बरेली(ब्यूरो)। घरों व प्रतिष्ठानों से निकलने वाले वेस्ट को वर्षों से शहर के बाकरगंज स्थित खड्ड में डाला जा रहा है। यहां इतनी मात्रा में कूड़ा डाला गया है कि यह कूड़े के पहाड़ में तब्दील हो गया है। हर रोज यहां कूड़े के ढेर में रसायनिक क्रिया होने से आग लग जाती है, धुएं के गुबार बाकरगंज के बादलों को भी ढक देते हैैं। लेकिन, जनवरी से कूड़े के ढेर की सफाई के साथ ही कमाई का जिम्मा नगर निगम ने उठाया है। निगम की ओर से यहां पर लीगेसी वेस्ट प्लांट लगाया गया है। जिसकी शुरूआत इस वर्ष जनवरी में की गई थी। अब यहां पर प्लांट से कूड़े का निस्तारण किया जाता है, जिसमें इनर्ट, कंपोज्ड, सी एंड डी व आरडीएफ प्रोड्यूस होता है। इसमें से इनर्ट, कंपोज्ड व सी एंड डी को निगम द्वारा उचित मूल्य पर बेच दिया जाता है। लेकिन, आरडीएफ का इस्तेमाल न हो पाने के कारण यहां पर छह हजार टन आरडीएफ जमा हो चुका है, जिसके लिए निगम की ओर से प्रयास किए जा रहे हैैं। लेकिन, अभी तक सफलता हासिल नहीं हो रही हैं।
फैक्ट एंड फिगर
01 जनवरी 2022 में शुरू हुआ था संचालन
2.5 करोड़ रुपए है प्लांट की लागत
400 मैट्रिक टन रोज होता है कूड़ा निस्तारण
6000 टन स्टॉक हो गया है आरडीएफ
क्या है मशीन से निस्तारण का प्रोसेस
बाकरगंज में कूड़े के पहाड़ के पास लगाए गए इस प्लांट में चार चरणों में कूड़े का निस्तारण किया जाता है। इसके लिए सबसे पहले पोकलेन मशीन से प्लांट के फीडिंग अप्रेन में कूड़ा डाला जाता है, जिसके बाद यहां से वेस्ट बैलेस्टिक सेपरेटर पर जाता है। जहां 150 मिलीमीटर से अधिक मोटा कचरा अलग किया जाता है। यहां बड़े पत्थर, लोहा, ईंट, कांच अलग होकर नीचे गिर जाते हैैं। बाकि रिफ्यूज्ड डिराइव फ्यूल अलग हो जाता है। फिर 150 एमएम से छोटा कचरा कंवेयर बेल्ट से आगे 150 एमएम के ट्रॉमेल यानि जाली वाला ड्रम जो घूमता रहता है, उस पर गिरता हेै। इसे आरडीएफ और मोटा कूड़ा अलग होता है। फिर यह वेस्ट कंवेयर बेल्ट से 16 एमएम के ट्रॉमेल में जाता है। इससे आरडीएफ और इनर्ट अलग हो जाएगा। फिर छोटा माल कंवेयर बेल्ट से होकर छह एमएम के ट्रॉमेल में जाएगा।
वेस्ट से कितना निकलता है मैटेरियल
25 से 30 प्रतिशत आरडीएफ
10 प्रतिशत कंपोज्ड खाद निकलती है
15 प्रतिशत सीएंडडी
15 प्रतिशत कंक्रीट टाइप इनर्ट
25 से 30 प्रतिशत मॉइश्चराइजर
ट्रायल के लिए भेजा गया है आरडीएफ
नगर निगम की ओर से ग्रीनर्स एनर्जी एंड सोल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड को बाकरगंज प्लांट का काम दिया गया है। कंपनी के जीएम शुभम श्रोत्रिए ने बताया है कि आरडीएफ का इस्तेमाल सीमेंट व वेस्ट फैक्ट्री में ईंधन के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। प्लांट से 50 टन रिफ्यूज्ड डेराइव फ्यूल को सोनीपत स्थित कंपनी में भेजा गया था। अभी वहां पहले से स्टॉक लगा हुआ है, इसीलिए सप्लाई नहीं हो पा रही है। साथ ही ट्रांसपोर्टेशन का भी खर्च अधिक आता है। इसे इस्तेमाल करने वाली तीन कंपनी दिल्ली में हैैं, वहीं एक सोनीपत में हैैं। वहां भी स्टॉक पहले से मौजूद है। इस समय प्लांट पर पांच से छह हजार टन आरडीएफ मौजूद है, फिलहाल निगम की ओर से निविदा निकाली गई है। आरडीएफ की कॉस्ट 200 रुपए टन है। हमारी टीम ने एक वर्ष में एक लाख पच्चीस हजार टन वेस्ट का निस्तारण किया है।
वर्जन
लीगेसी वेस्ट प्लांट से निकलने वाले रिफ्यूज्ड डेराइव फ्यूल को कई स्थानों पर ट्रायल के लिए भेजा गया है। निगम की ओर से इसे फैक्ट्री के इस्तेमाल में लाने का प्रयास किया जा रहा है।
दिलीप कुमार शुक्ला, एक्सईएन, निर्माण विभाग