- पंद्रह दिन बाद भी गोपनीय विभाग ने डीएसडब्ल्यू को नहीं सौंपी रिपोर्ट

- एमबीए जनरल में गलत स्टूडेंट्स को गोल्ड मेडल दिए जाने का है मामला

BAREILLY: आरयू में विवाद अक्सर जांच के घेरे में ऐसे फंस जाता है और फिर उसका हल निकल नहीं पाता। आरयू में विवादों के ऐसे तमाम मामले हैं जिनकी गिनती नहीं है और वे जांच के नाम पर दबे हुए हैं। ताजा मामला गोल्ड मेडल विवाद का ही लें। पंद्रह दिन बीतने को आए अभी तक आरयू ने इस विवाद को नहीं सुलझा सका। जबकि इस विवाद को सुलझाने और उस पर डिसिजन देने में एक दिन से ज्यादा सयम नहीं लगेगा। लेकिन यहां पर आरयू को अपनी गलती का अहसास हो चुका है। ऐसे में अपनी साख बचाने के लिए जान बूझकर विवाद को सुलझाने में देरी कर रहा है। जिसका खमियाजा स्टूडेंट को ही भुगतना पड़ रहा है।

क्या है मामला

आरयू का कॉन्वोकेशन क्ख् नवम्बर को ऑर्गनाइज किया गया था। जिसमें करीब 7ब् टॉपर्स को गोल्ड मेडल दिए गए थे। कॉन्वोकेशन खत्म होने के बाद एमबीए जनरल के एक स्टूडेंट ने इस पर विवाद खड़ा कर दिया। हिमांशु कुमार ने दावा कि इस सब्जेक्ट के लिए गलत स्टूडेंट को गोल्ड मेडल दिया गया है। दावा है कि उसने सबसे ज्यादा मा‌र्क्स अर्जित किए। उसे मेडल देने के बजाय एक छात्रा मीनाक्षी को गोल्ड मेडल दे दिया गया। मीनाक्षी ने एमबीए जनरल में म्7.भ्0 परसेंट मा‌र्क्स हासिल किए थे। जबकि हिमांशु का दावा है कि उसे टोटल म्9.0ख् मा‌र्क्स ि1मले हैं।

आरयू पर लगाए आरोप

हिमांशु ने आरोप लगाए कि आरयू ने गलत मेडल लिस्ट पब्लिश की। गोल्ड मेडल उसे मिलना चाहिए था। उसने प्रूफ भी पेश किए। मार्कशीट में दिए गए मा‌र्क्स भी शो किए। पहले उसने डिपार्टमेंट में कंप्लेन की उसके बाद सीधे वीसी से कंप्लेन कर मेडल दिए जाने की मांग की। इसके बाद वीसी ने मामले की जांच डीएसडब्ल्यू प्रो। नीलिमा गुप्ता को सौंप दिया। इस मामले में सबसे आश्चर्यजनक पहलू यह रहा कि मेडल की लिस्ट के लिए डिपार्टमेंट से मा‌र्क्स नहीं मांगे गए। बल्कि डायरेक्ट गोपनीय विभाग से ही हाईएस्ट मा‌र्क्स की डिटेल मांग ली गई थी।

चुप पड़ा है गोपनीय विभाग

वीसी की जांचं पर डीएसडब्ल्यू ने आरयू के गोपनीय विभाग से दोनों स्टूडेंट्स की डिटेल तलब की। लेकिन करीब क्भ् दिन का समय बीत चुका है, गोपनीय विभाग अभी तक मा‌र्क्स की रिपोर्ट नहीं सौंप सका है। डीएसडब्ल्यू प्रो। नीलिमा गुप्ता ने बताया कि फिलहाल वे कई दिनों से शहर से बाहर हैं। वहीं गोपनीय विभाग ने अभी तक अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपी है। रिपोर्ट आ जाने के बाद ही मामले का हल निकल पाएगा।