अब नहीं होती रिहर्सल
फाल्गुन वाली रामलीला के लिए हर साल अयोध्या से नाटक मंडली आती है। इस वर्ष श्री बजरंग विजय आदर्श श्री राम लीला मंडली के कलाकार रामलीला का मंचन कर रहे हैं। पिछले 8 बरसों से इस रामलीला के लिए यही टोली आ रही है। मंडली के प्रमुख कलाकार राजकिशोर मिश्रा ने बताया कि उनकी नाटक मंडली साल में 10 महीने लीला के मंचन के लिए बाहर ही रहती है। यह देश भर की एकमात्र रामलीला है जिसका मंचन फाल्गुन में होता है। यहां रंगों की मस्ती देखते ही बनती है। राजकिशोर हनुमान का किरदार निभाते हैं। इंट्रेस्टिंग बात ये है कि मंडली के सभी किरदार अपना मेकअप खुद करते हैं। साथ ही सभी कलाकार इतने अनुभवी हैं कि बिना रिहर्सल के ही रामलीला दिखाते हैं।
एक-दूसरे को सिखाते हैं संवाद
इस टोली में राम का किरदार रामखिलावन शर्मा बखूबी निभाते हैं। वह कहते हैं कि उन्होंने पांच साल पहले नाटक मंडली ज्वॉइन की थी। तब मंडली के सदस्यों ने ही उन्हें संवाद, मेकअप आदि सिखाया था। अब वह बिना रिहर्सल के ही लीला का मंचन करते हैं। गोपीकृष्ण दुबे मंडली के सबसे बुजुर्ग कलाकार हैं। उन्होंने बताया कि वह 40 साल से रामलीला से जुड़े हैं और लगभग सभी किरदार निभा चुके हैं। अक्सर वह मंडली में रावण और दशरथ का किरदार निभाते हैं।
जब मिले राम-सीता
मंडे को होली वाली रामलीला में नगर दिखावा और फूल बगिया की लीला का मंचन हुआ। नगर दिखावा की लीला में विश्वामित्र से आज्ञा लेकर राम-लक्ष्मण जनकपुरी देखने निकले। नगर में प्रवेश करते ही बालकों क ो देखने के लिए नगर वासियों की भीड़ उमड़ पड़ी। उसके बाद दो भाई फूल चुनने के लिए बगिया में पहुंचे। इसी समय सीता जी भी अपनी सखियों के साथ गौरी पूजन के लिए वहां पहुंच गईं। इसी मौके पर राम और जानकी का पहला मिलाप हुआ। सीता जी ने श्री राम को हृदय में बसाते हुए मां गौरी का पूजन किया। इसके बाद दोनों भाई भी विश्वामित्र के पास लौट आए। ट्यूजडे को धनुष यज्ञ की लीला का मंचन होगा।
पटाखे की जगह रंग
नृसिंग मंदिर के पुजारी पं। दत्तात्रेय जोशी ने बताया कि यह रामलीला शहर में 152 साल से लगातार हो रही है। फाल्गुन में होने वाली इस रामलीला को लेकर दो मान्यताएं हैं। पहली मान्यता के मुताबिक, होली में मौसम खुशनुमा हो जाता है, फसल पक चुकी होती है। लोग त्योहार की मस्ती में होते हैं। इस मस्ती को और भी बढ़ाने के लिए रामलीला का आयोजन किया जाता है। खास बात यह है कि इस रामलीला के दौरान खुशी के मौकों पर पटाखे की जगह रंगों का प्रयोग होता है। पौराणिक मान्यता के मुताबिक, वास्तव में रामायण में रावण वध फाल्गुन में ही हुआ था, न कि अश्विन में। परंतु इस मान्यता को पुष्ट करने के लिए कोई प्रत्यक्ष प्रमाण मौजूद नहीं है।
नृसिंग शोभायात्रा है खास
श्री रामलीला सभा के अध्यक्ष राममूर्ति मिश्रा ने बताया 18 दिन तक चलने वाली इस रामलीला की शुरुआत होली से पांच दिन पहले होती है। पहले दिन पताका पूजन से इसकी शुरुआत होती है। इस रामलीला में होने वाले धनुष यज्ञ, श्रीराम बारात, केवट संवाद और जुलूस, रावण-अंगद संवाद, कुंभकरण वध, मेघनाद वध, रावण वध, राजगद्दी के मंचन विशेष लोकप्रिय हैं। श्रीराम बारात में होली की जो उमंग देखने को मिलती है वह वास्तव में जोश से भरने वाली है। केवट संवाद का जुलूस भी रामलीला स्थल से साहूकारा तक निकलता है। इस रामलीला में नृसिंग शोभायात्रा अश्विन की रामलीला से अलग होती है। नृसिंग शोभायात्रा रंग वाले दिन सुबह 10 बजे से निकाली जाती है।
Reporte by: Nidhi Gupta