Customers नहीं खाएंगे धोखा
अगर अब कोई ज्वैलर आपसे कहे कि वह ज्वैलरी को 80 परसेंट की कीमत पर वापस लेगा तो अलर्ट हो जाइए। इसका मतलब कि कहीं न कहीं मालप्रैक्टिस हो रही है। दरअसल कैरेट को लेकर अक्सर कस्टमर धोखा खा जाते हैं। ज्वैलर ज्यादा कैरेट का सोना बताकर कम कैरेट वाला सोना बेच देते हैं। हरसहायमल श्यामलाल ज्वैलर्स के डायरेक्टर अंकुर आनंद ने बताया कि 80 परसेंट वापसी वाली ज्वैलरी की प्योरिटी केवल 19 कैरेट की होती है। कस्टमर अब तक पता नहीं लगा पाते थे कि सोना कितने कैरेट का है लेकिन हॉलमार्क से सोने की शुद्धता का पता लगा सकते हैं। ज्वैलरी के पीछे यूज होने वाले सोने का कैरेट मेंशन किया जाता है। इसलिए मालप्रैक्टिस खत्म हो जाएगी। एक अनुमान के मुताबिक, मालप्रैक्टिस से साल भर में कस्टमर्स को 15 से 20 करोड़ का लॉस होता है।
Quality based competition
राम कुमार ज्वैलर्स के ओनर संदीप अग्रवाल ने बताया कि हॉलमार्क से कम्पिटिशन क्वालिटी बेस्ड हो जाएगा। कस्टमर को पूरी वैल्यू का प्योर गोल्ड मिलेगा। अंकुर आनंद बताते हैं कि कॉम्पिटिशन एकदम फेयर हो जाएगा। मार्केट में वही सरवाइव करेंगे जो कस्टमर को बेटर क्वालिटी और सर्विस प्रोवाइड करेंगे। जब आप सोना बेचेंगे तो जितने कैरेट का होगा, उसके प्रेजेंट रेट पर बिक सकेगा। बस मजदूरी काटी जाएगी।
बस 4 hallmark centre
इंडिया में केवल चार हॉलमार्क सेंटर हैं, वह भी चारों मेट्रो सिटीज में। आरपी ज्वैलर्स के प्रशांत ने बताया कि ज्वैलर्स को परेशानी न हो इसके लिए गवर्नमेंट को और भी हॉलमार्क सेंटर खोलने चाहिए। नहीं तो ज्वैलर्स को बहुत ज्यादा सफर करना पड़ेगा वहीं बीआईएस के चारों हॉलमार्क सेंटर्स पर बर्डन बढ़ जाएगा। राम कुमार ज्वैलर्स के ओनर संदीप अग्रवाल ने बताया कि यूपी एक बिग स्टेट है। गोल्ड की खपत ज्यादा है। ऐसे में कम से कम स्टेट में 5-6 हॉलमार्क सेंटर होने चाहिए।
खो जाएंगे small businessmen
हॉलमार्क कंपल्सरी होने से स्मॉल ज्वैलर्स डर गए हैं। उन्हें अपना बिजनेस चौपट होने का खतरा लग रहा है। बीआईएस से रजिस्टर्ड ज्वैलर्स ही ज्वैलरी सेल कर पाएंगे। ऐसे में छोटे कारोबारियों का बिजनेस ठप होने की संभावना बढ़ गई है। उनका बिजनेस लो बजट और कस्टमर की बार्गेनिंग पर चलता है।
मुख्य बातें
-कस्टमर्स को मिलेगा प्योर गोल्ड।
-वापसी में मजदूरी के अलावा कुछ नहीं कटेगा।
-कैरेट के नाम पर होने वाली मालप्रैक्टिस नहीं हो सकेगी।
Hallmark के तहत 5 निशान compulsory होंगे
-बीआईएस का स्टैम्प।
-कैरेट की शुद्धता।
-बीआईएस मान्यता प्राप्त हॉलमार्किंग सेंटर का चिह्नï
-जिस ईयर में ज्वैलरी बनी होगी उसका कोड।
-बीआईएस सर्टिफाइड ज्वैलर्स का चिह्नï।
Costomers के चेहरों पर चमक
बरेली की कुसुमलता ने कहा कि ज्वैलरी खरीदते वक्त हमेशा डर लगा रहता है कि कहीं हमें ठगा तो नहीं जा रहा। हॉलमार्क से अपने पैसे के हिसाब से माल मिलेगा। एक सैटिसफैक्शन मिलेगा कि हां, यह प्योर है। रागिनी शुक्ला ने कहा कि अब तो आंख बंद कर हम ज्वैलरी खरीद सकते हैं। प्योरिटी की गारंटी जो मिलेगी। सारा ध्यान केवल क्वालिटी और डिजाइन पर होगा। श्रीप्रकाश शुक्ल ने कहा कि लेडीज तो केवल ज्वैलरी पसंद करती हैं। उन्हें तो पैसे की टेंशन होती है। अब टेंशन फ्री हो जाएंगे।
आंकड़ों में सोने का कारोबार
-इंडिया में करीब 500 टन पर ईयर गोल्ड की खपत है।
-80 परसेंट होता है डोमेस्टिक यूज, 15 परसेंट इनवेस्टमेंट और 5 परसेंट इंडस्ट्रियल यूज।
-पर कैपिटा इनकम के पैरलल 4 परसेंट पर ईयर बढ़ा रहा है बिजनेस।
-इंडिया में एक लाख मैनुफैक्चरिंग यूनिट्स हैं।
-मालप्रैटिक्स से कस्टमर को हर साल 15 से 20 करोड़ का लग रहा है चूना।
-बरेली में 600 के आसपास हैं ज्वैलर्स।
-पर डे 30 केजी गोल्ड का होता है बिजनेस, सीजन में हो जाता है डबल।Reported by:Abhishek Singh