एडेड प्राइमरी संस्कृत विद्यालयों को शुरू करने का शासन ने मांगा प्रस्ताव
प्रस्ताव ने जल्द मूर्त रूप लिया तो बरेली को मिलेंगे संस्कृत प्राइमरी विद्यालय
>
BAREILLY:
दम तोड़ती संस्कृत को बचाने के लिए उप्र माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद ने कदम उठाया है। इस भाषा के उत्थान के लिए शासन ने सभी जिलों से प्राइमरी स्कूल को खोलने में आने वाले खर्च का ब्योरा मांगा है। ताकि प्राइमरी स्कूल खोले जा सकें। सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही बरेली में क्0 साल से बंद प्राइमरी स्कूल खुल सकेगा। साथ ही नए संस्कृत प्राइमरी विद्यालय भी खुल सकेंगे।
चल रहे हैं दो विद्यालय
उप्र माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद ने जो प्रस्ताव मांगा है। उसमें स्पष्ट है कि, यदि बोर्ड संबद्ध प्राइमरी इंटरमीडियट स्कूल की तर्ज पर संबद्ध प्राइमरी संस्कृत विद्यालय खोलता है तो इसमें कितना खर्च आएगा। बता दें कि अभी पूरे जिले में सिर्फ संस्कृत माध्यमिक विद्यालय ही चल रहे हैं, जिनमें म् से क्ख्वीं तक की कक्षाएं संचालित होती हैं। प्रस्ताव में अब इन विद्यालयों में ही कक्षा क् से भ् तक की क्लासेस शुरू करने की बात कही गई है।
बंद स्कूल हो सकेगा शुरू
प्रस्ताव जल्द मूर्त रूप ले लिया तो बरेली में कई नए एडेड संबद्ध प्राइमरी संस्कृत विद्यालय खुल सकेंगे। जबकि मान्यता लेने के वक्त से ही बंद चल रहा रामगंगा स्थित श्री मति जयदेवी संस्कृत माध्यमिक विद्यालय का प्राइमरी सेक्शन फिर शुरू हो सकेगा। स्कूल ने ख्00ब् में मान्यता ली, विभाग ने भी इसी स्कूल के प्राइमरी सेक्शन का ही प्रस्ताव बनाकर विभाग को भेजा है। हालांकि पूरी संभावना है कि जब ये एडेड संबद्ध प्राइमरी शुरू कर दिए जाएंगे तो नई मान्यताएं लेने की ओर लोंगों की दिलचस्पी बढ़ेगी। जिसका सीधा फायदा इस देव भाषा के उत्थान को मिलेगा।
टीचर्स की है कमी
बरेली में दो माध्यमिक संस्कृत विद्यालय है जिसमें से एक स्कूल श्री बृज मोहन लाल आयुर्वेदिक संस्कृत माध्यमिक विद्यालय, बिहारीपुर एक मात्र प्रिंसिपल के सहारे चल रहा है। इस स्कूल में सन ख्00म् में सभी टीचर्स रिटायर्ड हो गए हैं। जबकि दूसरे विद्यालय श्रीमती जय देवी संस्कृत माध्यमिक विद्यालय में भी टीचर्स की कमी है।
सहायता प्राप्त संबद्ध प्राइमरी संस्कृत माध्यमिक विद्यालय बनाने के लिए परिषद ने प्रस्ताव मांगा था। श्री मति जयदेवी संस्कृत माध्यमिक विद्यालय, रामगंगा में प्राइमरी क्लास शुरू करने में भ् टीचर्स की अनिवार्यता का प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है।
- आशुतोष भारद्वाज, डीआईओएस