आराम से कर रहे काम
इलेक्शन के बाद यूं तो कैंडिडेट पर से एक बड़ा बोझ हल्का हो जाता है लेकिन कैंट से बसपा कैंडिडेट पं। राम गोपाल मिश्रा को देखा तो ऐसा लगा नहीं। एक फोन पर बात खत्म नहीं हुई तो दूसरे फोन पर लग गए। इससे भी काम नहीं बना तो वर्कर्स को बोल दिया कि फलां को फोन करो। अपने ऑफिस में कार्यकर्ताओं से घिरे वह बताते हैं, आज बहुत फ्री महसूस कर रहा हूं। रोजाना पांच बजे उठते थे और कैंपेन के लिए 6 बजे निकल जाते थे। रात में 2 बजे से पहले तो आते ही नहीं थे लेकिन सैटरडे को आराम से साढ़े ग्यारह बजे सोए और सुबह में आराम से उठे।
रिजल्ट की तैयारी में जुटे
दोपहर के सवा बारह बजे थे। इस समय कैंट से बीजेपी कैंडिडेट राजेश अग्रवाल अपने ऑफिस में वर्कर्स और कुछ नजदीकी लोगों के साथ चाय पी रहे थे। चेहरे पर चुनाव वाली टेंशन और थकावट तो नहीं थी लेकिन काउंटिंग के दिन की व्यवस्था उनके फुरसत के पलों में थोड़ा खलल जरूर डाल रही थी। ठहाकों के बीच काउंटिंग और चुनावी कैंपेन के हिसाब की बातें भी चल रही थीं। इससे साफ पता चल रहा था कि वोटिंग हो गई लेकिन व्यस्तता अभी खत्म नहीं हुई। हालांकि रोजाना की तरह उन्हें क्षेत्र का दौरा नहीं करना पड़ा फिर भी वह सुबह पौने पांच बजे उठे। उनका कहना है कि यह सुबह कुछ अलग थी। लेकिन कैसे अलग थी इस बात को थोड़ा पर्सनली लेते हुए बड़े ही सलीके से टाल गए और बोले कि आज तो मौका मिला है कुछ पर्सनल होने का, उसे तो जगजाहिर न होने दें। वह हंसते हुए बो, मुझ पर कभी कोई प्रेशर नहीं रहा लेकिन फाइनल रिजल्ट की तैयारी तो मुझे ही करनी है।
रिकॉर्डेड सीरियल देखे
कल जाने कितने दिनों के बाद घर का बना खाना खाया। सुबह आराम से उठा और वाइफ के साथ सुबह का नाश्ते का सुख लिया। सुबह कुछ रिकॉर्डेड सीरियल देखकर खुद को टेंशन फ्री किया। यह कहना है बीजेपी कैंडिडेट डॉ। अरुण कुमार का। रिलेक्स करने के बाद वह सुबह पार्टी कार्यालय जा पहुंचे। उन्होंने बताया कि कार्यालय पर कार्यकर्ता मिलने आने लगे थे। पार्टी कार्यालय में उन्हें चिंतन मनन करना खासा पसंद है।
पेशेंट्स के पास पहुंचे
शहर सीट से बसपा कैंडिडेट डॉ। अनीस बेग तो इलेक्शन के अगले दिन यानी संडे को अपने हॉस्पिटल पहुंच गए। मजे की बात रही कि हॉस्पिटल का स्टाफ उन्हें वहां देखकर हैरान रह गया। उन्होंने बताया कि उन्हें पेशेंट्स के बीच ही सुकून महसूस होता है। सुबह एरिया का राउंड करने के बाद उन्होंने स्थिति का जायजा लिया। इसके बाद हॉस्पिटल की इमरजेंसी में पेशेंट्स का चेकअप किया। उनका मानना है कि वह अपनी जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हट सकते। हालांकि थकान मिटाने के लिए अपनी फैमिली के साथ टाइम स्पेंड करने की प्लानिंग है।
रात भर अच्छी नींद ली
