बनायी गयी टीम

मुख्यालय बोर्ड से निर्देश मिलने के बाद पॉल्यूशन रीजनल ऑफिस ने टीम का गठन भी कर दिया है। टीम में पांच लोग शामिल किए गए हैं। मिल और उद्योगों से निकलने वाले पानी की जांच में अगर यह पुष्टि होती है कि वेस्ट वाटर क्षमता से अधिक पॉल्यूटेड है तो उन पर कार्रवाई की जाएगी। मालूम हो कि बरेली रीजन में काफी सारे पेपर और शुगर मिल का पानी रामगंगा में मिलता है।

6 साल की सजा

बोर्ड के अधिकारियों की मानें तो वाटर की जांच करने के बाद सबसे पहले मुख्यालय को रिपोर्ट भेजी जाती है। उसके बाद उद्योग व मिल ओनर को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है। नोटिस के बाद कोई रिस्पांस नहीं मिलता है तो बोर्ड द्वारा बंदी का आदेश जारी किया जाता है। आदेश की अनदेखी करने पर जुर्माने के साथ 6 साल की सजा का भी प्रावधान है।

 कुंभ को लेकर बोर्ड तैयार है। इसके लिए टीम का गठन कर प्रॉपर पानी की जांच की जा रही है। किसी भी उद्योग और मिल द्वारा क्षमता से अधिक पॉल्यूटेड वाटर नदी में प्रवाहित किया गया तो उनके खिलाफ नोटिस जारी किया जाएगा।

-जितेंद्र लाल, रीजनल ऑफिसर, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड