-बरेली कॉलेज में एग्जाम बना मजाक, फ्यूचर पर भारी अव्यवस्था
-कॉलेज केा परीक्षा में इनरोल्ड छात्रों की संख्या तक का अनुमान नहीं
-बवाल बढ़ा तो परीक्षा कैंसिल कर की लीपापोती करने की कोशिश
BAREILLY: हायर एजूकेशन की इससे अधिक फजीहत और क्या हो सकती है। रुहेलखंड यूनिवर्सिटी के मेन एग्जाम स्टार्ट हुए दो महीने बीत चुके हैं लेकिन उसके पास परीक्षा में इनरोल्ड स्टडेंट्स की संख्या तक नहीं है। ऐसे में जिस बात का अंदेशा था वेडनेसडे को वही हुआ। परीक्षा की तैयारियों के सारे दावे एकपल में हवा हो गए। यूजी में एनवायरमेंट का एग्जाम देने बीसीबी में इतनी संख्या में स्टूडेंट्स पहुंचे कि कॉलेज के पास उनके सिटिंग अरेंजमेंट की बात तो दूर कैंपस में उन्हें खड़े रखना भी भारी पड़ गया। नतीजा जमकर बवाल, हंगामा और स्टूडेंट्स को कैंपस से बाहर खदेड़ने के बाद एग्जाम कैंसिल करने का ऐलान।
ख्,000 का अनुमान और पहुंचे 8,000
वेडनसडे को इवनिंग शिफ्ट में बीए सेकेंड ईयर के एनवायरमेंट का एग्जाम था। हर स्टूडेंट के लिए यह सब्जेक्ट क्लियर करना कंपलसरी होता है। हालांकि टोटल में उसके मार्क्स कॉउंट नहीं होते। कॉलेज की मानें तो एग्जाम फॉर्म भरने के आधार पर ज्यादा से ज्यादा ख्,000 स्टूडेंट्स को ही एग्जाम में अपीयर होना था। इन सभी के लिए कॉलेज ने एक जगह ही सिटिंग अरेंजमेंट किया था। लॉ, बीबीए और बीसीए के सभी कमरों में इन्हें एग्जाम दिलाना था। लेकिन शाम फ् बजे तक करीब 8,000 से ज्यादा स्टूडेंट्स पहुंच गए। इतनी बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स को देख कॉलेज मैनेजमेंट के हाथ-पांव फूल गए।
महज भ्00 का सिटिंग अरेंजमेंट
बीबीए, बीसीए और लॉ डिपार्टमेंट में ज्यादा से ज्यादा भ्00 से म्00 स्टूडेंट्स को ही बैठाने की व्यवस्था है। बावजूद इसके कॉलेज 8,000 स्टूडेंट्स को किसी भी तरह एग्जाम दिलाने पर तुला रहा। स्टूडेंट्स को बैठने की जगह ना मिलने पर हंगामा शुरू हो गया। रूम नंबर क्क्क् में कॉलेज ने ओएमआर शीट भरवाकर क्वेश्चन पेपर भी बंटवा दिए। कमरों के बाहर खड़े स्टूडेंट्स को किसी भी तरह वहीं पर बैठा कर एग्जाम दिलाने का जुगाड़ होने लगा। इसी दौरान, रूम नंबर क्क्क् में सीट पर बैठने को लेकर कुछ स्टूडेंट्स के बीच मारपीट शुरू हो गई। इसके बाद हंगामा अनकंट्रोल्ड हो गया।
क्वेश्चन पेपर लेकर भागे स्टूडेंट्स
हंगामा शुरू होने पर स्टूडेंट्स कमरों से क्वेश्चन पेपर और आंसरशीट लेकर भाग खड़े हुए। एग्जाम ड्यूटी में लगे टीचर्स और प्रॉक्टोरियल बोर्ड की टीम ने स्टूडेंट्स को शांत करने की बहुत कोशिश की लेकिन बवाल बढ़ता गया। कमरों में भी स्टूडेंट्स के लिए बैठने की जगह नहीं बची। ऐसे माहौल में टीचर्स ने भी एग्जाम कराने से हाथ खींच लिए। वे स्टाफ रूम में बाकी बचे क्वेश्चन पेपर और आंसरशीट लेकर बैठ गए। एग्जाम शुरू होने के महज क्भ् मिनट के भीतर कॉलेज ने कैंसिल करने की घोषणा कर स्टूडेंट्स को बाहर जाने का फरमान सुना दिया।
प्रॉक्टोरियल बोर्ड की एडहॉक टीम ने संभाला
एग्जाम कैंसिल कर जब स्टूडेंट्स को वापस जाने के लिए कहा गया तो कैंपस में भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई। ऐसे में प्रॉक्टोरियल बोर्ड की कोर टीम गायब मिली। चीफ प्रॉक्टर डॉ। अजय शर्मा तो मौजूद थे लेकिन परमानेंट टीचर्स की टीम नदारद थी। ऐसे में कर्मचारियों और एडहॉक टीम ने मोर्चा संभाला। डॉ। ओमकार पटेल, डॉ। योगेश, शर्मा, डॉ। अशोक कुमार, डॉ। योगेंद्र कुमार, डॉ। राजीव यादव, डॉ। राजेश कुमार, डॉ। राजेश दूबे, डॉ। विवेक पांडेय समेत कई टीचर्स ने स्टूडेंट्स को संभालते टुकड़े-टुकड़े में स्टूडेंट्स को बाहर भेजा। बता दें कि इस दौरान कई बार सूचना देने के बाद भी पुलिस पुलिस फोर्स नदारद रही।
