- एक ही छात्रा ने दो कॉलेजेज से भरा एग्जाम फॉर्म

- आरयू ने दोनों ही कॉलेज से जारी किए एडमिट कार्ड

BAREILLY: आरयू ने एग्जाम फॉर्म के प्रोसेस को ऑनलाइन करने के समय यह दावा किया था कि इससे काफी हद तक फर्जीवाड़े पर लगाम लगेगी। लेकिन बरेली कॉलेज में ट्यूजडे को दो कॉलेज से फॉर्म भरने का ऐसा मामला सामने आया, जिससे आरयू के इस दावे की हवा निकल गई। यह प्रकरण तो एक नजीर है कि आरयू के ऑनलाइन फॉर्म के प्रोसेस में किस तरह सेंध लगाई जा सकती है और पता नहीं ऐसे कितने फर्जी फॉर्म भराए गए होंगे। ट्यूजडे को बरेली कॉलेज में एग्जाम देती एक छात्रा का मामला सामने आया है जिसका फॉर्म दूसरे कॉलेज से भरा गया है। दोनों ही जगह से उसके एडमिट कार्ड जारी हुए हैं।

नाजनीन खान (परिवर्तित नामम) बीकॉम थर्ड ईयर की स्टूडेंट है। वह बरेली कॉलेज में प्राइवेट स्टूडेंट के रूप में एग्जाम दे रही है। दिलचस्प बात यह है कि एग्जाम के दौरान शाहजहांपुर स्थित जीएफ कॉलेज में भी उसकी अटेंडेंस लग रही है। वह भी रेगुलर स्टूडेंट के रूप में। वहां पर वह एग्जाम नहीं दे रही है तो उसकी अटेंडेंस में अब्सेंट लग रही है। दोनों ही कॉलेज के नाम पर आरयू की तरफ से उसे एडमिट कार्ड जारी हुआ है।

एक ही इनरोलमेंट पर दो-दो रजिस्ट्रेशन

छात्रा का इनरोलमेंट नम्बर एक ही है। हालांकि स्टूडेंट का एक ही इनरोलमेंट नम्बर होता है। लेकिन एक ही ईयर के कोर्स के लिए दो-दो रजिस्ट्रेशन नम्बर और रोल नम्बर नहीं हो सकते। छात्रा के इस केस में हुआ है। एक ही इनरोलमेंट नम्बर पर उसे जीएफ कॉलेज, शाहजहांपुर से रेगुलर और बीसीबी से प्राइवेट स्टूडेंट के रूप में रजिस्ट्रेशन नम्बर और रोल नम्बर जारी हुए हैं।

क्या है मामला

दरअसल छात्रा प्रेम-प्रसंग के चलते पहले शाहजहांपुर में रहती थी। उस समय वह जीएफ कॉलेज, शाहजहांपुर से रेगुलर स्टूडेंट थी। तब उसने वहां से बीकॉम फ‌र्स्ट व सेकेंड ईयर का रेगुलर एग्जाम दिया। लेकिन इस बार पारिवारिक परिस्थितियों की वजह से वह बरेली में रह रही है। इस बार वह बरेली कॉलेज से प्राइवेट स्टूडेंट के रूप में थर्ड ईयर का एग्जाम दे रही है।

फॉर्म फिल करने में हुआ है फर्जीवाड़ा

छात्रा का एग्जाम फॉर्म फिल करने में फर्जीवाड़ा किया गया है। छात्रा लास्ट ईयर तक रेगुलर स्टूडेंट के रूप में अपीयर हुई। और अब प्राइवेट स्टूडेंट के रूप में अपीयर हो रही है। ऐसे में वह केवल प्राइवेट स्टूडेंट के रूप में ही फॉर्म भर सकती थी। यदि उसने रेगुलर स्टूडेंट का भी फॉर्म भरा था तो उसे पहले कैंसिल कराना चाहिए था। वहीं आरयू के ऑनलाइन सिस्टम की भी पोल खुल गई है। एक ही छात्रा के एक ही इनरोलमेंट से दो जगह फॉर्म कैसे भर गए। दो-दो रोल नम्बर कैसे जारी हो गया। यह सबसे बड़ा सवाल है।

यूनिवर्सिटी और कॉलेज की है मिलीभगत

इस खेल में कॉलेज और यूनिवर्सिटी की मिलीभगत साफ जाहिर होती है। बिना कॉलेज के फॉरवर्ड के यूनिवर्सिटी फॉर्म असेप्ट नहीं कर सकता। इसमें बरेली कॉलेज के बाबुओं की मिलीभगत बताई जा रही है। जिन्होंने पर्सनली रूप से इस छात्रा का फॉर्म यूनिवर्सिटी से असेप्ट कराया। जबकि बताया जा रहा है छात्रा ने फीस भी जमा नहीं की। इसके अलावा यूनिवर्सिटी के अधिकारी व कर्मचारियों ने इस छात्रा का फॉर्म वेरिफाई कर एडमिट कार्ड जारी कर दिया, जबकि उसका फॉर्म पहले ही रेगुलर के रूप में भरा जा चुका था।

छात्रा ने आरोप से किया मना

छात्रा ने पूरे प्रकरण से अपने आपको पाक साफ बताया है। छात्रा का कहना है कि उसने बीसीबी से ही प्राइवेट फॉर्म भरा था। जबकि उसने जीएफ कॉलेज से कैंसिल करा लिया था। वहीं बीसीबी के परीक्षा अधीक्षक अंजुम आदिल का कहना है कि इस मामले को यूनिवर्सिटी के संज्ञान में लाया गया है। लेकिन इस संबंध में यूनिवर्सिटी ने कोई रिपोर्ट नहीं मांगी है।