- किसी भी दुकानों पर नहीं लगी है रेट लिस्ट
- कमेटी गठित हुई और कोरम पूरा
- होलसेल और रिटेल मार्केट के प्राइस में काफी अंतर
BAREILLY:
रिटेल मार्केट में फल, सब्जी व अनाज आज भी चार गुना रेट पर ही मिल रहे हैं। एडमिनिस्ट्रेशन की रेट कंट्रोल करने की पहल बेअसर साबित हो रही है। इसी के साथ ही पब्लिक की खुशी भी काफूर हो गई, जो रेट कम होने के फरमान के बाद लोगों ने सजायी थी। पब्लिक रोज इस अरमान से बाजार में जा रही है कि आज सामान कुछ सस्ता मिलेगा। पर, अफसोस महंगाई पर कंट्रोल के लिए गठित कमेटी ने व्यापारियों की मनमानी के आगे घुटने टेक दिए हैं। मंडे को आई नेक्स्ट की टीम ने शहर के प्रमुख मंडियों का जायजा लिया। तो चौंका देने वाली यह सच्चाई सामने आयी, जो इस प्रकार है
कहीं नहीं दिखी रेट लिस्ट
एडमिनिस्ट्रेशन की पिछले दिनों, व्यापार मंडल, परचून ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन, गल्ला व्यापारी और फल व्यापारियों के साथ मीटिंग हुई थी। मीटिंग में दुकानों के सामने प्रोडक्ट्स की रेट लिस्ट लगाने की बात कही गयी थी। लेकिन, मंडे को जब आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने प्रमुख मंडियों का जायजा लिया तो, कहीं भी रेट लिस्ट नहीं दिखा। श्यामगंज, कुतुबखाना, नगर निगम, आईवीआरआई, सेटेलाइट, कोहाड़ापीर, चौपुला सभी जगह एक ही नजारा देखने को मिला। फल, सब्जी और गल्ला मंडी सभी जगह दुकानदार बिना रेट लिस्ट के ही अपना कारोबार करने में मशगूल दिखे। यहीं नहीं प्रत्येक मंडियों में एक ही सामान के प्राइस भी अलग-अलग थे।
मनमाना वसूल रहे दाम
सबसे अजीब बात यह रही कि, दुकानदार एडमिनिस्ट्रेशन के निर्देशों की धज्जियां उड़ाते हुए कस्टमर से मनमाना दाम वसूलते मिले। जबकि, बैठक में यह तय हुआ था कि रिटेलर पक्के उत्पाद जैसे दालें, गेहूं और चावल पर प्रति क्विंटल क्भ् परसेंट मुनाफा व कच्चे उत्पाद फल और हरी सब्जियों पर प्रति क्विंटल पर भ्0 परसेंट तक मुनाफा ले सकते हैं। यदि, कोई भी दुकानदार इससे अधिक दाम वसूल रहा है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात भी कही गयी थी। लेकिन, मंडे को श्यामगंज सब्जी मंडी में आलू क्0 रुपए केजी बिक रहा था। जबकि, डेलापीर थोक मंडी में नंबर एक आलू के दाम साढ़े ब् रुपए केजी रहा। कुछ ऐसा ही हाल अदरक को लेकर रहा। होलसेल मंडी की अपेक्षा रिटेल में अदरक फ्0 रुपए प्रति केजी एक्स्ट्रा रुपए वसूले जा रहे थे।
लाखों रुपए लगा रहे चूना
यदि, हम बरेली में रोजाना हरी सब्जियों, फलों और परचून सामग्रियों की बात करें तो, ख्0 करोड़ रुपए से अधिक का इनका बिजनेस है। बरेली में सिर्फ आलू और प्याज की खपत क्भ् ट्रक की है। एक ट्रक में एवरेज क्भ्0 क्विंटल आलू व प्याज आता है। डेलापीर होल सेल मंडी में करीब ख्भ्0 दुकानें है, जिनके यहां से शहर के अलावा आस- पास के एरिया में भी फल और सब्जियों की सप्लाई होती है। लेकिन, चंद कदम दूर से ही फल और सब्जियों को लाकर रिटेलर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। सोर्सेज से मिली जानकारी के मुताबिक, खाद्य सामग्रियों को महंगें दामों में बेच कर क् करोड़ से अधिक का चूना शहरवासियों को लगाया जा रहा है।
