love birds के नए 'घोंसले'
लेकिन छुप-छुप के मिलने से मिलने का मजा तो आएगानाइंटीज का ये हिट गाना आज भी लव बड्र्स पर फिट बैठता है। बस बदली हैं तो छुप-छुप के मिलने वाली जगह। पार्क, रेस्टोरेंट और थिएटर्स जैसे कन्वेंशनल प्वाइंट्स छोड़कर लव बड्र्स ने अपने लिए नए घोंसले तलाश कर लिए हैं। कोई दुनिया की नजरों से बचना चाहता है तो कोई कोई पॉकेट पर बोझ नहीं डालना चाहता। रीजन कपल टु कपल वैरी कर सकता है पर जैसा कि बड़ी पुरानी कहावत है इश्क छिपाए नहीं छिपता, आई नेक्स्ट को भी प्यार करने वालों के नए प्वाइंट्स मिल ही गए।
हॉस्पिटल में 'दिल के मरीज'
दिल का रोग लगा बैठे कपल्स के लिए डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल से परफेक्ट प्लेस भला क्या हो सकता है। बस एक रुपए का पर्चा बनवाया फिर जितनी देर चाहो, एक-दूसरे की बातों में खोए रहो। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल लव बड्र्स का नया मीटिंग प्वाइंट बनकर उभरा है। महिला व बच्चा वार्ड के पीछे, आई डिपार्टमेंट और इमरजेंसी के ऊपर वाले वार्ड में लव कपल्स आसानी से दिख जाएंगे। मिलने के लिए शहर के बीचो-बीच और इतनी सस्ती जगह दूसरी कौन सी हो सकती है। खास बात ये है कि 2 बजे के बाद ओपीडी बंद होते ही हॉस्पिटल के ज्यादातर हिस्सों में सन्नाटा हो जाता है। इसके बाद ये जगह लव बड्र्स से गुलजार हो जाती है।
साइबर कैफे में जुड़ते हैं 'दिल के कनेक्शन'
प्यार के नए मीटिंग प्वाइंट्स में साइबर कैफे भी शामिल हैं। मोहब्बत के परवाने इन
साइबर कैफे के बंद बक्सों में मिलना सबसे सिक्योर मान रहे हैं। न घरवालों की किच-किच, न शक करने की कोई गुंजाइश। बटलर प्लाजा के एक साइबर कैफे ओनर बताते हैं कि कपल्स यहां खूब आते हैं। कभी कभी तो कम्प्यूटर भी नहीं खोलते। बस बातचीत से ही उनका मतलब रहता है। खर्चे के नाम पर बस 10 से 15 रुपए घंटा।
जंक्शन पर 'प्यार की ट्रेन'
पटरी पर दौड़ती ट्रेन पैसेंजर्स को डेस्टिनेशन के और लव बड्र्स को एक-दूसरे के करीब पहुंचाती है। जी हां, आजकल यूथ के दिल की धड़कनें रेलवे स्टेशन पर घटती-बढ़ती हैं। बरेली जंक्शन पर प्यार की पींगे बेरोकटोक बढ़ रही हैं। जंक्शन भले ही आइडियल रेलवे स्टेशन न बन सका हो लेकिन प्रेमियों के लिए आइडियल प्लेस जरूर बन गया है। यहां भीड़ में भी वे अपने लिए तन्हाई खोज ही लेते हैं। खर्चा बस 5 रुपए के प्लेटफॉर्म टिकट का। यही हाल जंक्शन के अलावा सिटी स्टेशन व स्टेशन का भी है।
मॉल है राइट च्वाइस
बदलते दौर में मॉल मस्ती का नया डेस्टिनेशन बनकर उभरे हैं। इसमें कपल्स की भी चांदी हो गई है। शहर के दो मॉल पीलीभीत हाइवे और परसाखेड़ा में हैं। दोनों शहर से थोड़ा दूर हैं पर यही बात लव बड्र्स के लिए वरदान है। इस डिस्टेंस को वे झट से उड़कर पार कर लेते हैं। नॉर्मली फैमिलीज वहां वीकेंड्स में ही जाती हैं इसलिए बाकी के दिनों में प्रेमियों की बल्ले-बल्ले रहती है। यहां बस पार्किंग का पेमेंट करिए और जितनी देर चाहो मौज करो। पेट पूजा के लिए फूट कोर्ट का भी अच्छा ऑप्शन है।
अनसेफ और कॉस्टली थीं वो जगहें
कन्वेंशनल लव मीटिंग प्वाइंट्स पर गौर करें तो ये खर्चीले और रिस्की रहते थे। फिर चाहे वह बिजी रोड के बगल में पार्क का ओपेन एरिया हो या रेस्टोरेंट की खर्चीली टेबल। हर जगह जान-पहचान वालों के देख लेने का डर लगा रहता था। कॉलेज के स्टूडेंट्स दोपहर और ऑफिस के कामकाजी कपल्स शाम को पार्क का फुल यूज करते थे मगर आजकल तो पार्कों में प्यार के दुश्मन बन चुके स्वयं सेवी संगठन और पुलिस कॉन्स्टेबल का आंतक बढ़ गया है। कोई कपल इनके हाथ लग गया तो बस शामत ही समझिए। वहीं रेस्टोरेंट में मिलना तो पॉकेट पर डाका पडऩे जैसा है। इन परेशानियों से छुटकारा पाने की जरूरतों ने ही नए प्वाइंट्स को जन्म दिया। लव बड्र्स अब पेड़ों की छांव छोड़कर मॉल, रेलवे स्टेशन और डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की तरफ रुख कर चुके हैं।
पार्क तो अब बीते जमाने की बातें हैं। ये न तो सिक्योर हैं और न ही स्टैंडर्ड। शहर में दो मॉल खुल गए हैं। इत्मिनान से वहां जाइए और बैठिए। ज्यादा खर्च भी नहीं होता और एक स्टैंडर्ड भी बना रहता है।
-अंकित, प्रोफेशनल
महंगाई के आगे तो सब हारे हैं। रेस्टोरेंट में कई बार आना-जाना पॉसिबल नहीं होता। वैट के साथ सर्विस टैक्स और लगा देते हैं। अब तो बस हॉस्पिटल या रेलवे स्टेशन जाओ और मजे से बैठो।
-शोभित, सर्विसपर्सन
मेरी शादी नहीं हुई थी तो फिऑन्से को घुमाने के लिए जाना होता था। फैमिली मेम्बर्स से बचना भी होता था। इसलिए पार्क में न मिलकर मॉल में मिलते थे।
-पवन अग्रवाल, व्यवसायी
old love points
* फूलबाग, कैंट
* चिल्ड्रन पार्क, कैंट
* मयूर वन चेतना केंद्र, पीलीभीत बाईपास ४गांधी उद्यान, रामपुर गार्डन
* अग्रसेन पार्क, रामपुर गार्डन
* अक्षर विहार, सिविल लाइंस
new love points
* डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल ४रेलवे स्टेशन
* साइबर कैफे
* मॉल