डबल लाइन और गेज कन्वर्जन को हरी झंडी
इस बजट में बरेली रूट के दोहरीकरण की बात कही गई है। इनमें बरेली-फैजाबाद और कानपुर-कासगंज-मथुरा रूट शामिल है। इसके अलावा गेज कंवर्जन के लिए बरेली-लालकुआंऔर कासगंज-बरेली रूट को चुना गया है। इन रूट्स पर गेज कन्वर्जन के बाद बड़ी लाइन की ट्रेन चलने से बरेलियंस को फायदा होगा।
इलेक्ट्रिक रूट के लिए अभी और इंतजार
बरेलियंस को अभी इलेक्ट्रिक ट्रेन के लिए थोड़ा और वेट करना पड़ सकता है। बजट में रेल विद्युतीकरण परियोजना के इंस्पेक्शन में बरेली-चंदौसी सहित मुरादाबाद-अलीगढ़ रूट का एनाउंसमेंट तो किया गया है लेकिन पहले से जंक्शन पर खिंची इलेक्ट्रिक लाइन के लिए कुछ भी फाइनल नहीं हो सका है।
बेहतर होगी सफाई
रेल मंत्री ने हाउसकीपिंग बोर्ड बनाया है। उम्मीद है कि इसके बनने के बाद जंक्शन की सफाई और बेहतर हो जाएगी। गौरतलब है कि बरेली ए ग्रेड स्टेशन है। ऐसे में उम्मीद तो बहुत है।
तो पहले का इंस्पेक्शन हुआ नहीं
वित्तीय वर्ष 2010-11 के रेल बजट में तत्कालीन रेलमंत्री ममता बनर्जी ने लगभग 250 रूट्स पर इंस्पेक्शन करवाने की घोषणा की थी। बरेली मंडल में टनकपुर-जौलजीबी, नैनीताल-काठगोदाम, रामपुर- खलीलाबाद, कपिलवस्तु-कुशीनगर रेलवे ट्रेक भी शामिल थे। मजे की बात यह है कि पिछले एनाउंसमेंट एग्जीक्यूट हो नहीं सके हैं और नए इंस्पेक्शन के लिए एनाउंसमेंट कर दिया गया है। अब देखना है कि पूर्वोत्तर रेलवे कब तक इंस्पेक्शन कंप्लीट करता है।
ये नहीं रुकती यहां
ऐसी कई ट्रेनें हैं यहां जो रंथ्रू हैं और बरेलियंस जंक्शन पर उनके स्टॉपेज की डिमांड करते रहे हैं। बजट में बरेलियंस को इन ट्रेनों के रूट में एक पड़ाव, बरेली के जुडऩे की पूरी उम्मीद थी उम्मीदों पर पानी फिर गया. ये ट्रेनें हैं-
-कोलकाता-अमृतसर एक्सप्रेस 12357
-न्यू जलपाईगुड़ी- नई दिल्ली 12523
-न्यू जलपाईगुड़ी-अजमेर 19602
-मुजफ्फरपुर - नई दिल्ली 12557
-वाराणसी - जम्मू, दुरंतो एक्सप्रेस है.
