फैक्ट एंड फिगर
30 शिकायतें डेली हैं आती
900 शिकायतें एक माह में
15 जमीनी विवाद
07 संबंद विच्छेद
04 मकान कब्जा
04 झगड़ा
04 शिकायतें एक माह में आ जातीं हैं जबरन शादी की
02 दिन में संबधित अधिकारी को भेजी जाती है
15 दिन में होता है निस्तारण
25 से 35 तक डेली बाई हैंड आतीं हैं शिकायतें
02 से 03 दिन में आती है पोस्ट
बरेली(ब्यूरो)। जनपद में लोगों के बीच विवाद के मामले बढ़ते जा रहे हैं। कहीं फैमिली टेंशन तो कहीं पर प्रॉपर्टी का विवाद पनप रहा है। इन विवादों में फंसे लोगों को इनसे बचने के लिए बस जिले के मुखिया यानि जिलाधिकारी का ही सहारा है। यह हम नहीं कह रहे, बल्कि कलेक्ट्रेट के डाक विभाग से मिले आंकड़े खुद इस बात को बयां कर रहे हैं। कलेक्ट्रेट में डेली सैकड़ों फरियादी आते हैं। इनमें कई ऐसे होते हैं, जो स्पेशली डीएम से शिकायत करना चाहते हैं, जिससे उनकी समस्या का समाधान जल्द से जल्द हो सके। इनमें सबसे अधिक शिकायतें संपत्ति विवाद की होती हैं। इसके साथ ही संबंध विच्छेद, मकान पर कब्जा, झगड़ा व माता-पिता द्वारा जबरन शादी करने की शिकायतें भी रहती हैं। कुछ शिकायतें लोग बाई हैंड भी देते हैं, जिनका निस्तारण ऑन द स्पॉट भी कर दिया जाता है। इसके अलावा अन्य विभाग की शिकायतों को संबधित अधिकारी को सौंपकर 15 दिनों में निस्तारित करने के लिए निर्देशित किया जाता है। इसके साथ ही पोस्ट से आई हुई शिकायतों को भी गंभीरता से लेते हुए उन्हें समय पर निपटाने का प्रयास किया जाता है।
संपत्ति विवाद के अधिक मामले
जनपद में एक माह में 900 से 1000 के बीच कंप्लेंट्स आती हैं। इनमें सर्वाधिक मामले संपत्ति विवाद के सामने आते हैं। कहीं पर पिता-पुत्र के बीच
तो कहीं भाई-भाई के बीच संपत्ति विवाद के मामलों की शिकायतें जिलाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत होती हैं। शिकायतकर्ताओं को जिले के मुखिया से आस लगी होती है कि वह जल्द से जल्द उसका निस्तारण करवा कर उन्हें राहत प्रदान करेंगे।
संबंध विच्छेद के भी बढ़ रहे केस
जिला अधिकारी के पास आने वाली शिकायतों में संबंध विच्छेद के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही थी। पिछले कुछ समय में लगातार गिनती में वृद्धि हो रही है। कुछ केसों में पिता पुत्र को संपत्ति से हमेशा के लिए बेदखल कर देता है। कहीं पुत्री को उसके गलत चाल-चलन की वजह से बेदखल किया जा रहा है। कुछ केसों में तो पुत्र ही पिता से रिश्ता तोड़ लेता है, जिसकी वजह होती है, पिता का जमीन न देना। इस कारण वे माता-पिता से अलग हो जाते हैं।
झगड़े के सबसे कम मामले
जितनी भी मामले डीएम के पास फरियादी लेकर आते हैं। उनमें सबसे कम मामले झगड़े के होते हैं। क्योंकि ज्यादातर लोग अलग-अलग तरह केस लेकर आते हैं। डेली झगड़े के मात्र तीन से चार ही केस आते हैं। वह भी संबंधित थाने या एसएसपी को भेज दिया जाता है। इनमें से भी जो मामले ऑन द स्पॉट सुलझाने के होते हैं, उन्हें उस समय ही पुलिस से निपटवा दिया जाता है। पिछले माह से लगातार झगड़े के मामले कम आ रहे हैं। इस तरह की शिकायतों पर डीएम खुद एसएसपी से बात करके जल्द कार्रवाई करने को बोलते हैं।
15 दिन में होती है कार्रवाई
जितनी भी शिकायतें डीएम के पास आती हैं। उन सभी के निस्तारण की 15 दिन की लिमिट होती है। उन्हें हर हाल में लिमिट के अंदर पूरा करना होता है। ऐसे में जिस तरह की शिकायतें होती हैं, उसी तरह से उनका निस्तारण भी किया जाता है। जिस विभाग की होती हैं, उस विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया जाता है कि उसे समय पर निस्तारित करें। इसके साथ ही अगर कोई अधिकारी समय पर निस्तारण नहीं करता तो उस पर भी कार्रवाई की जाती है।
ली जाती है अपडेट
सुनवाई के बाद जिन विभागों से शिकायत के निस्तारण के लिए कहा जाता है, उससे समय-समय पर अपडेट ली जाती है। इससे यह पता चलता रहता है कि कार्रवाई हो रही है या नहीं। ऐसे में अगर कार्रवाई में ढील हो रही है तो उससे संबंधित अधिकारी को तेजी से कार्रवाई करने को कहा जाता है। कुछ मामलों में पाया गया है कि डीएम के आदेश के बाद भी शिकायत को ठंडे बस्तें में डाल दिया जाता है। इस तरह की शिकायतें फिर पैंडिंग पड़ी रहती हैं। उनसे जुड़े फरियादियों को समाधान भी नहीं मिल पाता है।
वर्जन
डाक से आने वाली शिकायतों का अधिकतर समय सीमा के अंदर ही निस्तारण हो जाता है। कुछ शिकायतें जो बाई हैंड आती हैं, उनका निस्तारण ऑन द स्पॉट भी कर दिया जाता है।
प्रवीन जौहरी, प्रशासनिक अधिकारी