- 21 से हिंदी नववर्ष पर शनि एवं मंगल का बनेगा दुर्लभ योग
- सभी जातकों की राशियों पर दिखेंगें शुभ-अशुभ प्रभाव
BAREILLY: चैत्र नवरात्र लोगों के लिए शुभ फलदायी होगा। नवरात्र के प्रथम दिन शनिवार से हिंदी नववर्ष का प्रारंभ हो रहा है। जिनके मेल से जातकों को शुभ फल प्राप्ति की संभावना है। जहां एक ओर जातकों पर मां की कृपा बरसेगी तो दूसरी ओर सैटरडे से प्रारंभ हो रहे नववर्ष जातकों के लिए वृद्धिकारक रहेगा। शनि की ढैय्या और साढ़ेसाती का असर वर्ष भर राशियों पर प्रभाव डालेगा। ज्योतिषाचार्यो के मुताबिक नवरात्र में जातकों द्वारा की गई आराधना से मां का आशीर्वाद शनि के प्रभाव कम करेगा।
मंगल व शनि की टकराहट
ख्क् से चैत्र नवरात्र, गुड़ी पड़वा और हिंदू नववर्ष संवत ख्07ख् का प्रारंभ हो रहा है। हिंदी संवतसर वर्ष का नाम कीलक होगा। जिसका राजा शनि एवं मंत्री मंगल पद पर आसीन है। नए वर्ष का प्रवेश लग्न कर्क है, जिसमें गुरु वक्री है। वर्ष भर राजा शनि, अपने शत्रु मंगल के स्वामित्व वाली राशि वृश्चिक में रहेगा। मंगल इस वर्ष का मंत्री भी है। जो कि विभिन्न राशियों में विचरण करता हुआ राजा शनि पर भी बुरा असर डालेगा। पं। संजय सिंह ने बताया कि राशियों पर शनि एवं मंगल का सीधा असर रहेगा। शनिवार से शुरु होगा नया वर्ष और वर्ष का स्वामी ग्रह शनि देव होंगे।
चैत्र नवरात्र का प्रारंभ
ज्योतिषाचार्य पं। राजेंद्र त्रिपाठी के अनुसार ख्क् से चैत्र मास की नवरात्र का प्रारंभ होगा। क्योंकि प्रतिपदा उत्तराभाद्रपद में दो तिथियां द्वितीया और तृतीया के मिलन से नवरात्र 8 दिन का होगा। चैत्र नवरात्र में किए गए पूजन, व्रत और उपवास से देवी मां बहुत ही जल्दी प्रसन्न होती हैं। शास्त्रों के मुताबिक शनि वृद्धिकारक व संतान दाता है। सभी राशि के कुंडली के दोष शांत करने के लिए नवरात्र में दुर्गा माता को लाल चुनरी, लाल फूल, नारियल, प्रसाद आदि अर्पित करना लाभप्रद रहेगा।
राशियों पर प्रभाव
हिंदू नववर्ष में शनि की स्थिति काफी महत्वपूर्ण रहेगी। ज्योतिषाचार्य पं.आचार्य प्रखर मिश्रा के अनुसार चैत्र मास की प्रतिपदा पर उत्तराभाद्रपद नक्षत्र का स्वामी शनि है। शनि एवं मंगल में टकराव होने से राशियों पर प्रभाव दिखाई देगा।
मेष - राशि स्वामी मंगल मंत्रीपद पर आसीन है। मेष राशि पर शनि की ढैय्या है। इसलिए जातक ठीक से निर्णय नहीं कर पाएंगे। कार्यो परेशानी, धन की कमी, अज्ञात भय व चिंता रहने की संभावनाएं है।
वृष - राशि स्वामी शुक्र का मित्र शनि है। जो शुक्र पर दृष्टि रखता है। इसलिए उत्तम फलप्राप्ति की संभावना है। पुराने समय से अटके हुए व धन संबंधी कायरें में लाभ होगा।
मिथुन - राशि स्वामी बुध है। शनि और बुध मित्रता का भाव रखते हैं। इसलिए शुभ फल देने वाला होगा। सभी परिस्थितियां अनुकूल रहने, नुकसान से रक्षा, धन लाभ व नई जिम्मेदारियां वहन करनी पड़ सकती हैं।
कर्क - शनि, राशि स्वामी चंद्र का शत्रु है। लेकिन मंगल मित्र है। मंगल की वजह से कार्य बनते जाएंगे। वर्ष की प्रबल राशियों में कर्क राशि रहेगी। जो रुके हुए कार्यो को पूर्ण और विवादों में विजय प्राप्त कराएगी।
सिंह राशि - राशि स्वामी सूर्य और शनि शत्रु है। मंगल और सूर्य मित्र हैं। जुलाई से गुरु इस राशि में प्रवेश करेगा। इस कारण राशि भी मजबूत स्थिति में आ जाएगी। आर्थिक लाभ, सामाजिक प्रतिष्ठा और शत्रुओं से रक्षा होगी।
कन्या - राशि में राहु का गोचर वर्ष भर रहेगा। राजा शनि और राशि स्वामी बुध मित्र हैं। कार्यो की बाधा समाप्त, धन लाभ और विरोधी परास्त होंगे।
तुला - शनि और तुला राशि का स्वामी शुक्र मित्र हैं। जो परेशानियों का अंत करेगा। विवाह की बाधाएं समाप्त और नौकरी में तरक्की एवं व्यापार में लाभ होगा। कोर्ट के मामलों में सफलता मिलेगी।
वृश्चिक - राशि में शनि की साढ़ेसाती है। मंगल राशि का स्वामी है। इसलिए इस राशि के जातकों पर शुभ प्रभाव पड़ेगा। रुके हुए कार्यो पूरा होंगे। वाद विवाद में सफलता मिलेगी।
धनु - राशि वर्ष सामान्य रहेगी। साढ़ेसाती का प्रभाव रहेगा। स्वास्थ्य संबंधी समस्या, आर्थिक मामलों में कमजोरी, परिवार में भी इन लोगों की स्थिति कमजोर हो सकती है।
मकर - राशि का स्वामी शनि है। शनि, शत्रु मंगल की राशि में रहेगा। लेकिन शनि की यह स्थिति मकर राशि के लिए लाभदायक रहेगी। निवेश में लाभ, विरोधी परास्त होंगे और खुशियां बनी रहेंगी।
कुंभ राशि - राशि का स्वामी शनि है। राशि पूरे वर्ष शुभ फलदायक रहेगी। कार्यो में लाभ, योजनाओं में सफलता और नुकसान की भरपाई होगी।
मीन - स्थिति सामान्य रहेगी। राशि स्वामी गुरु की दृष्टि और अगस्त से गुरु का षष्ठम में प्रवेश होने से मंगलदायक स्थिति बनेगी। आर्थिक स्थिति में मजबूती और करियर में सफलता मिलने की संभावना है।