एलपीजी सिलेंडर की सप्लाईमें जानलेवा झोल
क्या आपको पता है कि आपके गैस सिलेंडर की एक्सपायरी डेट होती है। नहीं, तो अलर्ट हो जाइए। शहर की गैस एजेंसियों से होने वाली एलपीजी गैस की सप्लाई में जानलेवा झोल हैं। करीब-करीब सभी एजेंसियों से बेखौफ एक्सपायर्ड सिलेंडर डिलीवर किए जा रहे हैं। हम और आप इस जानकारी के अभाव में इस बम का खुशी-खुशी इस्तेमाल भी कर रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि घरों में यह बंद मौत जिला प्रशासन के संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत से पहुंच रही है।
आई नेक्स्ट का चेकिंग अभियान
सिविल लाइंस, कालीबाड़ी, मढिऩाथ, सैटेलाइट सहित कई स्पॉट्स पर गैस सिलेंडर ले जा रही ठेलियों पर आई नेक्स्ट ने चेकिंग अभियान चलाया। दिखा कि सभी में एक्सपायर्ड सिलेंडर लदे हुए हैं। सैटेलाइट और कालीबाड़ी में मौजूद इंडेन के सर्विसमैन को रोककर जब कॉमर्शियल और डोमेस्टिक सिलेंडर जांचे गए तो ज्यादातर कॉमर्शियल सिलेंडर एक्सपायर्ड निकले। सर्विसमैन से इस बारे में पूछा गया तो उसने जानकारी से इंकार किया। वहीं किला रोड पर भी यही कंडीशन देखने को मिली। यहां ठिलिया में भारत गैस के सिलेंडर की डिलीवरी जा रही थी। सेल्स मैनेजर से पूछा तो उसने इन सिलेंडर्स को एक्सपायर मानने से इंकार कर दिया। उनका कहना था कि हर सिलेंडर की डेट निकल जाने के बाद उसकी टेस्टिंग की जाती है। इसके बाद उन्हें दोबारा मार्केट में सप्लाई किया जाता है। हालांकि उन्होंने माना कि एक्सपायर्ड सिलेंडर गलती से मार्केट में चल रहे हैं।
सिलेंडर से मिसबिहेव
गैस एजेंसी के होल्डर ये मानते हैं कि सिलेंडर एक्सपायर होने बाद हाइली रिस्क जोन में पहुंच जाता है। ऐसे सिलेंडर कभी भी एक्सीडेंट के शिकार हो सकते हैं। दूसरे उनकी हालत लापरवाह हैंडलिंग से भी बिगड़ती हैं। ज्यादातर सिलेंडर जर्जर अवस्था में ही मार्केट मिलते हैं। गोडाउन से लेकर एजेंसी और फिर सर्विसमैन के जरिए आपके घर में पहुंचने वाले सिलेंडर मिसबिहेव के चलते बुरी कंडीशन में पहुंच जाते हैं। इस तरह के सिलेंडर की एक्सपायरी डेट के बाद एक्सीडेंट होने की संभावना लगभग 55 परसेंट तक बढ़ जाती है।
डिस्ट्रीब्यूटर भी बरत रहे लापरवाही
पेट्रोलियम कंपनी के एरिया सेल्स मैनेजर ने बताया कि अगर इस तरह के सिलेंडर मार्केट में मिल रहे हैं तो ये गलत है। सिलेंडर सिर्फ कंपनी की सप्लाई से ही आते हैं। ऐसे में एक्सपायर्ड सिलेंडर के लिए कंपनी की सप्लाई ही मुख्य रूप से दोषी है। वहीं डिस्ट्रीब्यूटर के एंड से भी भारी गलती हो रही है। हर सिलेंडर कुछ सेफ्टी चेक के बाद ही कंज्यूमर तक पहुंचाया जाना चाहिए। अगर ऐसे सिलेंडर मार्केट में मौजूद हैं तो स्पष्ट है कि डिस्ट्रिब्यूटर के एंड से सेफ्टी चेक के इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं।
त्योहारी सीजन में चलते हैं अभियान
