सर्विस टैक्स बढ़ने से एजुकेशन, खाद्य सामग्री और इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स हुए महंगे
महंगाई की मार से खर्च को मेंटेन करने के लिए फैमिलीज कर रही खर्चे में कटौती
BAREILLY:
महंगाई के इश्यू पर बरेलियंस की मोदी सरकार से उम्मीद लगभग भ्0-भ्0 प्रतिशत रही। आई नेक्स्ट ने सिटी के हर वर्ग से जुड़े हुए 70 लोगों से महंगाई प बात की तो जहां ब्म् प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनको महंगाई से राहत मिली है, वहीं भ्ब् प्रतिशत सरकार के कार्यकाल से नाराज नजर आए। इस सर्वे में हर वर्ग के लोगों की राय की फाइंडिंग को पढि़ए अंदर।
बिगड़ा घर का बजट
रामपुर गार्डन निवासी हाउस वाइफ अनन्या ने बताया कि राशन और सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। वहीं बच्चों के एडमिशन फीस, कॉपी किताब, बस का किराया सभी कुछ महंगा हो गया है। ऐसे में महंगाई कहां कम हुई, समझ में ही नहीं आ रहा है। बस, मीडिया में यह बात चलती है कि महंगाई कम हुई है। पीडब्ल्यूडी कर्मचारी राकेश ने बताया कि बच्चों की सलाना करीब लाख रुपए फीस जमा कर चुके हैं। वह कहते हैं कि दो-चार चीजों के रेट कम होना ही महंगाई कम होना नहीं है। एजुकेशन, मेडिकल जैसी चीजों के रेट भी कम होने चाहिए।
नाउम्मीद न हों मिलेगी राहत
फाइनेंशियल एक्सपर्ट के मुताबिक सर्विस टैक्स की मार से परेशान लोगों को शुरुआत में प्रॉब्लम होनी तय है, लेकिन इसके दूरगामी परिणाम दिखाई देंगे। इसके लिए पहले प्लानिंग करना बेहतर रहता है। फैमिलियर्स बार्गेनिंग के जरिए चीजों को मेंटेन करने की कोशिश करें। पेट्रोल, डीजल में आए दिन हो रही बढ़ोत्तरी भी बहुत ज्यादा नहीं है। पिछले साल के मुकाबले देखा जाए तो महंगाई जस की तस है। हालांकि उसी अनुपात में सेलरी या कमाई नहीं होने से महंगाई का असर दिख रहा है। सिटी में अनुमान के तौर पर महंगाई को कुछ ग्राफ ऐसा रहा है।
महंगाई का ग्राफ
ईधन -
प्रोडक्ट
पेट्रोल 7ब्.90 7फ्.7क्
डीजल म्क्.8म् 7भ्.म्ख्
मिट्टी का तेल क्ख् क्7
- कीमत रुपए में
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एजुकेशन -
मई ख्0क्ब् मई ख्0क्भ्
वार्षिक स्कूल फीस ख्ख्,000 ख्7,000
बस का किराया क्क्,000 क्भ्,000
कॉपी किताबें फ्,000 भ्,000
ड्रेस मैटेरियल ख्,भ्00 फ्,000
- कीमत रुपए में
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राशन-
प्रोडक्ट मई ख्0क्ब् मई ख्0क्भ्
आटा क्ब्.भ् क्म्.भ्
चना भ्भ् म्ख्
अरहर दाल 70 क्08
उर्द साबूत 80 क्0ब्
सरसों तेल 70 80
चावल ख्0 ख्भ्
कीमत प्रति किलो रुपए में
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वर्जन -
महंगाई की मार ने सारा बजट बिगाड़ दिया है। लास्ट ईयर के एवरेज में कॉपी-किताब और ड्रेस की कीमतों में हजार रुपए का फर्क आ गया है। वहीं, सब्जियों, गैस और राशन के दाम बढ़ने से घर का बजट बिगड़ने लगा है। बमुश्किल किसी तरह कटौती करते हुए खर्च मेंटेन किया जा रहा है।
रूपाली, हाउसवाइफ
जिस तेजी के साथ महंगाई बढ़ रही है, उस अनुपात में सेलरी नहीं बढ़ रही। बच्चों की फीस करीब भ् हजार तक सलाना बढ़ गई है। बस खर्च में भी हजार रुपए बढ़ोत्तरी हुई है। कई सारे प्रोग्राम बना रखे थे, लेकिन महंगाई की मार ने सभी प्लांस को कैंसिल कर दिया है।
आरके सिंह, सर्विस पर्सन
लास्ट ईयर के मुकाबले सर्विस टैक्स में ख् प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होने से पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़े हैं। ट्रांसपोर्टेशन महंगा होने से सब्जियां, फल, गारमेंट, ऑटोमोबाइल व अन्य सभी चीजों की कीमतें बढ़ी हैं। खाद्य पदार्थो और महंगे एजुकेशन ने लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है।
दिनेश गोयल, प्रेसिडेंट, चैम्बर ऑफ कॉमर्स
सर्विस टैक्स बढ़ने से महंगाई में ज्यादा प्रभाव नहीं दिख रहा है। गारमेंट्स की कीमतों में करीब फ् पर्सेंट तक का इजाफा हुआ है। हालांकि सबसे ज्यादा प्रभाव इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स पर पड़ा है। गैजेट्स महंगे हो गए हैं। मंहगाई की मार के असर से गर्मियों में बिकने वाले कूलिंग आइटम्स की डिमांड कम हो रही है।
राजेंद्र गुप्ता, अध्यक्ष, उप्र। व्यापार मंडल