बरेली (ब्यूरो)। शहर में इस बार भी ईद-ए-मिलादुन्नबी सादगी के साथ मनाई जाएगी। जबकि जुलूस-ए-मोहम्मदी की अंजुमन में सिर्फ 30 लोग ही भाग ले सकेंगे। जुलूस में डीजे, लाउडस्पीकर और साउंड सिस्टम के इस्तेमाल पर पाबंदी रहेगी। इसके अलावा चुनिंदा जुलूसों को ही निकालने की अनुमति दी गई है। पुलिस लाइन में सैटरडे को डीएम नितीश कुमार, एसएसपी रोहित सिंह सजवाण ने अंजुमन कमेटी और दरगाह के प्रतिनिधियों के साथ मीटिंग में यह फैसला लिया है।
पुलिस लाइन में हुई मीटिंग
जुलूस की तैयारियों के संबंध में सैटरडे को पुलिस लाइन सभागार मे दरगाह आला हजरत, अंजुमन खुद्दाम-ए-रसूल, अंजुमन इत्तेहादुल मुस्लेमीन के नुमाइंदो की मीटिंग डीएम नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई। जिला प्रशासन ने हर एक अंजुमन में पांच लोगों के शमिल होने का प्रस्ताव रखा जबकि कमेटी ने 50 लोगों के लिए अनुमति मांगी। आखिर में बेहद सादगी के साथ हर अंजुमनों में 30-30 लोगों के शामिल होने पर फैसला हुआ। कोविड-19 गाइडलाइन का पालन करते हुए ज्यादा भीड़ इक_ी नहीं की जाएगी। इसके अलावा सिर्फ एक साउंड कायदे जुलूस के साथ सबसे आगे चलेगा। सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस की टीमें तैनात रहेंगी। टीटीएस के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य परवेज खान नूरी ने सहयोग देने की बात कही। मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि बैठक में दरगाह की ओर से शाहिद नूरी, ताहिर अल्वी, औररंगजेब नूरी, अंजुमन खुद्दाम ए रसूल के सचिव शान रजा, काशिम कश्मीरी, अंजुमन इत्तेहादुल मुस्लेमीन के सदर इम्शाद हुसैन, सचिव अंजुम शमीम, उस्मान अहमद आदि शामिल रहे।
दो जुलूस निकाले जाते हैं
पैगंबर-ए-इस्लाम की यौमे विलादत की खुशी में शहर में दो जुलूस निकाले जाते हैं। इसमें एक मुख्य जुलूस अंजुमन खुद्दाम-ए-रसूल के तहत दरगाह प्रमुख हजरत मौलाना सुब्हान रजा खान (सुब्हानी मियां) और सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा कादरी (अहसन मियां) की कयादत में कोहाड़ापीर से ईद मिलादुन्नबी के दिन निकाला जाता है। दूसरा जुलूस ईद मिलादुन्नबी से एक दिन पहले शाम को अंजुमन इत्तेहादुल मुस्लेमीन के तहत पुराना शहर से निकला जाता है।