जिला प्रशासन के अधिकारी सिर्फ फेस्टिव सीजन में ही चेकिंग अभियान चलाते हैं। जाहिर सी बात है कि बिना अधिकारियों की मिलीभगत के ये रैकेट चल ही नहीं सकता। ऐसे में एडमिनिस्ट्रेशन के जिम्मेदार अधिकारी भी सिलेंडर से होने वाले हादसों के बराबर जिम्मेदार हैं। इसमें उनके इनवॉल्वमेंट को इग्नोर नहीं किया जा सकता।
एलपीजी सिलेंडर है तो आप इंश्योर्ड हैं
एलपीजी कनेक्शन लेते ही कंज्यूमर का ऑटोमेटिक इंश्योरेंस हो जाता है। ये अलग बात है कि गैस एजेंसियां कंज्यूमर बेनिफिट के प्वाइंट को डिसप्ले नहीं करतीं। इसका खामियाजा कंज्यूमर को उठाना पड़ता है। कंज्यूमर इंश्योरेंस क्लेम ही नहीं करते। यही कारण है कि पिछले कई सालों में पेट्रोलियम कंपनियों के समाने इंश्योरेंस क्लेम के मामले नहीं पहुंच रहे हैं। गैंस एजेंसी के ओनर इसके लिए पेट्रोलियम कंपनियों को इसके लिए दोषी मानते हैं।
होता है 40 लाख का ईयरली बजट
इंडेन पेट्रोलिंयम कंपनी के एरिया सेल्स मैनेजर बताते हैं कि हमारी कंपनी में इंश्योरेंस के लिए 40 लाख का बजट होता है। अगर कंज्यूमर क्लेम करता है तो इसी बजट से उन्हें क्लेम दिया जाता है। अधिकतम क्लेम का मानक नहीं है लेकिन स्पॉट की तस्दीक के बाद तय किया जाता है कि कितना भुगतान होना है। कंपनी इलाज भी करवाती है।
सिलेंडर ब्लास्ट के कुछ हालिया केस
-2 मई को बिथरी चैनपुर में सिलेंडर लीकेज से धमाका। एक ही परिवार के 11 लोग झुलसे।
-22 मार्च को बारादरी के रोहली टोला में सिलेंडर ब्लास्ट से तीन बच्चे झुलसे।
-19 मार्च को कैंट पुलिस स्टेशन एरिया के उमसिया में गैस लीकेज से सिलेंडर फटा।
-9 मार्च सुभाष नगर में सिलेंडर लीकेज से लगी आग। लाखों का माल स्वाहा।
क्लेम के लिए ये करना होगा
एलपीजी सिलेंडर से एक्सीडेंट या डेथ के 24 घंटे के अंदर कंज्यूमर को गैस एजेंसी और लोकल पुलिस स्टेशन को इंफॉर्म करना होता है। इसके बाद गैस एजेंसी अपने रीजनल ऑफिस और वहां से इश्योरेंस कंपनी को मामला ट्रांसफर कर दिया जाता है। कंपनी जांच के बाद क्लेम का भुगतान करती है। एलपीजी एसोसिएशन की प्रेसिडेंट रंजना सोलंकी ने बताया कि एक्सीडेंट के बाद क्लेम करने के लिए इन मानकों पर कंज्यूमर को खरा उतरना होता है-
-रसोई में गैस यूज करते समय गैस का लेवल हमेशा चूल्हे से नीचे रखा जाना चाहिए।
-गैस कनेक्शन लीगल होना चाहिए।
-गैस एजेंसी द्वारा मिलने वाली एसेसरीज मसलन चूल्हा, गैस पाइप और रेगुलेटर का यूज होना चाहिए।
-प्लेस कंजेस्टेड नहीं होना चाहिए।
-वेंटिलेशन के लिए रसोई में चूल्हे के ठीक सामने से खिड़की न खोली जाए।
-गैस चूल्हे के आस पास से इलेक्ट्रिसिटी वायर नहीं जाने चाहिए।
-गैस जलाने के लिए लाइटर का यूज नहीं किया जाना चाहिए। अगर लाइटर का यूज किया भी जाए तो लाइटर फ्लेम वाला होना चाहिए।
ऐसे जानें एक्सपायरी डेट
-सिलेंडर के ऊपर 3 चौड़ी पट्टियां होती हैं। इन पर अंदर की तरफ अंगे्रजी में शब्द और गिनतियां लिखी होती हैं। इसी कोड के जरिए हम गैस सिलेंडर की एक्सपायरी डेट का पता लगा सकते हैं।
