- आरयू के नए गर्ल्स हॉस्टल को यूजीसी की न
- प्रपोजल को स्वीकार करने लायक ही नहीं समझा
<- आरयू के नए गर्ल्स हॉस्टल को यूजीसी की न
- प्रपोजल को स्वीकार करने लायक ही नहीं समझा
BAREILLY:
BAREILLY: बिना नींव के ही यदि किसी बिल्डिंग का निर्माण करें तो उसका हश्र क्या होगा। इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। आरयू के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। आरयू ने वूमेन हॉस्टल के कंस्ट्रक्शन के लिए बिना किसी तैयारी के यूजीसी को प्रपोजल भेजा, जिसका नतीजा यह हुआ कि यूजीसी ने उस प्रपोजल को नकार दिया। आरयू में कोई भी इस मसले पर जवाब देने को तैयार नहीं है। बिना किसी तैयारी के प्रपोजल क्यों भेजा।
ख्.9फ् करोड़ रुपए का भेजा था प्रपोजल
आरयू के कैंपस में दो गर्ल्स हॉस्टल हैं। एक मेन गर्ल्स हॉस्टल है तो दूसरा समाज कल्याण विभाग का राजकीय हॉस्टल है। मेन गर्ल्स हॉस्टल में फ्00 बेड की फैसिलिटी है जबकि राजकीय में क्00 बेड की। छात्र संख्या पर गौर करें तो ये दोनों हॉस्टल काफी हद तक गर्ल्स के स्पेस की रिक्वायरमेंट को पूरा करते हैं। बावजूद इसके आरयू ने यूजीसी को एक और वूमेन हॉस्टल के कंस्ट्रक्शन के लिए यूजीसी को प्रपोजल भेजा। क्ख्वीं पंच वर्षीय योजना के अंतर्गत हॉस्टल के लिए ख् करोड़ 9फ् लाख रुपए का प्रपोजल भेजा, जिसमें सभी आधुनिक सुविधाएं समेत वेल फर्निश्ड कमरे होने के दावे किए गए थे।
बिना ब्योरे के भेज दिए प्रपोजल
देश भर की यूनिवर्सिटीज से आए वूमेन हॉस्टल के प्रपोजल के लिए यूजीसी की एक्सपर्ट कमेटी की मीटिंग हुई, जिसमें आरयू के प्रपोजल को एक झटके में ड्रॉप कर दिया गया। आरयू ने हॉस्टल के निर्माण के लिए प्रपोजल तो भेज दिया लेकिन उसकी ड्राफ्टिंग के बड़े पैमाने पर कोताही बरती। प्रपोजल में साफ तौर पर कई तरह के ब्योरे नहीं दिए गए थे और न ही रिक्वायर्ड डॉक्यूमेंट्स को पेश किया गया था।
अपने यहां ही प्रपोजल नहीं कराया पास
किसी भी तरह के प्रपोजल को फंडिंग एजेंसीज में भेजने से पहले यूनिवर्सिटीज को पहले अपने यहां पर उसे अप्रूव्ड कराना होता है। आरयू ने इसमें से कोई भी प्रक्रिया को पूरा नहीं किया था। हॉस्टल के निर्माण के लिए आरयू ने अपनी बिल्डिंग कमेटी से अप्रूवल नहीं लिया था। इसके साथ ही फाइनेंस कमेटी से भी इस प्रपोजल को पास नहीं कराया गया। साथ ही आरयू ने रेट सर्टिफिकेट भी यूजीसी के समक्ष पेश नहीं किए। जिससे यह पता चल सके कि एक्चुअल में हॉस्टल की लागत कितनी बैठ रही है। आरयू ने यूजीसी को न तो यह बताया कि उनके यहां पर कितनी छात्राएं पढ़ती हैं और न ही हॉस्टल में रहने वाले एवरेज छात्राओं का ब्योरा दिया। यूजीसी की एक्सपर्ट कमेटी ने जब प्रपोजल की समीक्षा तो यह सब खामियां उभर कर आई। जिसके बाद उसने प्रपोजल को अस्वीकार कर दिया।