसे नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने उजागर किया।
आरोपी की मां से जवाब तलब
फर्जी एफिडेविट पर निगम में क्लर्क की परमानेंट पोस्ट पाने वाले आरोपी मनीष की मां से भी जवाब तलब किया गया है। वार्ड भ् में स्थाई सफाई कर्मचारी चंद्रमुखी ने एफिडेविट में परिवार में किसी और के स्थाई नौकरी में शामिल न होने की बात कही थी। नगर आयुक्त ने इसे बेहद गंभीरता से लेते हुए महिला कर्मचारी के एफिडेविट की जांच करने के निर्देश दिए हैं। वहीं मामले का खुलासा करने वाले नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ। एसपीएस सिंधु से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है। हालांकि यह मामला पुराने नगर स्वास्थ्य अधिकारी के कार्यकाल का है। बावजूद इसके डॉ। सिंधु से पद के आधार पर जवाबदेही पूछी गई है।
शक के घेरे में बाबू
निगम में मृतक कोटे में परमानेंट नौकरी के लिए हुए इस फर्जीवाड़े में जांच की सुई दो बाबुओं पर टिक गई है। इनमें से एक बाबू पर फ्यूल फ्रॉड में भी शामिल होने के आरोप लगे थे। हालांकि खुलकर नाम सामने न आने की वजह से बाबू को निगम एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से अभयदान देते हुए मृतक कोटे की जिम्मेदारी अलग से सौंप दी गई थी। अधिकारियों ने बताया कि जांच पूरी हो जाने तक फिलहाल किसी के भी खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी। वहीं सोर्सेज ने एक बार फिर से इस बाबू को जांच व कार्रवाई के दायरे से बाहर निकाले जाने की आशंका जताई है।
फाइलों व एफिडेविट की जांच के बाद मामला फर्जी पाया गया है। जिसके बाद आरोपी की नौकरी को रद्द कर दिया गया है। इसकी जांच अपर नगर आयुक्त को सौंप दी गई है। - उमेश प्रताप सिंह, नदग आयुक्त