-इस कोड में ए, बी, सी और डी के साथ दो अंक लिखे होते हैं। इंग्लिश लेटर्स का मतलब मंथ से होता है। मसलन ए का मतलब साल के शुरू के तीन मंथ जनवरी, फरवरी और मार्च होते हैं। इसी तरह बी का मतलब अप्रैल-मई- जून, सी का मतलब जुलाई-अगस्त-सितंबर और डी का मतलब अक्टूबर-नवंबर-दिसंबर होता है।
-साथ ही संख्या में लिखा हुआ वो साल होता है, जिसमें सिलेंडर एक्सपायर होना होता है। उदाहरण के लिए सिलेंडर पर ए-12 लिखा हुआ है तो इसका मतलब है कि आपका सिलेंडर मार्च 2012 में एक्सपायर हो चुका है। इसी तरह अगर सिलेंडर पर डी 15 लिखा हुआ है, तो इसका मतलब है कि आपका सिलेंंडर दिसंबर 2015 में एक्सपायर होगा।
ये हैं सेफ्टी चेक
-डिस्ट्रीब्यूटर के एंड पर एक्सपायरी डेट चेक होनी चाहिए।
-सर्विसमैन को सिलेंडर का वेट चेक करना चाहिए।
-डिलीवरी जाने से पहले सील चेक करनी चाहिए।
-सिलेंडर के वॉल्व का लीकेज चेक होना चाहिए।
-ओवरिंग की चेकिंग जरूरी होती है।
-डिलीवरी ब्वॉय को चेक कर लेना चाहिए कि कही सेकेंड सिलेंडर तो नहीं कनेक्ट है।
-डिलीवरी ब्वॉय ये भी चेक करेगा कि सिलेंडर वर्टिकल ही लगा हो।
-वह ही चेक करेगा कि वेंटिलेशन प्रॉपर है कि नहीं।
नियमों की उड़ रही धज्जियां
2005 में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद पेट्रोलियम कंपनियों के लिए नियम लागू किया गया था। इसके मुताबिक, सिलेंडर इश्यू होने के 10 साल बाद टेस्टिंग होगी। फिर 5 साल में गोडाउन में रूटीन चेकिंग होती रहनी चाहिए। लेकिन एजेंसियों सोर्सेज के मुताबिक, इन नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। किसी भी पेट्रोलियम कंपनी के गोडाउन में चेकिंग प्रॉपर तरीके से नहीं हो रही है।
इंश्योरेंस संबधित जानकारी कंज्यूमर तक न पहुंच पाने के पीछे पेट्रोलियम कंपनियां दोषी हैं। उनकी तरफ से इसका प्रॉपर डिसप्ले नहीं हो पा रहा है। डिसप्ले ठीक से हो तो प्रॉब्लम नहीं रहेगी।
-रंजना सोलंकी, प्रेसिडेंट एलपीजी एसोसिएशन
ये बिलकुल सही बात है। नए कनेक्शन पर कंज्यूमर को इंश्योरेंस का बेनिफिट मिलता है। अगर जागरुकता की कमी आ रही है, तो हमारी कंपनी एजेंसी में डिसप्ले लगवाएगी।
-राजीव, एरिया सेल्स ऑफिसर, भारत पेट्रोलियम कंपनी
एक्सपायरी सिलेंडर का मामला सेंसिटिव है। यह किसी भी घर में बड़े हादसे की वजह बन सकता है। अगर ऐसा है तो हम इस बात की तह तक जरूर जाएंगे। इसके बाद दोषियों पर कार्रवाई भी करेंगे।
-कन्हैया लाल, डिस्ट्रिक्ट सप्लाई ऑफिसर
हमें इन मामलों में बयान देने का कोई अधिकार नहीं है। हमें इस मामले में कोई विशेष जानकारी भी नहीं है। हम कुछ नहीं बोल सकते।
-विमल, एचपी एरिया सेल्स मैनेजर
अगर ऐसे सिलेंडर पकड़ में आते हैं तो वे रूटीन चेकिंग से छूट गए होंगे। हम ऐसे सिलेंडर को आइडेंटिफाइ करके कार्रवाई करेंगे।
-राजीव, एरिया सेल्स मैनेजर, भारत पेट्रोलियम
एक्सपायर्ड सिलेंडर मार्केट में पहुंचना मुश्किल है। इसके पीछे कारण है कि सिलेंडर कई लेवल की जांच से गुजरता है। अगर फिर भी सिलेंडर मार्केट में हैं तो हम इसकी जांच करेंगे।
-पी प्रकाशन, एरिया सेल्स मैनेजर, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन