- थानों में लेडी कांस्टेबल को डयूटी करना मुश्किल

- कामन टायलेट करना पड़ता है यूज

- कब दूर होगी पुलिसकर्मियों की प्राब्लम

BAREILLY: पब्लिक हमेशा पुलिस से मदद की उम्मीद रखती है, लेकिन दूसरों की हर समय हेल्प करने वाली पुलिस किस हाल में रहती और वर्क करती है इस बारे में न तो पब्लिक सोचती है और न ही उनका डिपार्टमेंट। पुलिसकर्मी खुलकर तो अपनी प्रॉब्लम किसी के सामने नहीं रखते, लेकिन जब बात छिड़ती है तो सारा दर्द बयां कर देते हैं। आईनेक्स्ट की टीम ने संडे को जब सिटी के थानों का जायजा लिया तो काफी चौंकाने वाले तथ्य सामने आएं। पुरुष पुलिसकर्मियों से ज्यादा महिला पुलिसकर्मियों को दिक्कतें हैं। थानों में उनके लिए न तो अलग से टॉयलेट, बाथरूम है और न ही आराम घर। कुछ थानों में अगर इसकी व्यवस्था है भी तो उस पर पुरुष पुलिसकर्मियों ने कब्जा जमा रखा है। एसएसपी ने सैटरडे को महिला व पुरुष पुलिसकर्मियों से उनकी प्रॉब्लम भी जानी थीं और उन्हें दूर करने का भरोसा भी दिया था। क्या है सिटी के थानों का हाल आइए हम आपको बताते हैं

सुभाष्ानगर थाना

पेड़ के नीचे सुन रही थीं प्रॉब्लम्स

आईनेक्स्ट टीम सबसे पहले स्टेशन से चौपुला जाने वाले रोड पर बने सुभाषनगर थाना पहुंची। बाहर से देखने में थाना चकाचक दिखता है, लेकिन थाने के अंदर का हाल कुछ ज्यादा है खराब है। यहां थाना में एक पेड़ की छांव में दो लेडी कांस्टेबल एक महिला की प्रॉब्लम को सुलझा रही थीं, वो भी खड़े होकर। जब उनसे उनकी बेसिक सुविधाओं के बारे में पूछा गया तो उन्होंने सब कुछ बता दिया। लेडी कांस्टेबल ने बताया कि थाना में उनके लिए न तो अलग से टॉयलेट है और न ही बाथरूम। इसके अलावा अलग से कोई भी आराम घर नहीं है। उन्हें कॉमन टॉयलेट टायलेट में ही जाना होता है। कॉमन टॉयलेट और बाथरूम का हाल भी बुरा है। कुर्सियां भी टूटी हुई हैं। हवालात की कुछ ज्यादा ठीक नहीं है। मेस में खाना खा रहे एक सिपाही ने बताया कि वैसे तो किसी को कोई समस्या नहीं है, लेकिन समस्या सौ परसेंट है। एसएचओ ने बताया कि उनके लिए ही रूम नहीं मिल रहा है। क्योंकि पुराने एसएचओ रूम को खाली ही नहीं कर रहे हैं। बाकी सेप्रेट टॉयलेट के लिए प्रपोजल मांगा गया है। जल्द ही इसे बनाया जाएगा।

ि1कला थाना

महिला बंदी गृह में भरा है सामान

भीड़-भाड़ वाले एरिया में बना किला थाना की हालत सुभाषनगर थाने से कुछ हद तक अच्छी है। इस थाना में लेडी कांस्टेबल के लिए अलग से टॉयलेट व बाथरूम बनाया गया है, लेकिन टॉयलेट से पहले एक हॉल है, जिसमें पुलिसकर्मी बैठे हुए मिले। यहां की लेडी कांस्टेबल ने भी पूछने पर टॉयलेट व बाथरूम होने की बात कही। यहां का ऑफिस काफी अच्छा बना हुआ है और बाकायदा बाहर प्रशासनिक भवन लिखा हुआ है। मालखाना भी पूरी तरह से व्यवस्थित मिला। हां, कुर्सियों के मामले में कुछ कमी थी और लोहे की टेबल पड़ी हुई थी। एसएचओ ने बताया कि महिला कांस्टेबल की ड्यूटी रात में नहीं लगती है। दो लेडी कांस्टेबल को क्वार्टर दिया गया है, लेकिन जब क्वार्टर देखने गए तो पता चला की उनकी हालत काफी खराब है। महिला बंदी गृह में माल भरा हुआ मिला।

