- सीरियस हालत में भी हौसला बढ़ाया

- आज भी वही बातें मुझे इंस्पायर करती हैं

BAREILLY: बात क्0 मार्च की है। पापा हॉस्पिटल में एडमिट थे। उन्हें किसी ने गोली मारी थी। हालत काफी सीरियस थी। मेरे बोर्ड एग्जाम्स शुरू हो चुके थे। मैं बहुत रो रही थी। सीरियस हालत में भी वे मुझे दिलासा दे रहे थे। मेरा हौसला बढ़ा रहे थे। पापा ने कहा आयुषी बेटा घबराना नहींमन लगाकर पढ़नाअच्छे मा‌र्क्स आने चाहिए। अपने आखिरी वक्त में पापा की वो बातें आज भी मुझे इंस्पायर करती हैं। उन्हीं के आशीर्वाद का ही नतीजा है कि मैं खुद को मजबूत किया और एग्जाम में अपीयर हुई और 90 परसेंट से ज्यादा मा‌र्क्स स्कोर किया है। सेंट मारिया गोरेटी की क्लास क्0 की स्टूडेंट आयुषी अग्रवाल बाकी स्टूडेंट्स के साथ अपना रिजल्ट सेलीबे्रट कर रही थी। उसकी मदर भी उसके साथ थी। फिर भी दोनों को यह खुशी अधूरी लग रही थी। आयुषी अपने फादर को बहुत मिस कर रही थी और दूर खड़ी उसकी मदर डबडबाई आंखों से अपनी बिटिया की खुशियां बटोर रही थीं। रूंधे गले से शब्द नहीं निकल रहे थे, लेकिन चेहरा सब कुछ बयां कर रहा था।

पुरानी रंजिश के तहत मारी थी गोली

आयुषी अग्रवाल के फादर विवेक अग्रवाल की खुर्रम गोटिया में शॉप थी। क्0 मार्च को शॉप बंद करने के दौरान कुछ लोगों ने उन्हें गोली मार दी। वारदात की वजह पुरानी रंजिश बताई गई। इस घटना ने पूरे परिवार को शॉक में ला दिया। तब आयुषी अपने बोर्ड के चार पेपर मैथ्स, इंग्लिश लिट्रेचर व लैंग्वेज और हिस्ट्री का एग्जाम दे चुकी थी। हालत सीरियस होने पर विवेक को गुड़गांव रेफर किया गया, जहां उनकी मौत हो गई। आयुषी ने बताया कि पूरा परिवार इस घटना से स्तब्ध होकर रो रहा था। मम्मी तो जैसे बदहवास हो गई थी, लेकिन इस हालत में होने के बावजूद पापा ने ही सबका हौसला बढ़ाए रखा। आज उन्हीं की इंस्पिरेशन की ही देन है कि पूरा परिवार एकजुटता से इस घटना से उबर रहा है। फिलहाल आयुषी अपने दादा-दादी के साथ एसबीआई बैंक कॉलोनी में ज्वाइंट फैमिली में रहती है।

सीए बनना चाहती है आयुषी

आयुषी ने क्लास क्0 में 9ख्.ख् परसेंट मा‌र्क्स स्कोर किया है। मैथ्स में 98, सोशल साइंस में 8म्, इंग्लिश में 90, हिंदी में 9ख्, कम्प्यूटर में 9भ् और साइंस में 80 मा‌र्क्स स्कोर किए हैं। आयुषी क्लास क्ख् के बाद सीए करना चाहती है। इसलिए उसने क्लास क्क् में कॉमर्स के साथ मैथ्स लेने का मन बनाया है। आयुषी बताती हैं कि पहले से रेगुलर स्टडी की, जिस वजह से एग्जाम के टाइम पर उसे ज्यादा हार्ड वर्क नहीं करना पड़ा। मेन पोर्शंस का रिवीजन कर एग्जाम दिया। एग्जाम के बीच में ही इतने बड़े हादसे से गुजरने के बावजूद सेल्फ स्टडी की वजह से वह 90 से एबोव मा‌र्क्स अचीव की है।