बरेली (ब्यूरो)। सिटी में इस समय पॉल्यूशन का बहुत बुरा हाल है। यह हम सब के स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है। आईआईटी कानपुर से आई टीम ने जब शहर के प्रमुख प्लेसेज पर जाकर पॉल्यूशन लेवल चैक किया तो पता चला कि सबसे ज्यादा पॉल्यूशन, रोड पर उड़ रही धूल से हो रहा है। टीम ने कई दिन शहर में रुक कर अलग-अलग सेगमेंट्स में पॉल्यूशन की जांच की थी। शहर में पीएम 10 के 19829 किलो प्रतिदिन का पॉल्यूशन होता है, वही पीएम 2.5 से 7341 किलो प्रतिदिन पॉल्यूशन कर रहे है।

पॉल्यूशन बढऩे के कारण
- शहर में लगातार बढ़ रही वाहनों की संख्या
- पुराने वाहनों की संख्या कम न होना, पॉल्यूशन जांच न होना
- शहर के आसपास बढ़ता औद्योगिक क्षेत्र
- पेड़-पौधों की लगातार घट रही संख्या व कटान

क्या है समाधान
- पुराने वाहनों से हो रहे पॉल्यूशन की सख्ती से जांच
- पेड़ पौधों की संख्या बढ़ाई जाए।
- उद्योग से निकलने वाले कचरे का ठीक प्रकार से निस्तारण हो।

पॉल्यूशन से बीमारियां
पॉल्यूशन बढऩे के कारण तमाम तरह की बीमारियां बढऩे लगती हैं। फिजीशियन डॉ.अजय मोहन बताते है कि पॉल्यूशन की वजह से त्वचा रोग, दमा, आंखों में जलन, अनिद्रा चेहरे पर लालपन आदि की शिकायत रहती है इसलिए घर से बाहर निकलते समय मास्क का प्रयोग करें।

डेटा एक नजर में
पीएम : 10
रोड डस्ट : 76
होटल : 01
इंडस्ट्री : 02
वाहन : 12
ईट भट्टा : 02
घरेलू : 06
(सभी आंकड़े प्रतिशत में)

पीएम : 2.5
रोड डस्ट : 47
होटल : 02
इंडस्ट्री : 06
वाहन : 29
ईट भट्टा : 03
वाहन : 29
(सभी आंकड़े प्रतिशत में)

क्या होता है पीएम 10 व 2.5
पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 का स्तर धुएं, धूल आदि के कणों को दर्शाता है। हवा में मौजूद कण 2.5 माइक्रोमीटर छोटे हैं तो पीएम 2.5 का स्तर ज्यादा होने पर धुंध बढ़ती है। विजिबिलिटी का स्तर भी गिर जाता है। पीएम 10 का मतलब होता है कि हवा में मौजूद कण, जो 10 माइक्रोमीटर से भी छोटे हैं और इसमें धूल और धातु के सूक्ष्म कण शामिल होते हैं।