गर्ल्स के साथ 'लफंगई'
इस पूरे हंगामे के बीच सबसे ज्यादा परेशानी गर्ल्स को उठानी पड़ी। स्टूडेंट्स की संख्या इतनी ज्यादा थी कि कभी भी बड़ी भगदड़ मच सकती थी। बीए में गर्ल्स की संख्या भी सबसे ज्यादा थी। जब कैंपस से बाहर जाने के लिए भगदड़ मची तो उनके साथ कुछ लड़कों ने जमकर छेड़खानी भी की। इस घटना के बाद लड़कियां सहम गई और उन्होंने कैंपस के अंदर ही वेट करना ही मुनासिफ समझा। भगदड़ में एक लड़की गिरने से चोटिल भी हो गई।
आग के हवाले क्वेश्चन पेपर
हंगामे के बीच कई स्टूडेंट्स लीडर्स भी अपनी पॉलीटिक्स चमकाने पहुंच गए। उन्होंने कॉलेज मैनेजमेंट विरोधी नारे लगाए। सछास के विशाल यादव, रोहित यादव, फैज मोहम्मद, इमरान अंसारी, तौहीद शेख समेत कई स्टूडेंट्स लीडर्स ने क्वेश्चन पेपर्स और आंसरशीट को फूंक कर विरोध जताया।
कॉलेज और आरयू आमने-सामने
अव्यवस्था कैसे फैली, कहां चूक हुई अब इन सभी सवालों के जवाब के लिए यूनिवर्सिटी और कॉलेज एकदूसरे पर ठीकरा फोड़ने में लगा हुआ है। आरयू के कार्यकारी रजिस्ट्रार वीएन सिंह ने बताया कि कॉलेज से मिली इंफॉर्मेशन के आधार पर ही स्टूडेंट्स का आकलन करते हैं। वे करीब क्भ् परसेंट बढ़ाकर ही एग्जाम मैटेरियल प्रोवाइड कराते हैं। उधर कॉलेज के एग्जामिनेशन डिपार्टमेंट का कहना है कि वे केवल प्रेजेंट सेशन के बीए सेकेंड ईयर के स्टूडेंट्स का अनुमान लेकर चले थे। उन्हें नहीं पता था कि जो पहले के एग्जाम में नॉट क्लियर्ड हैं वह भी आ जाएंगे। डिपार्टमेंट ने यूनिवर्सिटी पर आरोप लगाया कि उन्हें एग्जाम फॉर्म की सारी इंफॉर्मेशन होती है। एडमिट कार्ड भी वहीं से जारी होता है। ऐसे में उन्हें स्टूडेंट्स की सही संख्या बतानी चाहिए थी।
तो कमाई की मंशा ने भी बिगाड़ा खेल
सोर्सेज के अनुसार, बरेली कॉलेज एग्जामिनेशन डिपार्टमेंट ने सिटिंग प्लान में जमकर गड़बड़ी की। फ्0 स्टूडेंट्स वाले कमरे में भ्क्0, ब्0 स्टूडेंट्स वाले कमरों में भ्ब्0 और म्0 स्टूडेंट्स वाले कमरों में 8ब्0 स्टूडेंट्स को बैठाने की व्यवस्था कॉलेज ने कर रखी थी। असल में कॉलेज की मंशा जैसे-तैसे एग्जाम को निपटाने की थी। दरअसल, एनवायरमेंट का एग्जाम सभी को क्वालीफाई करना कंपलसरी होता है। टोटल में उसके मार्क्स काउंट नहीं होते। ऐसे में कॉलेज इतने सारे स्टूडेंट्स पर ज्यादा इनविजिलेटर्स की ड्यूटी नहीं लगाना चाहता था। बदले में ज्यादा संख्या में स्टूडेंट्स को अपीयर दिखाकर इनविजिलेटर्स पर खर्च किए जाने वाले मानदेय को गोल करने की भी तैयारी थी।
- इतनी संख्या में स्टूडेंट्स के आने की उम्मीद नहीं थी। हम केवल इसी सेशन के स्टूडेंट्स के पहुंचने का अनुमान लगा रहे थे। लेकिन जो नॉट क्लियर्ड थे वे भी एकसाथ एग्जाम देने पहुंच गए। इसकी खबर पहले से नहीं थी।
- अंजुम आदिल, कार्यअधीक्षक, एग्जामिनेशन डिपार्टमेंट, बीसीबी
- हमें स्टूडेंट्स की संख्या के बारे में इंफॉर्म नहीं किया गया। भ्00 की कैपेसिटी वाले बिल्डिंग में इतने सारे स्टूडेंट्स को एग्जाम दिलाना नामुमकिन था। इसलिए हमने कैंसिल करने का डिसीजन लेते हुए सिचुएशन को संभाला।
- डॉ। अजय शर्मा, चीफ प्रॉक्टर, बीसीबी
- कॉलेज के पास से जो स्टूडेंट्स की रिपोर्ट आती है उससे क्भ् परसेंट ज्यादा का अनुमान लगाकर ही हम चलते हैं। इतने स्टूडेंट्स कैसे पहुंच गए, इसकी जानकारी तो कॉलेज को होनी चाहिए। परीक्षा समिति में एग्जाम की दूसरी डेट का डिसीजन लिया जाएगा।
- वीएन सिंह, कार्यकारी रजिस्ट्रार, आरयू