चलो कार्ड खेलते हैं
दोपहर को करीब एक बजे का समय। मुख्य पोस्टल विभाग के सभी कर्मचारी अपनी सीट पर बैठे हुए काम कर रहे थे। कैंट एरिया में होने की वजह से कफ्र्यू का असर बहुत कम दिखा। आठ-दस की संख्या में लोग भी दिखे। लोग अपने काम करवाने के लिए काउंटर पर खड़े थे। आधे शहर में कफ्र्यू होने के वजह से आम दिनों की तरह शहर के लोग पोस्टल विभाग नहीं पहुंच सके। ऑफिस का पूरा राउंड लगाने के बाद जब एक कर्मचारी के पीसी पर नजर पड़ी तो जनाब कम्प्यूटर पर गेम खेल रहे थे। हालांकि, कैमरे का फ्लैश चमकते ही दूसरे कामों में बिजी हो लिए।
पोस्ट ऑफिस में कंप्यूटर तो खुले लेकिन कार्ड गेम खेलने के लिए.
पोस्टल विभाग में ये कर्मचारी काम में मशगूल दिखे.
यहां तो लटकते रहे ताले
विकास भवन में स्थिति अजीब थी। वहां पर कई विभाग के दरवाजे पर ताले लटक रहे था। जिला कृषि अधिकारी कार्यालय के ऑफिस के रूम नंबर एक व दो पर ताले लटक रहे थे। इस सीन को कैमरे में कैद करने की आहट होते ही एक महिला कर्मचारी बोली साहब ऑफिस खुला हुआ है, मैं आई हुई हूं। वहीं विकलांग कल्याण अधिकारी का रूम नंबर चार खुला हुआ था। जहां पर बैठे तीन कर्मचारी अपने-अपने कामों में बिजी नजर आ रहे थे।
नगर निगम में एक साथ बैठकर गपशप मेें बिताया समय।
रिलैक्स करते मिले
बिजली विभाग के अधिकारी और कर्मचारी दोपहर ऑफिस में नजर आ रहे थे। शिकायत कंट्रोल रूम में हाइडिल से संबधित शिकायतें भी कर्मचारियों द्वारा दर्ज हो रही थी। लेकिन अपनी समस्याओं को लेकर सर्किट हाउस स्थित बिजली विभाग पहुंचने वाला एक भी कंज्यूमर नहीं दिखा। हर रोज बिजली बिल जमा करने के लिए बिजली बिल काउंटर पर घंटों लाइन लगती थी। मंडे को वही काउंटर सूना दिख रहा था। सहायक अभियंता अपने केबिन में सहयोगियों के साथ बैठे थे।
ये है बिजली विभाग का ऑफिस, यहां बाहर ही टहलते रहे कर्मचारी.
जनाब के लिए बेंच बनी बेड
कलेक्ट्रेट मेन गेट से एंट्री करने पर अंदर चहल-पहल दिखी। विभागों में कर्मचारी नजर आ रहे थे। इनमें से कुछ अपने काम में बिजी दिख रहे थे। लेकिन कर्मचारियों से बात की गई तो उनका कहना था कि, कफ्र्यू के चलते पब्लिक आ नहीं रही है। कलेक्ट्रेट के सभी विभागों से होते हुए अभिलेखागार राजस्व विभाग तक पहुंचने पर एक महोदय बेंच को ही बेड बनाकर नींद में मस्त दिखे। हाल में हो रहे शोर-शराबे के बाद भी कर्मचारी की नींद नहीं टूटी। इस विभाग में किसानों की खतौनी संबंधी नकल जारी होती है।
कफ्र्यू में सरकारी दफ्तर खुले रहे लेकिन वर्क प्रेशर नहीं था तो रिलैक्स हो लिए.
नींद भी पूरी करनी जरूरी है इसलिए बेंच को ही बेड बना लिया.
चलती रही गपशप
नगर निगम कैंपस में तो कफ्र्यू जैसा नजारा दिखा। कुछ पलों में सेंट्रल हाल की ओर नजर गयी तो आठ-दस की संख्या में कर्मचारी बैठे दिखे। कर्मचारी अपनी-अपनी सीट छोड़ एक ही टेबल के पास मौजूद थे। जब पास जाकर कर्मचारियों से बात की गयी तो उनका कहना था कि, क्या किया जाए जब लोग आएं तब काम हो। वैसे भी कितने सफाई कर्मी अपने घर पर ही फंस गए है। पुलिस उन्हें आने ही नहीं दे रही है। जिसके चलते काम प्रभावित हो रहा है। नगर निगम के एक कर्मचारी ने बताया कि, 15 अगस्त को ध्यान में रखते हुए शहर की सफाई की जा रही है।
नगर निगम में एक साथ बैठकर गपशप मेें बिताया समय।
पर डीएम साहब चुप
कफ्र्यू के दौरान सरकारी ऑफिस को खोलने के पीछे डीएम अभिषेक प्रकाश की मंशा भले ही नेक हो लेकिन, शायद उनके अधीनस्थ उनके आदेश से खुश नहीं हैं। मंडे को सरकारी ऑफिसों में क्या हुआ और कफ्र्यू के दौरान पिछड़ रहे कार्यों को निपटाने में डीएम के अधीनस्थ कितने बिजी थे इस हकीकत को कैद किया आईनेक्स्ट के कैमरों ने। इसी हकीकत से डीएम अभिषेक प्रकाश से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कोई रिस्पांस नहीं दिया।