शहर सीट से सपा कैंडिडेट अनिल शर्मा ने इलेक्शन के बाद अच्छी नींद ली। उनका कहना है कि खुद को आराम देने के लिए अच्छी नींद ही काफी है। उन्होंने संडे सुबह पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ताओं के साथ चाय की चुस्कियां लीं और पॉलिटिकल डिस्कशन किया। उनके लिए ये भी रिलेक्स करने का तरीका है। सुबह से पार्टी कार्यालय में आकर डटे अनिल ने बताया कि वह पिछले 60 दिनों से घर नहीं गए हैं। वह खुद को आम आदमी बताते हैं और कहते हैं कि वह ऐसे ही रहना चाहते हैं।
नातिनों के साथ की मस्ती
शहर सीट से कांग्रेस कैंडिडेट नवाब मुजाहिद संडे सुबह अपने आवास पर अपनी नातिनों के साथ हंसते-खेलते मिले। उन्होंने बताया कि वह जब भी थके होते हैं, कुछ देर बच्चों के साथ मस्ती कर लेते हैं। बच्चों के साथ फन उन्हें रिलेक्स कर देता है। नवाब साहब ने बताया कि कई दिनों से इलेक्शन के चक्कर में न तो वह ढंग से सो पा रहे थे और न ही ठीक से खाना खाया था। इसलिए सुबह नींद पूरी करने के बाद उन्होंने लम्बे समय के बाद अपने बेटे के साथ नाश्ता किया। उनका कहना है कि इलेक्शन कैंपेनिंग की दौड़-भाग के बाद परिवार के साथ बिताए इन कुछ पलों ने उनकी सारी थकान उतार दी है।
जाएगा बच के कहां
यूपी विधानसभा के रणक्षेत्र के सूरमाओं का भाग्य ईवीएम में कैद हो चुका है। फैसला आने में चंद घंटे शेष हैं। बड़ी पार्टियों के सूरमा अपनी रणनीति बनाने में व्यस्त हैं, जबकि निर्दलीय प्रत्याशियों की भी व्यस्तता बढ़ गई है। रणक्षेत्र में कई ऐसे निर्दलीय प्रत्याशी हैं, जिनका जनाधार काफी अच्छा है। ऐसे प्रत्याशियों पर पुलिस और खुफिया विभाग कड़ी नजर रख रहा है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि सत्ता पाने की होड़ में इनकी बोली न लग सके।
पुराना ट्रैक रिकॉर्ड खराब
विधानसभा चुनावों का पुराना ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा है। कई स्टेट में निर्दलीय प्रत्याशियों ने भारी उलट फेर कर रखा है। ऐसी स्थिति में इस बार चुनाव आयोग भी कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। खुफिया विभाग ऐसे निर्दलीय प्रत्याशियों पर नजर रख रहा है, जिनकी जीत संभावित है।
सीटों के गणित का सवाल
सत्ता की जंग में कोई भी दल पीछे नहीं रहना चाहता। ऐसे में जब मुकाबला नजदीकी हो जाए तो सब कुछ निर्दलीयों पर डिपेंड हो जाता है। सीटों की गणित जब उलझ जाती है तो निर्दलीय प्रत्याशियों को लुभाने और रिझाने का खेल शुरू हो जाता है। वक्त की नजाकत को देखते हुए ये प्रत्याशी भी हम किसी से कम नहीं है के फॉर्मूले पर चलते हुए अपनी ऊंची बोली लगाना शुरू कर देते हैं। सिंहासन के इस खेल में गुपचुप तरीके से खरीद फरोख्त शुरू हो जाती है।
इस बार कड़ी नजर
यूपी में सिंहासन के संग्राम में कई ऐसे निर्दलीय प्रत्याशी हैं जिनकी जीत की पूरी संभावना जताई जा रही है। हालांकि इस बार इन प्रत्याशियों पर पूरी नजर रखी जा रही है। खुफिया विभाग के साथ-साथ लोकल पुलिस भी अलर्ट है ताकि सत्ता के खेल में खरीद फरोख्त को रोका जा सके।
सीटों की गणित गड़बड़ाने के बाद निर्दलीय प्रत्याशियों से तोल मोल का खेल अमूमन होता रहता है। इस बार हम अलर्ट हैं। अगर कहीं से सूचना मिलती है तो तुरंत कार्रवाई की जाएगी।
-अतुल सक्सेना, एसपी सिटी