बढ़े ट्रेनों के फेरे
शहर के पैसेंजर्स को कुछ वीकली एक्सप्रेस ट्रेनों के फेरे बढऩे का फायदा जरूर मिलेगा। ये एक्सप्रेस बरेली से होकर गुजरती हैं। वहीं एक पैसेंजर ट्रेन बरेली से ही बनकर चलती है। इन ट्रेनों के फेरे बढ़े हैं-
-बरेली-कासगंज पैसेंजर
-कानपुर-अमृतसर एक्सप्रेस
-दरभंगा-अजमेर एक्सप्रेस
-हावड़ा-लालकुआं एक्सप्रेस
-मुगलसराय एक्सप्रेस
-गोरखपुर-अहमदाबाद एक्सप्रेसअगर ट्रेन का फेयर बढ़ाया जा रहा है, तो मिलने वाली फैसिलिटी भी बढऩी चाहिए। यह रेलवे मंत्रालय का एकतरफा फैसला है। पैसेंजर्स की सहूलियतों के बारे में सोचना चाहिए।
-नवनीत, सर्विसमैन
विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क हमारे पास है लेकिन सर्विसेज की कसौटी पर इसे कसा जाए तो यह फेल हो जाता है। आए दिन एक्सीडेंट होते हैं। इस दिशा में रिसर्च की रिक्वायरमेंट है।
-विक्रांत सूरी, सर्विसमैन
बोगी में सफाई व्यवस्था, स्टेशन पर फूड क्वालिटी, टॉयलेट की फैसिलिटी से लेकर कई ऐसे प्वाइंट हैं, जहां पैसेंजर्स को परेशानियों से दो-चार होना पड़ता है। लचर सिक्योरिटी सिस्टम के चलते बोगियों में दुर्घटनाएं घटती ही रहती हैं। अब देखना है कि इस बजट की घोषणाएं कितनी सही साबित होती हैं।
-अरविंद कुमार, लॉ स्टूडेंट
कई ऐसे रूट्स पर बरेली से डायरेक्ट ट्रेन अवेलेबल नहीं है। 5 से 6 घंटे की जर्नी में 10 घंटे तक लग जाते हैं। उम्मीद थी कि इस बजट में बरेलियंस को कोई सौगात मिलेगी लेकिन अब लगता है कि हालात तो पहले जैसे ही बने हुए हैं।
-आदित्य चंद्रा, पॉलिटेक्निक, स्टूडेंट
इलेक्ट्रिक ट्रेन की दरकार कब से बरेली में है। लाइन होने के बावजूद बरेलियंस इस सुविधा से महरूम हैं। मंत्री जी को एनाउंसमेंट में इस बात का भी ख्याल रखना था। लगता है अगले बजट तक इलेक्ट्रिक ट्रेन हमें नसीब नहीं हो सकेगी।
-सुमित श्रीवास्तव, सर्विसपर्सन
जनरल बोगियों में ठसाठस भरे पैसेंजर्स की कंडीशन कितनी बुरी होती है, यह अगर मंत्री जी खुद देख लें तो शायद इनकी संख्या बढ़ा देते। जनरल बोगियों की संख्या न बढऩे से आम आदमी बदतर हालत में सफर करने को मजबूर है।
-वीके दांगी, सर्विसपर्सन
रेलवे सबसे ज्यादा नौकरियां यूथ को प्रोवाइड करता है। करंट बजट में भर्तियों की एनाउंसमेंट के बाद काफी उम्मीद जुड़ गई है। अब देखना होगा कि कितनी जॉब मार्केट तक पहुंचती है।
-कुमार मनु, स्टूडेंट
रेल फ्रेट बढऩा मध्यमवर्गीय परिवारों पर सीधी चोट है। रोजमर्रा में नौकरी पेशा लोगों के लिए अब सफर महंगा हो गया है। डेली अप-डाउन करने वालों को खासी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।
-हर्षित, स्टूडेंट
किराया बढ़ाया है तो सहूतियतें भी बढ़ानी चाहिए। टीटीई द्वारा और रिजर्वेशन काउंटर पर हो रही मनमानी पर शिकंजा कसने के लिए उचित कदम उठाए गए होते तो बेहतर होता।
-निधि, स्टूडेंट
लालकुआं रूट बंद है। आगरा, मथुरा और मुम्बई जैसी जगहों पर सीधी ट्रेन नहीं मिल रही है। बजट से उम्मीद थी कि शायद कुछ ट्रेनों के तोहफे मिलेंगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
-रूबी, स्टूडेंट
गल्र्स के लिए ट्रेन में सिक्योरिटी का स्तर बेहद खराब है। इसके लिए भी कुछ प्रावधान होने चाहिए थे लेकिन रेल बजट से मायूसी ही हाथ लगी है। बरेली को तो बजट में कुछ नहीं मिला है।
-सुनीता, स्टूडेंट