नाम की हो रही मॉनीटरिंग
दुकानदार निर्देशों का पालन कर रहे हैं कि, इसके लिए एडमिनिस्ट्रेशन ने एक कमेटी भी बना रखी है। कमेटी में मुख्य रूप से एसीएम, खाद्य सुरक्षा विपणन अधिकारी, पूर्ति निरीक्षक, बाट-माप, मंडी समिति, खाद्य सुरक्षा अधिकारी को शामिल किया गया है। ताकि, कमेटी होलसेल और रिटेल भाव की समीक्षा करती रहे। हालांकि, कमेटी ने एक दो बार छापेमारी कर चंद दुकानदारों का चालान भी काटा। लेकिन इससे भी कोई खास फायदा नहीं हुआ। कमेटी के ढुलमुल रवैया के कारण दुकानदार अपनी मनमानी बेखौफ कर रहे हैं।
सामान - होलसेल - रिटेलर
आलू - फ्.भ्0-ब्.भ्0 - 8-क्0
प्याज - 8-क्म् - ख्फ्-ख्भ्
टमाटर - 8-क्ब् - क्8-ख्0
हरी मिर्च - ख्ख्-फ्0 - ब्8-भ्0
अदरक - ख्म्-फ्8 - भ्8- म्0
सेब - ब्0-ब्भ् - म्0-80
अनार - ब्0-ब्भ् - 80-क्ख्0
अंगूर - फ्9-ब्भ् - भ्0-भ्भ्
हमारी नजर में महंगाई में कमी आयी है। यदि, कोई दुकानदार निर्देशों का पालन नहीं कर रहा है तो चेकिंग टीम की संख्या बढ़ाकर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
आलोक कुमार, एडीएम सिटी
दुकानदारों को मोटिवेट किया जा रहा है। जहां तक रेट लिस्ट की बात है रेट रोज अप डाउन हो रहा है। ऐसे में हर रोज नया रेट लिस्ट दुकान पर लगाना संभव नहीं है। इस संबंध में एडमिनिस्ट्रेशन से बात करेंगे।
राजेंद्र गुप्ता, युवा प्रदेश अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल
मंडी के हर दिन नए भाव खुलते है। टोटल मूल्य पर ढाई रुपए मंडी शुल्क लिया जाता है। यदि, मंडी में कोई निर्धारित रेट से अधिक में कोई सामान न बेचे इस बात का ध्यान दिया जाता है।
रहीम सिद्दीकी, मंडी सहायक
नंबर एक का आलू चार रुपए हम लोग रिटेलर को दे रहे हैं। बरेली में करीब दस ट्रक आलू की खपत डेली होती है। होलसेल के मुकाबले रिटेल मार्केट में काफी अधिक पैसे लोगों से लिए जाते है।
सरताज नबी, होलसेलर
हर दिन रेट लिस्ट लगा पाना संभव नहीं होता है। हम लोगों का यह उद्देश्य होता है कि, कस्टमर को बनाए रखना। बिजनेस में थोड़ा बहुत मारजिन रखकर ही सामाना बेचते है।
महेंद्र विक्रम सिंह, रिटेलर
महंगाई के आगे घर का बजट बिगड़ता जा रहा है। यहां पर चार दुकानों पर एक ही सामान के चार भाव देखने को मिलते हैं। इससे और भी समस्या होती है कि, कौन सा दुकानदार सही भाव में सामान दे रहा है। इस लिए रेट लिस्ट होना मस्ट है।
मोनिका सिंह, सर्विसपर्सन
दुकानों के सामने रेट लिस्ट होना बेहद जरूरी है। इससे दुकानदारों की मनमानी पर काफी हद तक रोक लग सकती है। लेकिन, यहां किसी भी दुकान के सामने रेट लिस्ट नहीं लगी है। रेट लिस्ट होने पर यदि अधिक पैसे वसूले जाते तो हमें कंप्लेन करने में आसानी होती।
दीपशिखा, हाउसवाइफ
प्रशासन की बहुत अच्छी पहल है। बशर्ते उसके निर्देशों को दुकानदार फॉलो करे। लेकिन, यहां पर दो दिन सख्ती के बाद ढिलाही होने से फिर उसी ढर्रे पर दुकानदार आ जाते है। समानता लाने के लिए कड़ाई करना बेहद जरूरी है।
जावेद, सर्विसपर्सन