प्रेमनगर थाना

नहीं है अलग से टायलेट

प्रेमनगर थाना एरिया में मिक्स आबादी आती है। इस थाना की हालत पहले से काफी सुधर गई है, लेकिन लेडी कांस्टेबल के लिए यहां भी कोई व्यवस्था नहीं है। इस थाना में भी लेडी कांस्टेबल के लिए कोई भी अलग से टायलेट नहीं है। इसके अलावा न तो बाथरूम है और न ही कोई आराम घर। थाना के पीछे पुलिसकर्मियों के लिए कुछ रूम बने हैं। पर उनकी हालत भी ठीक नहीं है। महिला बंदी गृह में सामान भरा हुआ है। थाना के एसएसआई ने भी माना कि महिला कांस्टेबल के लिए अलग से कोई इंतजाम नहीं है। टॉयलेट की हालत ठीक नहीं है।

इज्जतनगर थाना

यहां का हाल बयां करना मुश्किल

इस थाना का तो काफी बुरा हाल है। थाना में एसएचओ और थाना का ऑफिस तो अच्छा बना है, लेकिन बाकी सब खराब पड़ा हुआ है। इस थाने में भी लेडी कांस्टेबल के लिए कोई भी इंतजाम नहीं है। लेडी कांस्टेबल के लिए एक महिला कक्ष बनाया गया है, जिसमें टॉयलेट और बाथरूम बनाया गया है, लेकिन जब टीम थाना में मौजूद थी तो लेडी कांस्टेबल टॉयलेट जाने के लिए महिला कक्ष गई तो वहां पुरुष पुलिसकर्मी अपनी चारपाई लगाकर आराम फरमा रहे थे। टॉयलेट भी काफी खराब था। जब महिला कांस्टेबल से पूछा गया तो उन्होंने अपनी सारी दिक्कत सामने रख दी। एसएसआई ने भी बताया कि लेडी कांस्टेबल के लिए अलग से रहने की कोई व्यवस्था नहीं है। रात में उनसे ड्यूटी लेने में दिक्कत होती है। जब थाने के पीछे जाकर देखा गया तो बैरक खराब थी। पीछे जानवर टहल रहे थे। क्वार्टर व मेस खराब हालत में थी। टॉयलेट का हाल तो बयां करना ही मुश्किल है।

बारादरी थाना

खुद दिखाया खराब टायलेट का हाल

इतनी जगह जाने के बाद हमें पूरा भरोसा हो गया था कि बारादरी थाना का हाल भी खराब ही होगा। यहां भी एसएचओ का ऑफिस व थाना का ऑफिस ठीक हो गया था, लेकिन दरोगाओं के बैठने के लिए कुर्सी नहीं है। एक लेडी कांस्टेबल से जब जन सुविधाओं के बारे में पूछा गया तो उनका सारा दर्द सामने आ गया। बताया कि आगंतुक कक्ष को बैठने के लिए काफी अच्छा बनाया था, लेकिन उस पर एक सिपाही ने कब्जा कर अपना सामान रख दिया। अलग से न कोई टॉयलेट है और न ही बाथरूम। यहां तक कि आराम करने की जगह भी नहीं है। पीछे की बिल्डिंग में एक टॉयलेट में ले जाकर दिखाया तो उसकी हालत बहुत खराब थी। एक बैरक भी ठीक नहीं थी। थाना का आरओ खराब पड़ा था। महिला पुलिसकर्मी ने बताया कि एसएसपी को लिखित में शिकायत दी है।

कोतवाली थाना

थाना में चल रहा है काम

कोतवाली थाना सबसे बड़ा थाना है। इसकी बिल्डिंग भी काफी पुरानी है। इस थाना में रेनोवेशन का काम चल रहा है। कुछ काम हो भी गया है, लेकिन लेडी कांस्टेबल के लिए यहां भी कोई खास इंतजाम नहीं है। इस थाने में ही सबसे ज्यादा लेडी कांस्टेबल हैं। पर उनके लिए न तो अलग से टॉयलेट है और न ही बाथरूम। एक महिला पुलिसकर्मी ने बताया कि कई घंटे की ड्यूटी करने के बाद भी कोई भी आराम करने की जगह नहीं है। यहां का आरओ भी खराब हो गया है। एसएसपी साहब ने जन सुविधाओं के बारे में पूछा है अब देखना कि कब इसमें सुधार आता है।

लेडी कांस्टेबल के लिए थानों में हर हाल में अलग से टॉयलेट बनवाए जाएंगे। अगर महिला कक्ष में कोई पुरुष सिपाही मिलता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। क्योंकि सैटरडे को ही पुलिसकर्मियों को थानों में बनियान व लुंगी पहनकर न रहने का आदेश जारी किया गया है।

- जे रविंद्र गौड, एसएसपी बरेली