- फिटनेस देने के मामले में 6 घंटे का काम 3 घंटे में कर रहा आरटीओ विभाग

- हर रोज 25 से अधिक गाडि़यों को जारी किए जाते है फिटनेस सर्टिफिकेट

BAREILLY:

व्हीकल्स की फिटनेस सबसे अहम होती हैं, क्योंकि सेफ जर्नी की बात टेक्निकली फिट व्हीकल्स में ही कह सकते हैं। एमवी एक्ट भी टेक्निकली फिट व्हीकल्स को ही रोड पर चलने की परमीशन देता है। अफसोस रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस पैसेंजर्स की सेफ्टी को लेकर गम्भीर नहीं है। यही वजह है कि व्हीकल्स की फिटनेस में भयानक लापरवाही हो रही है, जिसका कभी बड़ा खमियाजा भुगतना पड़ सकता है।

क्या है फिटनेस

कोई व्हीकल रोड पर चलने लायक है या नहीं, यह व्हीकल के फिटनेस से ही तय होता। नये व्हीकल का फिटनेस दो साल तक वैलिड होता है। जबकि दो साल से अधिक ओल्ड व्हीकल्स को हर साल फिटनेस कराना होता है। फिटनेस में व्हीकल की फिजिकल व टेक्निकल टेस्ट किया जाता है। फिजिकल टेस्ट में बॉडी, लाइट्स, रजिस्ट्रेशन प्लेट नम्बर की जांच होती है। जबकि, टक्निकल टेस्ट में गियर, स्टीयरिंग, ब्रेक, क्लच, व्हील एलाइनमेंट, पॉल्यूशन की जांच की जाती है। टेक्निकल टेस्ट में जांच अधिकारी को व्हीकल में बैठकर कम से कम दो किमी की दूरी तय करनी होती है। इस प्रकार एक व्हीकल की जांच में कम से कम ख्0 मिनट का समय तेज काम करने पर लगता है।

सुपरमैन बने आरआई

आरटीओ ऑफिस में डेली दो दर्जन से अधिक व्हीकल्स को फिटनेस की रेवड़ी बांटी जाती है। हैरत की बात है कि आरआई महज घंटाभर में सभी व्हीकल्स को फिटनेस का तमगा दे देते हैं। दो दर्जन से अधिक व्हीकल्स की फिटनेस करने में कम से कम आठ घंटा का समय लगेगा।

आंकड़ों की बात करें तो, आरटीओ विभाग में औसतन हर रोज क्भ्0 से अधिक अप्लीकेंट्स लर्निग के लिए अप्लाई करते है। वहीं ख्भ् से अधिक हैवी और लाइट वाहनों की फिटनेस जांच होती है। लेकिन, बात जब कार्यप्रणाली की आती है तो, स्थिति बेहद चिंतनीय है। लर्निग को वेरीफाई करने का काम आरआई साहब नकटिया स्थिति आरटीओ विभाग में करना होता है। वहीं वाहनों की फिटनेस जांच विभाग से करीब ख् किलोमीटर से अधिक दूर पर टीपी नगर में होता है। ट्यूजडे को हम जब आरटीओ विभाग पहुंचे तो, आरआई लर्निग के लिए आए एप्लीकेंट्स के डॉक्यूमेंट वेरीफाई करने में लगे हुए थे। जबकि, टीपीनगर में वाहनों की जांच भाड़े पर रखे कर्मचारी करने में लगे हुए थे। जब हम आरटीओ विभाग होने के बाद जब हम टीपीनगर दोपहर ख्.फ्0 पर पहुंचे तब पता चला।

