शहर में पीडब्ल्यूडी ने छोड़े आधे-अधूरे काम
बारिश होते ही तैयार हो जाते हैं हादसों के प्वाइंट
BAREILLY: मानसून दस्तक दे चुका है और इस बारिश में आपके फिसलकर गिरने के लिए जिम्मेदारों ने पहले से ही गढ्डे खोद कर छोड़ दिए हैं। असल में हम बात कर रहे हैं, पीडब्ल्यूडी की कारगुजारियों की। बीते कुछ दिनों से आपस में ही लड़ कर सुर्खियों में रहने वाले विभाग के जिम्मेदारों की उदासीनता का खामियाजा आने वाले दिनों में बरेली की पब्लिक को उठाना तय है।
सड़क किनारे मिट्टी और बजरी का ढेर
खस्ताहाल हो चुकी रोड, कंस्ट्रक्शन के चलते और भी खराब हालत में पहुंच चुकी हैं। सौ फुटा रोड़ के किनारे पेड़ और पोल शिफ्टिंग के बाद गड्ढों और निर्माण कार्य में प्रयोग होने वाली सामग्रियों का रोड किनारे अंबार लगा है। सड़क की ऊपरी पर्त उखाड़ देने से दो हिस्सों में बंटी सड़क से निवासियों के मुताबिक आए दिन राहगीर चोटिल हो रहे हैं। वहीं, बारिश में हालात और भी बुरे हो जाएंगे। दूसरी ओर बदायूं बरेली कंस्ट्रक्शन के चलते एक तरफ की सड़क पर रोड़े डालकर काम बंद है। शहर के सबसे अधिक रश वाला एरिया कालीबाड़ी में ठेकेदार ने पेड और पोल शिफ्टिंग के बहानों से काम बंद कर रखा है। रोड़ के एक तरफ गहरे गड्ढे खोदकर खुला छोड़ दिया है, जिससे आसपास के छोटे व्यापारियों का धंधा तक चौपट होने की ओर है।
कारोबार में कचड़े में फंसा
मानसून की पहली बारिश ने शहर को भिगो दिया है। आने वाले दिनों में भी जमकर बारिश की संभावना जताई जा रही है। सुस्त रफ्तार से चल रहे कंस्ट्रक्शन वर्क्स बंद होने की पुख्ता संभावना से एक ओर जहां निवासियों में खुदे गहरे गड्ढों में जलभराव, कीचड़, सिल्ट में फिसलन होने से दुर्घटना, कारोबार चौपट और जलभराव से तमाम बीमारियां होने का डर समाया है। सौ फुटा के कारोबारियों ने बताया कि महीनों से चल रहे काम में प्रगति के बजाय अवरोध ज्यादा दिखाई आ रहे हैं। निर्माणाधीन रोड पर बड़ी गिट्टियां और गहरे गड्ढे बन गए हैं। खराब रास्तों की वजह से कस्टमर भी आने से कतराते हैं। खासकर मार्बल्स का बिजनेस तो पूरी तरह से चौपट हो गए हैं। वहीं, अगर जमकर बारिश हुई तो करीब दो माह तक एक भी कस्टमर इस ओर का रुख नहीं करेगा।
करोड़ों के काम अटके
निर्माण के दौरान कभी विवादों और विभागों के लेटलतीफी से काम में बाधा पड़ रही थी। जिन्हें किसी तरह सुलझाया गया तो अब मानसून का कहर मंडराने लगा है। जिससे करीब दो माह तक काम प्रभावित रहेगा। पीडब्ल्यूडी की ओर से सिटी में कई जगह चौड़ीकरण, सुंदरीकरण का कार्य चल रहा है। अधिकारियों के अनुसार, सभी कार्य मुख्यमंत्री के आदेश के बाबत किए जा रहे हैं। इसमें करीब क्ख् करोड़ 7फ् लाख की लागत से सौ फुटा पर फोरलेन बनाने का कार्य किया जा रहा है। करीब पंाच करोड़ की लागत से शहामतगंज से चौपुला पर फोरलेन और ख्80 करोड की लागत से बरेली बदायूं फोरलेन का कार्य किया जा रहा है, जिनपर मानसून की आहट से ग्रहण की संभावना है।
ठेकेदार पर रीमेंटेनेंस का जिम्मा
इस बाबत पीडब्ल्यूडी अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से बचाव करते नजर आते हैं। अधिकारियों के मुताबिक टेंडर के दौरान नियम व शर्तो में कहीं भी बारिश के दौरान काम बंद होने का जिक्र नहीं है। रोड़ कंस्ट्रक्शन की जिम्मेदारी ठेकेदारों की होती है। विभाग का कार्य केवल क्वालिटी और टाइम मेनटेन करने का होता है। जानकारों के मुताबिक, बारिश के दौरान वर्कर्स काम नहीं करना चाहते। ऐसे में जब तक मानसून रहेगा काम चालू रखने से केवल लॉस ही होगा। दो माह तक बेकार बैठे कर्मचारियों को वेतन का भुगतान करना ना पड़े। इसलिए काम पर अंकुश लगाना ठेकेदारों की मजबूरी होती है। ऐसे में बारिश के बाद, पूर्व में हुए निर्माण को दोबारा रीनटेन कराने का खर्च ठेकेदार अपनी जेब से करते हैं। वहीं, अगर काम समय पर पूरा नहीं होता है, तो सिक्योर्टी मनी भी जब्त की जा सकती है।
निर्माण कार्य में हो रही लेटलतीफी की वजह से धंधा चौपट हो रहा है। क्ख् वर्षो से देख रहा हूं बारिश के दौरान इन गडढों में गिरने की वजह से कितने ही लोग गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं।
सुरेश पाल, शॉप ओनर
सौ फुटा रोड़ पर करीब 800 से ज्यादा शॉप्स हैं। बारिश में इधर कोई भी ग्राहक दिखाई नहीं देता। जो आते हैं वह भी दुर्घटना के अंदेशों के कारण रुकते नहीं। करीब दो महीने तक धंधा पूरी तरह से बंद रहता है।
पूनम, निवासी
रोड़ कंस्ट्रक्शन की लेटलतीफी की वजह से मार्बल्स का बिजनेस खत्म होने की कगार पर पहुंच चुका है। ठेकेदार और अधिकारियों की मिलीभगत के चलते ही कंस्ट्रक्शन लेट हो रहा है।
कुलदीप पाठक, शॉप ओनर
बारिश में सड़कों पर हॉटमिक्स, डब्ल्यूबीएम, कोलतार के काम से मजबूती नहीं आती। करीब दो माह तक कंस्ट्रक्शन वर्क बंद करना हमारी मजबूरी है। ऐसा ना करने पर लेबर और रिकार्पेटिंग में ही हम बर्बाद हो जाएंगे।
मुनीष शर्मा, ठेकेदार
बारिश में बेकार हुए कंस्ट्रक्शन वर्क्स पर रिकॉरपेंटिंग की जिम्मेदारी ठेकेदार की होती है। टेंडर के दौरान बारिश में काम बंद करने जैसे कोई भी नियम कानून व शर्ते लागू नहीं होती।
सैय्यद खुशनूद अली, एक्सईएन, पीडब्ल्यूडी निर्माण खंड विभाग