- रामगंगा आवासीय योजना के तहत अब तक नहीं मिला मालिकाना हक
- विभाग कर रहा सर्किल रेट से चार गुना दाम वसूलने की तैयारी
- किसानों के बाद विभाग के लिए अब बनेंगे प्लॉट ओनर्स चुनौती
BAREILLY: रामगंगा आवासीय योजना के तहत प्लॉट लेने वाले ओनर्स पर अब दोहरी मार पड़ने वाली है। वर्षो से प्लॉट पर कब्जा दिलाने में नाकाम रहे विभाग की तैयारी जमीन के बढ़े हुए दाम की वसूली भी आवंटियों से किए जाने की है। लंबे समय से रजिस्ट्री की बाट जोह रहे ओनर्स अब बीडीए के खिलाफ मोर्चा खोलने की बात कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर विभाग ने पुराने रेट पर जल्द से जल्द जमीन पर कब्जा नहीं दिलाया तो हम कोर्ट की शरण में जाएंगे। ऐसे में किसानों से जमीन लेने के साथ इसे प्लॉट ओनर्स के नाम रजिस्ट्री करने की कवायद फिलहाल विभाग के लिए चुनौती बन गई है।
कब बुक हुआ था प्लॉट
रामगंगा आवासीय योजना के तहत वर्ष ख्00म् में विभाग ने अकेले सेक्टर तीन के लिए क्00फ् प्लॉट्स की घोषणा की थी। इसे छह केटेगरी में बांटा गया था। इसके तहत एचआईजी-क् में क्म्ख् मीटर क्षेत्रफल के ख्ब् प्लॉट, एचआईजी-ख् में ख्00 मीटर के क्म्फ् प्लॉट, एचआईजी-फ् में ख्88 मीटर क्षेत्रफल के 8ब् प्लॉट, एमआईजी-क् में 7ख् मीटर क्षेत्रफल के ब्क्7 प्लॉट, एमआईजी-ख् में क्क्ख्.भ् मीटर क्षेत्रफल के ख्8भ् प्लॉट और एलआईजी के तहत म्0 मीटर क्षेत्रफल में फ्0 प्लॉट काटे गए थे, लेकिन बीडीए ओनर्स को कब्जा दिलाने में अब तक नाकाम रहा है। वर्ष ख्0क्0 में भी बड़ी संख्या में लोगों के नाम प्लॉट बुक किए गए, लेकिन उन्हें आज तक उनकी जमीन पर मालिकाना हक नहीं दिया गया।
योजना में बहुत पेंच
रामगंगा आवासीय योजना के तहत विभाग के पास ख्म्9 हेक्टेयर करार की जमीन थी। इसमें से क्0 हेक्टेयर जमीन विभाग ने ख्00ब् में खरीद लिया था और इसे विकसित भी कर दिया था। बाद में 7ख् हेक्टेयर जमीन करार के माध्यम से किसानों से लिया गया था। क्7फ् हेक्टेयर जमीन का अभी भी अवार्ड किया जाना बाकी है। इस मामले में कुछ किसान हाई कोर्ट भी गए, लेकिन वे केस हार गए। विभाग ने जमीन के अवार्ड के लिए स्पेशल लैंड एक्वीजिशन अधिकारी के यहां भ्क् करोड़ भ्म् लाख ख्ब्0 रुपए वर्ष ख्0क्0 तक जमा भी कर दिए थे। इनमें से करीब ख्फ् करोड़ रुपए किसानों ने अभी तक एक्सेप्ट नहीं किया।
नई पॉलिसी से बढ़ी जमीन की कीमत
स्टेट गवर्नमेंट को भेजे निर्देश में केंद्र सरकार ने कहा कि नई भूमि अधिग्रहण नीति के तहत किसानों से जमीन लेने के लिए पूरी माल्कियत का दाम सर्किल रेट से चार गुना ज्यादा लगाया जाएगा। इस नीति के तहत स्टेट गवर्नमेंट ने जो एक्ट तैयार किया है, इसमें जमीन का रेट चार गुना से भी अधिक बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। इस स्थिति में बीडीए को उस क्7फ् हेक्टेयर जमीन की कीमत भी किसानों को नए रेट के तहत देना होगा। इस स्थिति में बरेली विकास प्राधिकरण बढ़ी हुई जमीन की कीमत प्लॉट ओनर्स से वसूल सकता है।
भ्0 करोड़ की मांग
स्पेशल लैंड एक्वीजिशन ऑफिसर ने एप्रोक्सीमेट्ली बजट के तहत बीडीए को सूचित किया है कि इस जमीन के लिए विभाग को कम से कम भ्0 करोड़ रुपए और देने होंगे। एसएलओ का मानना है कि वर्षो से लंबित इस जमीन पर विभाग को कम से कम दोगुना खर्च करना होगा। उसके बाद ही इस जमीन पर विभाग की पूरी तरह से कब्जा हो सकेगा।
