केस 1 तीन दिन पहले लखीमपुर से बरेली आ रहे छोटेलाल को जहरखुरानों ने अपना शिकार बना लिया था। जहरखुरान उनका मोबाइल, छह रुपए नकद और बैग लेकर चलते बने। बेहोशी के हालत में छोटेलाल को डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़ा।

केस 2 कुछ ऐसा ही बहेड़ी के राजेश वर्मा के साथ भी हुआ था। लास्ट मंथ वे किसी काम से सिटी आ रहे थे। राजेश रास्ते में जहरखुरानी के शिकार हो गए। जहरखुरान राजेश के पास रखे 2 हजार नकदी समेत हजारों रुपए के सामान लेकर फरार हो गए।

केस 3 जनवरी में दिनेश आहुजा भी जहरखुरानों के चंगुल में फंस गए थे। बातों ही बातों में शातिरों ने बिस्किट खिलाकर जहरखुरानी की घटना को अंजाम दिया था। जहरखुरान उनके पर्स में रखे करीब 5 रुपए और मोबाइल लेकर चलते बने।

- इस साल अब तक 114 मामले सामने आ चुके हैं

BAREILLY: ये तीन केस तो महज बानगी भर है। ऐसी कई घटनाएं आए दिन हो रही हैं। चुनावी मौसम में जहरखुरानी गिरोह भी सक्रिय हो गए हैं। पिछले क्0 दिन के अंदर एक दर्जन से अधिक लोग जहरखुरानी के शिकार हो चुके हैं। जहरखुरानी करने वाले अब नए-नए हथकंडे अपना कर लोगों को अपने चंगुल में फंसा रहे हैं।

बढ़ रही सक्रियता

जहरखुरानी की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। प्रजेंट टाइम में हर दूसरे दिन नए मामले सामने आ रहे हैं। इस साल अब तक जहरखुरानी के क्क्ब् मामले सामने आ चुके हैं। जनवरी में ब्म्, फरवरी में ख्8, मार्च में फ्ख् और अप्रैल में क्8 लोग जहरखुरानी के शिकार हुए हैं। जहरखुरानों ने अब तक नकदी समेत क्0 लाख रुपए से अधिक के सामान पर हाथ साफ किया है। ज्यादातर केसेज में सामान की कोई रिकवरी नहीं हुई है। दिल्ली, बहेड़ी, गोला, फरीदपुर, आगरा और बदायूं जैसे रूट्स पर जहरखुरानों की सक्रियता काफी है।

शक से बचने के लिए कटाते हैं टिकट

पैसेंजर्स व बस स्टॉफ को शक ना हो इसके लिए जहरखुरानी करने वाले बकायदा टिकट लेते हैं। बगल में बैठे व्यक्ति से दोस्ती करना और फिर कुछ खाने के लिए ऑफर करना इनका अहम मकसद होता है। ज्यादातर मामलों में सिंगल पर्सन ही उनके चंगुल में फंसा है। अकेले जर्नी करने वाले व्यक्ति को बेहोश कर सामान पर हाथ साफ करना आसान होता है।

फिर भी हो रहे शिकार

जहरखुरानी के प्रति अवेयर करने के लिए रोडवेज ने बस स्टेशनों और बसों में संदिग्ध व्यक्तियों की फोटो भी लगा रखी है। बावजूद इसके पैसेंजर्स इस तरह की घटनाओं के शिकार हो रहे हैं। बस स्टेशन पर इस तरह की हरकतों को कंट्रोल करने व रजिस्टर मेंटेन करने के लिए चार कर्मचारी नियुक्त हैं, लेकिन ये कर्मचारी भी जहरखुरानों के आगे बेबस हैं।

हम लोगों का प्रयास है कि इस तरह की घटनाओं को कंट्रोल किया जा सके। बस से सफर करने वाले लोगों को खुद सावधान होने की जरूरत है। तभी इस तरह की घटनाओं को कंट्रोल किया जा सकता है।

- एमवी नाटू, एआरएम, रोडवेज