-अचानक सब्जियों के रेट बढ़ने से किचिन का बिगड़ गया बजट
-बारिश से खराब हुई हरी सब्जियां तो आवक हुई कम, बढ़े रेट
बरेली:
फ्यूल के रेट बढ़ने के बाद अब हरी सब्जियों के रेट भी असमान छू रहे हैं। एक सप्ताह की बात करें तो सब्जियों के रेट दो गुना से चार गुना तक बढ़ गए हैं। इससे आम लोगों के किचिन का बजट बिगड़ गया है। इतना ही नहीं होटल आदि की थाली से भी हरी सब्जियां अब गायब सी हो रही है। लेकिन इस महंगाई की बात करें तो मंडी से निकलते ही सब्जियों के रेट सबसे अधिक फुटकर विक्रेता बढ़ाकर वसूल रहे हैं, जिससे आम जन परेशान हैं।
मंडी से निकलते ही चार गुना रेट
शहर की डेलापीर थोक मंडी की बात करें तो मंडी में टमाटर 20 रुपए किलो मिल रहा है तो मंडी से निकलते ही फुटकर विक्रेता उसे 80 रुपए किलो तक बेच रहे हैं। इतना ही नहीं मंडी में आलू थोक रेट में 11 रुपए किलो मिल रहा है तो वहीं फुटकर विक्रेता 30-35 रुपए तक वसूल रहे हैं। शिमला मिर्च थोक मंडी में 20 रुपए किलो मिल रही है, तो फुटकर में 80 रुपए तक बेंची जा रही है। हलांकि इस तरह मंडी से निकलते ही आखिर कैसे इतनी महंगाई बढ़ी है इसको लेकर आम जन तो परेशान हैं लेकिन फुटकर विक्रेताओं पर कोई लगाम भी नहीं है। फुटकर विक्रेता जहां पर जैसी डिमांड देखते हैं उसी अनुसार रेट भी वसूल लेते हैं।
बारिश में खराब हो गई सब्जी
मंडी के व्यापारियों की मानें तो हरी सब्जी बारिश के चलते खराब हो गई है। जिससे मंडी में हरी सब्जी की आवक घटी है। दूसरी तरफ फ्यूल के रेट बढ़ने से मंडी में आने वाली सब्जी पर खर्च भी बढ़ा है। इसके चलते भी सब्जी के रेट बढ़े हैं।
सब्जी थोक रेट फुटकर रेट
टमाटर 20 80
बैगन 6 40
हरी मिर्च 20 100
खीरा 10 40
अरबी 10 40
प्याज 18 40
लौकी 5 30
तोरई 15 40
कद्दू 8 40
भिंडी 12 40
आलू 11 35
शिमला 30 80
हरा धनिया 100 200
करेला 15 40
परबल 15 60
कटहल 12 60
कैसे मेंटेन करें बजट
-अब सब्जी के बारे में मत पूछिए। हर चीज के दाम बढ़ गए हैं। टमाटर लाल आखें दिखा रहा है तो भिंडी के भी नखरे हो गए हैं। आप दूसरी सब्जियों की बात छोडि़ए। आलू तक महंगा बिक रहा है। अब आम आदमी क्या करें।
गायत्री सिंह, टीचर
-महंगाई की वजह से घर के बजट को एडजस्ट करना पड़ रहा है लेकिन सब्जी तो रोजाना की जरूरत है। इसके बिना काम भी तो नहीं चला सकते हैं। खास कर हम महिलाओं को ही रसोई का बजट संभालना पड़ता है तो कैसी मुश्किल आती है। हम ही जानते हैं।
दीक्षा खन्ना, हाउस वाइफ
एक तो कोरोना की वजह से पहले से ही काम धंधा सब प्रभावित है। ऊपर से बढ़ती महंगाई ने कमर तोड़ दी है। सब्जियों के भाव इतने चढ़ गए है कि अब सब्जी खरीदने में भी सोचना पड़ता है। महंगाई बढ़ने से किचिन का पूरा बजट ही बिगड़ गया है।
जया अग्रवाल, गृहणी
सब्जियों के दाम बढ़ने से रसोई का बजट बढ़ गया है। हर चीज के दाम बढ़े हुए हैं। सब्जियों के दाम तो बढ़े ही है। सब्जी बनाने में जो दूसरे मैटेरियल लगते हैं, उनके दाम भी बढ़े हैं।
लोपा मुद्रा दास, गृहणी
क्या बोले थोक विक्रेता
सब्जियों के दाम में फर्क आया है। जो सब्जियां बाहर से आ रही हैं। उनके दाम में बढ़ोत्तरी हुई है क्योंकि आवक कम है। बारिश के कारण सब्जियों की फसल खराब हो गई है। साथ ही किराया भी बढ़ा है इसी कारण सब्जियों के रेट में उछाल आया है।
सलीम, सब्जी आढ़ती
फ्यूल के रेट बढ़ने और आवक घटने से एक साथ सब्जियों के रेट बढ़े हैं। लेकिन मंडी की अपेक्षा फुट कर मिलने वाली सब्जियों के रेट अधिक है। इसका रीजन है कि डिमांड के अनुसार रेट भी घट बढ़ जाते हैं। अभी बारिश के चलते हरी सब्जियां खराब अधिक हो गई। जिस कारण यह इफेक्ट दिख रहा है।
शुजा उर्र रहमान, अध्यक्ष मंडी