मैंने विभाग से जारी विज्ञापन के आधार पर ख्00म् में ख्88 वर्गमीटर जमीन के लिए आवेदन किया था। इसके लिए 7 लाख ख्क् हजार रुपए स्क्वायर मीटर के हिसाब से जमा कर दिया था। विभाग ने कहा था कि बाकी रुपए रजिस्ट्री के दौरान जमा करने होंगे। अब सवाल उठता है कि जिस विभाग के पास पहले से जमीन नहीं थी उसके लिए विज्ञापन कैसे निकाला गया। हमने बैंक से लोन लेकर लाखों रुपए विभाग में जमा किए थे और इसका हमने वर्षो तक ब्याज भरे हैं। अगर हमसे बढ़े हुए रेट के अनुसार पैसे की मांग की जाती है तो हम मजबूरन कोर्ट जाएंगे।
- डॉ। मोनिका शर्मा, पशु चिकित्सा अधिकारी, धौरा टाडा बरेली।
मेरे नाम से बीडीए ने ख्00म् में ख्80 वर्ग मीटर जमीन अलॉट किया था। इसके लिए डेढ़ साल में मैंने 7 लाख ख्0 हजार रुपए विभाग में जमा किए थे। विभाग ने हमें गुमराह किया और प्लॉट पर क्भ् महीने के भीतर कब्जे की बात कहकर फ्रॉड किया है। हमारे साथ करीब क्भ् और वेटरीनरी डॉक्टर हैं। हम लोगों ने फैसला किया है कि अगर विभाग प्लॉट पर पुराने रेट के हिसाब से यथाशीघ्र कब्जा नहीं दिलाता है तो हम क्रिमिनल एक्ट के तहत उस पर केस दर्ज करेंगे।
- डॉ। मोहम्मद फारूख, पशु चिकित्साधिकारी, बदायूं।
क्म्ख् मीटर जमीन के लिए ढाई हजार रुपए स्क्वायर मीटर के हिसाब से ख्00म् में पूरा पैसा विभाग के पास जमा कर दिया था। इस जमीन की कीमत ब् लाख भ् हजार रुपए के लिए मैंने एसबीआई से लोन लिया था। विज्ञापन के अनुसार ही सारा पैसा विभाग में जमा कर दिया था। तत्कालीन समय में अगर मैंने पैसा जमा नहीं किया होता तो आज विभाग नए रेट के तहत पैसे की डिमांड कर सकता था, लेकिन मैंने उस चार लाख रुपए के लिए बैंक में क्क्-क्ख् लाख रुपए ब्याज सहित जमा किया है। अगर नए रेट के नाम पर विभाग के अधिकारी उत्पीड़न की कोशिश करते हैं तो हम चुप नहीं बैठेंगे।
डॉ। सुनील राठौर, पशु चिकित्साधिकारी, पीलीभीत
हमारे साथ बीडीए ने चीटिंग की है। हमने ख्00 स्क्वायर मीटर जमीन के लिए जारी विज्ञापन के अनुसार भ्0 हजार रुपए पंजीकरण शुल्क जमा किया था। इस दौरान भूखंड संख्या क्07 के नाम पर विभाग ने आवंटन धनराशि भी जमा करवाया था। हर तीन महीने में किश्त वाइज पूरे भ् लाख रुपए विभाग ने हमसे फ्क् मई ख्008 तक वसूल किया था। तत्कालीन समय में अवार्ड न होने की बात कहकर विभाग जल्द ही जमीन पर कब्जा दिलाने का आश्वासन देता रहा। बार-बार रिमाइंडर के बाद भी बीडीए ने हमें अपने प्लॉट पर कब्जा नहीं दिया। अब अगर नई नीति के नाम पर एक्स्ट्रा पैसे की मांग की जाती है तो हम प्लॉट ओनर्स एकजुट होकर बीडीए के खिलाफ कोर्ट जाएंगे।
डॉ। बीसी कर्नाटक, मुख्य चिकित्साधिकारी, नैनीताल
नई नीति के तहत बढ़ी हुई जमीन की कीमत हम प्लॉट ओनर्स से लेंगे। इसके साथ दूसरी जमीन की भी कीमत बढ़ेगी। हम एसएलओ द्वारा निर्धारित कास्ट का इंतजार कर रहे हैं। इसके आधार पर ही प्लॉट ओनर्स को इंक्रीमेंट प्राइस के संबंध में सूचित किया जाएगा।
- गरिमा यादव, सेक्रेटरी बीडीए
क्7फ् हेक्टेयर जमीन के लिए अब बीडीए को कम से कम दोगुना खर्च करना पड़ेगा। इसकी सूचना मैंने विभाग को दे दी है। उम्मीद किया जा रहा है कि इस बढ़े हुए कास्ट का लोड विभाग प्लॉट ओनर्स के ऊपर डालेगा।
- लक्ष्मी शंकर सिंह, लैंड एक्विजीशन अधिकारी बरेली