- सभी कॉलेजेज बने हैं सेल्फ सेंटर

- अपने ही स्टूडेंट्स को नकल करने से कैसे रोक पाएंगे टीचर्स

BAREILLY: आरयू के मेन एग्जाम्स के पहले ही दिन सामूहिक नकल के प्रकरण ने यूनिवर्सिटी को सकते में डाल दिया। एग्जाम से पहले आरयू सेंटर फिक्स करने को लेकर कई दिनों तक माथापच्ची करता रहा। उसका दावा था कि इस बार नकल विहीन परीक्षा की बिसात तैयार की जाएगी। लेकिन नकल की पिच तो पहले ही तैयार कर ली गई थी। ऐसी पिच जिस पर गुरुजी संग स्टूडेंट्स ताबड़तोड़ बैटिंग करते नजर आए। जहां पर स्टूडेंट्स अपने ही कॉलेज में एग्जाम दें रहे हों और नकल रोकने की जिम्मेदारी वहीं के टीचर्स पर हो तो भला ऐसी व्यवस्था में चीटिंग न हो, इसकी कल्पना करना भी बेमानी है। अब आरयू के सामने सबसे बड़ी प्रॉब्लम खड़ी हो गई है कि इतने सारे एग्जाम सेंटर्स की निगरानी करें तो कैसे।

पहले ही दिन मिली सामूहिक नकल

आरयू के मेन एग्जाम मंडे से स्टार्ट हुए और पहले ही दिन सारी व्यवस्थाओं की धज्जियां उड़ गई। बहेड़ी स्थित दर्शन सिंह और चौधरी हर नाम सिंह में फ्लाइंग स्क्वॉयड ने नकल करते स्टूडेंट्स को पकड़ा। दर्शन सिंह में तो स्थिति बेहद चिंताजनक थी। जिस छात्र को नकल सामग्री के साथ पकड़ा वह प्रबंध तंत्र की धौंस जमा रहा था। बताया जा रहा है कि प्रबंध तंत्र के ही किसी एक सदस्य का वह रिश्तेदार है। यहीं पर स्क्वॉयड ने सामूहिक नकल होने की कंप्लेन भी की। स्क्वॉयड के अनुसार यहां पर ड्यूटी कर रहे कक्ष निरीक्षक स्टूडेंट्स को बोलकर ऑब्जेक्टिव क्वेश्चंस के आंसर लिखा रहे थे। सभी स्टूडेंट्स के आंसर लिखने का पैटर्न एक जैसा ही था।

सभी कॉलेज सेल्फ सेंटर

आरयू की हिस्ट्री में इस बार सबसे ज्यादा कॉलेजेज को सेंटर बनाया गया। वहीं प्राइवेट स्टूडेंट्स के भी सेंटर्स को बढ़ाकर डबल कर दिया गया। ऐसे में सेंटर फिक्स करने के लिए आरयू ने काफी समय नष्ट किया। इसके लिए उसने पैनल का गठन किया था जिसने कॉलेजेज का निरीक्षण कर सेंटर बनाने की संस्तुति की। जबकि हर वर्ष उन्हीं कॉलेजेज को सेंटर बना दिया जाता था जो पहले से ही बनते चले आ रहे थे। इस बदली व्यवस्था के बाद भी आरयू ने सभी कॉलेजेज को सेल्फ सेंटर बना दिया। टोटल क्9फ् सेंटर बनाए गए हैं। जिसमें से बरेली डिस्ट्रिक्ट में फ्क् सेंटर्स हैं। बरेली में इस बार सबसे ज्यादा सेंटर बनाए गए हैं।

बदली व्यवस्था बनी बड़ा हथियार

बदली व्यवस्था ही स्टूडेंट्स के नकल करने का सबसे बड़ा हथियार बनी। स्टूडेंट्स अपने ही कॉलेज में एग्जाम दे रहे हैं। वहीं उन्हीं के कॉलेज के टीचर्स वहां पर ड्यूटी कर रहे हैं। ऐसे में उनसे तो नकल रोकने की तो उम्मीद की ही नहीं जा सकती। आरयू ने बदनाम सेंटर्स पर ऑब्जर्वर बैठाने का दावा किया था। लेकिन इतने सारे सेंटर्स पर ऑब्जर्वर तैनात करने भर की सोच से ही उसके पसीने छूटने लगे हैं।

यहां पर सब पहले से ही फिक्स है

क्रिकेट मैच की तरह यहां पर भी फिक्सिंग का बाजार गरम रहता है। जानकार टीचर्स की मानें तो नकल की पिच पर कैसे बॉलिंग व बैटिंग करनी है पहले से ही सब कुछ फिक्स कर लिया जाता है। तकरीबन सभी टीचर्स कोचिंग पढ़ाते हैं। वे स्टूडेंट्स को कोचिंग पढ़ने का दबाव बनाते हैं। बदले में उन्हें पास कराने का दावा करते हैं। या यूं कहें पास कराने का ठेका लेते हैं। एग्जाम में पास कराने का पूरा इंतजाम और माहौल तैयार कराते हैं। इसके बदले वे स्टूडेंट्स से कोचिंग फीस के रूप में मोटी रकम वसूलते हैं। एग्जाम में ड्यूटी करने वाले कक्ष निरीक्षक खुले तौर पर स्टूडेंट्स को नकल कराते हैं।

क्या हो सकती थी व्यवस्था

जानकार टीचर्स की मानें तो बदलाव की व्यवस्था दूसरे तरह की होनी चाहिए थी। कॉलेजेज के सेंटर्स में अदला-बदली होनी चाहिए थी। स्टूडेंट्स को उनके कॉलेज में नहीं दूसरे कॉलेज में एग्जाम दिलाना था। यहां तक कि कक्ष निरीक्षकों की भी अदला-बदली हो सकती है। इस तरह की व्यवस्था से एग्जाम को पारदर्शी बनाया जा सकता है। आरयू के रजिस्ट्रार एके सिंह ने बताया कि नकल को रोकने के लिए इस बार पहले से ज्यादा तैयारी की गई है। फ्लाइंग स्क्वॉयड की संख्या ज्यादा है, जो पहले ही दिन से निरीक्षण पर निकल गए। यही नहीं ऑब्जर्वर कभी भी किसी कॉलेज में जाकर अपनी निगरानी में एग्जाम कंडक्ट कराएंगे।