- आरयू के ऑनलाइन फॉर्म के प्रोसेस में कॉलेजेज ने पुराने तरीके से ही लगाई सेंध
- बैक डोर से जमकर भरवाए गए मैनुअली फॉर्म
BAREILLY: ऑनलाइन एग्जाम फॉर्म व्यवस्था लागू करने के बाद आरयू इस बात से निश्चिंत हो चला था कि उसके इस प्रोसेस में अब सेंध लगाना आसान नहीं होगा। आरयू ने इंप्रूवमेंट के बाद मेन एग्जाम में इस प्रोसेस लागू किया था। आरयू को अपनी पुख्ता व्यवस्था का भरोसा था कि इसके जरिए एग्जाम फॉर्म के फर्जीवाड़े को काफी हद तक रोका जा सकेगा। लेकिन कॉलेजेज ने इसका भी तोड़ ढूंढ ही लिया। कॉलेजेज ने मैनुअल फॉर्म के जरिए आरयू की इस प्रोसेस में बखूबी ढंग से सेंध लगाई। ऐसी सेंध लगाई कि आरयू को भी उनके इस हथकंडे के सामने अपने हथियार डालने पड़े। कॉलेजेज ने आरयू के नाक के नीचे एग्जाम फॉम भरने में जमकर खेल किया।
जमकर करते थे खेल
जब एग्जाम फॉर्म मैनुअली भराए जाते थे तब कॉलेजेज की तरफ से जमकर खेल किया जाता था। कॉलेजेज हमेशा तय समय से काफी लेट तक एग्जाम फॉर्म भरते थे। यही नहीं मेन एग्जाम के समय काफी संख्या में स्टूडेंट्स के प्रोविजनल एडमिट कार्ड जारी कर अपने स्तर से एग्जाम दिला दिया करते थे। बाद में सेटिंग के आधार पर स्टूडेंट्स का फॉर्म जमा कर देते थे। कॉलेज और यूनिविर्सटी के कर्मचारियों की सेटिंग के इस खेल में स्टूडेंट्स से जमकर वसूला जाता था। अधिकांश स्टूडेंट्स किसी तरह से एग्जाम में अपीयर हो जाते थे और फॉर्म समय पर जमा न होने पर उनका रिजल्ट रुक जाता था। ऐसे में वे आरडी प्रोसेस के थ्रू अपना फॉर्म अप्रूव कराकर रिजल्ट जारी करवा लेते थे।
धरे रह गए आरयू के दावे
आरयू ने ऑनलाइन फॉर्म भरने की प्रोसेस के जरिए कॉलेजेज के ऐसे हथकंडे पर लगाम लगाने की मंशा पाले था। लेकिन आरयू की मंशा धरी की धरी रह गई और कॉलेजेज अपने हथकंडे में कामयाब हो गए। इसकी सशक्त नजीर बीसीबी में एग्जाम दे रही बीकॉम थर्ड ईयर की छात्रा है। जिसने दो बार शाहजहांपुर में रेगुलर स्टूडेंट के रूप में एग्जाम दिया और अब बीसीबी से प्राइवेट स्टूडेंट के रूप में एग्जाम दे रही है। जबकि इस छात्रा का फॉर्म शाहजहांपुर से भी भराया गया था। उसका एडमिट कार्ड वहां से भी जारी हो गया और बरेली कॉलेज से भी। यहां तक कि अटेंडेंस शीट भी। आरयू इस गड़बड़ी को पकड़ नहीं पाया। जबकि कायदे से उसका एक जगह का फॉर्म कैंसिल हो जाना चाहिए था।
मैनुअल फॉर्म के जरिए लगाई सेंध
कॉलेजेज ने आरयू की इस कथाकथित पुख्ता व्यवस्था में सेंध लगाने के लिए पुराना तरीका ही अपनाया। कॉलेज ने एग्जाम शुरू होने से पहले काफी संख्या में बैक डोर से स्टूडेंट्स से मैनुअली फॉर्म भराए। जब आरयू ने रोल नम्बर जारी किया तो ऐसे स्टूडेंट्स के रोल नम्बर जारी नहीं हुए। तब इनके फॉर्म का वेरिफिकेशन न होने का बहाना बनाया। फिर उसे आरयू में कर्मचारियों की मदद से वेरिफिकेशन कराकर रोल नम्बर जारी कराया। आरयू ने एग्जाम के बीच में ही ऐसे सैकड़ों स्टूडेंट्स के मैनुअल रोल नम्बर जारी किए थे। जिसमें अधिकांश वे स्टूडेंट्स थे जिनके फॉर्म पहले ही भराया ही नहीं गया था और कॉलेजेज ने चुपके से बैक डोर से मैनुअली फॉर्म भरकर खेल किया।
आरयू भी खा गया गच्चा
कॉलेजेज के इस खेल को आरयू भी नहीं समझ पाया। पहले तो कॉलेजेज यही कहकर बचते रहे कि सर्वर की गड़बड़ी और किसी अन्य टेक्निकल एरर से ऐसे स्टूडेंट्स के फॉर्म का वेरिफिकेशन नहीं हो पाया। जब आरयू को पूरा खेल समझ में आया तब तक काफी देर हो चुकी थी। आरयू के रजिस्ट्रार एके सिंह ने बताया कि जिन स्टूडेंट्स का रोल नम्बर जारी नहीं हुआ था उनकी लिस्ट कॉलेजेज से मांगी गई थी। केवल उन्हीं के फॉर्म को बाद में वेरिफाई कर रोल नम्बर जारी किया गया।