- 32 पेज की कॉपी पड़ रही है छोटी
- इसके अलावा नहीं मिलती उन्हें बी कॉपी
BAREILLY: मेडिकल स्टूडेंट्स को एग्जाम्स में प्रोवाइड की जा रही आंसर कॉपी कम पड़ रही है। स्टूडेंट्स को आंसर लिखने के लिए ज्यादा पेजेज चाहिए, जबकि आरयू ने पेजेज लिमिट कर दिए हैं। ऐसे में अब मेडिकल कॉलेजेज के मैनेजमेंट ज्यादा पेजेज की कॉपी प्रोवाइड कराने की गुहार लगा रहे हैं। स्टूडेंट्स के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि प्रोवाइड की जा रही आंसरशीट पर उन्हें अपने आंसर को छोटा कर लिखना पड़ रहा है। वहीं आरयू केवल सिंगल कॉपी ही प्रोवाइड कराता है।
पहले थी बी कॉपी की व्यवस्था
दो वर्ष पहले आरयू के आंसरकॉपी ख्ब् पेज के होते थे। साथ ही बी कॉपी प्रोवाइड करने की भी सहुलियत थी। लेकिन आरयू ने यह व्यवस्था खत्म कर दी। अब स्टूडेंट्स को एग्जाम में फ्ख् पेज की कॉपी प्रोवाइड कराई जाती है। साथ ही आरयू ने बी कॉपी की व्यवस्था ही खत्म कर दी है। स्टूडेंट्स को केवल सिंगल कॉपी ही प्रोवाइड की जाती है। सभी क्वेश्चंस के आंसर इसी सिंगल कॉपी पर ही लिखने होते हैं।
अब छोटी पड़ रही कॉपी
आरयू की यह व्यवस्था मेडिकल स्टूडेंट्स को रास नहीं आ रही है। जो स्टूडेंट्स एमडी और एमएस की पढ़ाई कर रहे हैं, उन्हें यह कॉपी छोटी लग रही है। स्टूडेंट्स का कहना है कि उन्हें रिसर्च बेस आंसर लिखने होते हैं। ऐसे में उनके आंसर ज्यादा लंबे होते हैं। अभी जो फ्ख् पेज की कॉपी प्रोवाइड कराई जा रही है वह आंसर लिखने के लिए छोटी पड़ रही है। पहले की व्यवस्था में बी कॉपी मिलती थी तो स्टूडेंट्स को सहूलियत होती थी। रुहेलखंड डेंटल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। पनट ने आरयू से इस संबंध में कदम उठाने की अपील की है।
एग्जामिनेशन कमेटी में उठ सकता है मुद्दा
फ्ख् पेज की कॉपी एग्जामिनेशन कमेटी में पास होने के बाद ही यूज की जा रही है। ऐसे में आरयू तत्काल कोई डिसिजन नहीं ले सकता। आरयू के प्रोवीसी प्रो। वीपी सिंह ने बताया कि इसकी रिपोर्ट वीसी को सौंप दी जाएगी। इसमें जो भी बदलाव होगा उसके लिए एग्जामिनेशन कमेटी में भी यह मुद्दा रखा जा सकता है।