अमन की दुआ के लिए उठे हाथ

रमजान का पाक महीना, जुमे का दिन, इबादत के लिए उठे हाथ, होठों पर दुआ के बोल, चेहरों पर अमन की उम्मीद जुमे की नमाज के दौरान शहर की मस्जिदों का माहौल ऐसा ही दिखा। यहां हर कोई बस शहर की शांति, भाईचारा, प्यार, मोहब्बत बरकरार रखने की बात कर रहा था। हर नमाजी की जुबान पर शहर का चैन-ओ-अमन लौटाने की बात थी। हो भी क्यों ना जब हर मस्जिद में नमाज शुरू होने से पहले इमाम ने बरेली में अमन की वापसी के लिए दुआ की हो।

इमाम, मौलाना भी हुए शामिल

शहर की शाही जामा मस्जिद में मुख्य नमाज अदा की गई। इसके अलावा ऐतिहासिक नौमहला मस्जिद, दरगाह-ए-आला हजरत में भी नमाजियों की काफी भीड़ रही। जोगी नवादा में कफ्र्यू में ढील ना होने की वजह से संगीनों के साए में नमाज अदा की गई। खानकाही मस्जिद में सज्जादानशीन हजरत शाह मोहम्मद हसनैन ने जुमे की नमाज अदा कराई।

मदीना शरीफ में बरेली के अमन की दुआ

जमात रजा-ए-मुस्तफा के प्रवक्ता मौलाना शहाबुद्दीन ने बताया कि मुफ्ती आजम-ए-हिंद हजरत अजहरी मियां इस समय साऊदी अरब गए हुए हैं। उन्होंने वहां मदीना शरीफ में बरेली के अमन शांति की दुआ की है। उन्होंने दुआ की है कि शहर वासियों की जिंदगी मामूल पर आए।

रमजान सबसे पाक महीना है और जुमा सबसे पाक दिन। जो लोग पूरे महीने का रोजा नहीं रखते हैं, जुमे के दिन तो वह भी रोजा रखते हैं। खुतवा पढ़ते हैं। इबादत में मशगूल रहते हैं। रमजान के पहले जुमे के दिन सभी लोगों ने शांति का पैगाम दिया है। नमाज के दौरान शहर की अमन और शांति की दुआ की।

-नासिर कुरैशी, प्रवक्ता, दरगाह-ए-आला हजरत

रमजान शरीफ के पहले जुमे के दिन लोगों जोश-ओ-खरोश बहुत ज्यादा होता है। बच्चे भी काफी उत्साहित रहते हैं। इस मौके पर सभी मस्जिदों के इमाम ने सबसे पहले बरेली के अमन के लिए दुआ की। सामूहिक रूप से की गई दुआ जल्दी जल्दी कबूल होती है। इसलिए जुमे के दिन सामूहिक नमाज का आयोजन होता है।

-मौलाना शहाबुद्दीन, प्रवक्ता, जमात रजा-ए-मुस्तफा

जुमे के दिन नमाज का सवाब बढ़ जाता है। जुमे के दिन इबादत करने से इसकी हजीलत बढ़ जाती है। नमाज के बाद कौमी एकता का जज्बा कायम करने, माहौल खुशगवार बनाने, अमन की वापसी की दुआ की गई। दुआ में शरारती तत्वों के कामयाब ना होने और शहर में प्यार-मोहब्बत भाईचारा बरकरार रहने के लिए भी हाथ उठे।

-शब्बू मियां, प्रबंधक, खानकाह-ए-नियाजियां

जुमा दिनों का सरदार है तो रमजान महीनों का। इस महीने में तो फरिश्ते भी खुतवे सुनने आते हैं। बारिश और खुतवे के दौरान जो दुआ मांगी जाती है वह हमेशा पूरी होती है। नमाज में शहर की शांति की दुआ मांगी गई। इस दौरान शहर का अमन-चैन बरकरार रखने की भी दुआ की गई।

-शम्शुल हसन खां, इमाम-ए-जुमां, शिया जामा मस्जिद

बेचैनी के साथ अदा हुई पहले जुमे की नमाज

जुमे का खास दिन मगर नमाजियों चेहरे पर बेचैनी साफ दिख रही थी। सभी शहर में चल रहे कफ्र्यू की वजह से परेशान थे। यूं तो हमेशा इस मौके पर उनके चेहरे पर अलग सा उत्साह होता था। वहीं इस साल कफ्र्यू ने जुमे का मजा फीका कर दिया। हालांकि प्रशासन ने जुमे की नमाज के लिए ढील दी थी। फिर भी नमाजियों के चेहरे पर इस दिन को खुलकर सेलिब्रेट ना कर पाने की मायूसी साफ दिखी।

रहम फरमा मुस्तफा के वास्ते

मायूस बैठे नजर आए

प्रशासन ने नमाज अदा करने के लिए दोपहर 12:30 बजे से 3 बजे तक की छूट दी थी। शाहदाना रोड पर बैठे नमाजियों का कहना था कि इस साल कफ्र्यू की वजह से जुमा बेमजा हो गया। हर साल तो इस मौके पर घरों में जुमे के दिन घर में मीट, तीन -चार तरह की सब्जी और पकौड़े समेत कई चीजें बनती थीं। मगर इस साल कफ्र्यू के चलते कुछ भी नहीं हो सका। इतना ही नहीं नमाजी अपने चाहने वालों के घर जाकर हर साल जुमे की बधाई देते थे। मगर इस बार तो वे किसी के घर भी नहीं जा सके। कफ्र्यू की वजह से नमाज अदा करके उन्हें सीधे अपने घर लौटना पड़ा।

इस बार जुमे की नमाज बहुत फीकी रही। ना किसी के घर जा पाए और ना आ पाए। कफ्र्यू की वजह से किसी के घर जाकर बधाई भी नहीं दे पाए।

-गुड्डू मियां

हर साल तमाम तरीके के पकवान बनते थे मगर इस साल कफ्र्यू की वजह से मार्केट बंद रहा। कुछ भी खास नहीं बन पाया।

-तसलीम

भले ही प्रशासन ने कफ्र्यू में ढील दे रखी है। इसके बावजूद भी अच्छा नहीं लग रहा है। इस साल कफ्र्यू की वजह से सारा मजा बेकार हो गया।

-शरीफ

यह कफ्र्यू खत्म हो जाना चाहिए। इससे किसी को फायदा नहीं होने वाला। कफ्र्यू होने की वजह से जुमे की नमाज तो अदा कर रहे हैं मगर पिछले साल जैसी रौनक नहीं रही।

-सिराज