क्9ख्0 व्हीकल की हुई फिटनेस

अनफिट गाडि़यों को फिट करने का आलम यह है कि, आरटीओ विभाग में अनफिट किए गए व्हीकल्स की संख्या नाम मात्र की है। नवंबर से अब तक आरटीओ विभाग ने क्9ख्0 व्हीकल्स को फिटनेस सर्टिफिकेट जारी किये जा चुके हैं। सोर्सेज से मिली जानकारी के मुताबिक मैक्सिमम केसेज में व्हीकल्स की जांच करना भी विभाग उचित नहीं समझता है। व्हीकल ओनर्स फिटनेस जांच रसीद कटवाकर अधिकारियों से वेरीफाई कराकर चलते

बनते है। वाहनों के फिटनेस जांच सेंटर टीपीनगर में ऐसा नजारा हर दिन देखा जा सकता है। अधिकारियों की

गैर मौजूदगी में वाहनों की फिटनेस जांच बिना ट्रेंड कर्मचारी करते रहते है। इसके बाद मौके पर अधिकारी पहुंचकर अपने स्तर पर वाहनों की बिना जांच किए ही फिटनेस सर्टिफिकेट पर अपना सिग्नेचर कर अनफिट व्हीकल्स फिट घोषित कर देते है। यदि विभाग द्वारा गाडि़यों को अनफिट किए जाने की बात करें तो, हर महीने इसका परसेंटेंज मात्र क्0 ही है।

एक्सिडेंट होने का बढ़ जाता है खतरा

वाहनों की प्रॉपर ढंग से जांच न होने का ही नतीजा है कि, आए दिन एक्सिडेंट की घटनाएं देखने और सुनने को मिलती है। अभी पिछले महीने ही नावेल्टी बस स्टेशन के पास रोडवेज बस ने ब्रेक न लगने के कारण एक रिक्शे को टक्कर मार दिया था। बस की चपेट में आने से रिक्शे से सुभाष नगर से पीलीभीत बाईपास जा रही दो महिलाएं घायल हो गई थी। वहीं दूसरी ओर रोडवेज की ही एक बस वियावान कोठी के पास स्टीयरिंग काम न करने के कारण डिवाइडर पर चढ़ गई थी। हालांकि, इस घटना में दर्जनों पैसेंजर्स बाल-बाल बच गए थे। वाहनों की प्रॉपर जांच न होने से सबसे अधिक समस्या स्टेयरिंग, ब्रेक और गियर जैसे पा‌र्ट्स में आती है। जो किसी भी वाहन के सही संचालन के लिए काफी उपयोगी और सेफली होती है। लेकिन, विभाग की अनदेखी का नतीजा यह है कि, रोड एक्सिडेंट की घटनाओं में आए दिन बढ़ोतरी हो रही है।

नहीं बदल सकते मूल स्वरूप

एमवी एक्ट में व्हीकल के मूल स्वरूप को बदलने पर रोक है। जैसे- पेट्रोल की व्हीकल को डीजल में कंवर्ट नहीं किया जा सकता है। ट्रक को बस में तब्दील नहीं किया जा सकता। टैम्पों को काटकर ढाला बना देना जैसी तमाम बातें शामिल है। एमवी एक्ट क्988 के बाद से ही यह नियम लागू है।

जुर्माने का है प्रावधान

वाहनों की फिटनेस जांच न कराने की स्थिति में एमवी एक्ट में वाहन सीज और जुर्माने का प्रावधान है। एमवी एक्ट के मुताबिक वाहन ओनर्स पर फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं होने पर चार हजार रूपए जुर्माना लगाया जा सकता है। लेकिन प्राय: मैक्सिमम केसेज में सिर्फ विभाग के अधिकारी व्हीकल सीज करने के बजाय जुर्माना लगाने के पक्ष में रहते है।

वाहनों की फिटनेस जांच में क्भ् मिनट तक समय लगता है। अधिकारियों द्वारा फिटनेस की जांच प्रॉपर तौर पर की जाती है। वाहनों की फिटनेस न होने पर पकड़े जाने पर जुर्माना का भी प्रावधान है।

संजय सिंह, आरटीओ, इंफोर्समेंट