- टेंडर प्रक्रिया के फेर में फंसी गैस की डिलीवरी
- जरूरत 60 गाडि़यों की, मौजूद हैं सिर्फ 33 गाडि़यां
Bareilly: एलपीजी को लेकर गवर्नमेंट के नए नियमों ने लोगों की मुश्किलें कम करने की बजाय बढ़ा दी हैं। ट्रांसपोर्टर को लाखों रुपए की एफडी जमा करने के नए नियम के आगे टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं हो पा रही है। टेंडर प्रक्रिया के फेर में प्लांट से गैस की डिलीवरी करने वाली गाडि़यों पर ब्रेक लगता दिख रहा है। आलम यह है कि प्लांट से गोदाम तक गैस की डिलीवरी करने के लिए गाडि़यों की कमी हो गई है। दूसरी ओर सब्सिडी वाले सिलेंडर की संख्या बढ़ने के बाद गैस की डिमांड बढ़ गई है। जबकि उसकी अपेक्षा मार्केट में गैस नहीं आ पा रही है। लिहाजा आने वाले दिनों में इसका खामियाजा कंज्यूमर्स को भुगतना पड़ सकता है।
FD बनी reason
नए नियम के मुताबिक टेंडर प्रक्रिया के लिए ट्रांसपोर्टर से साढ़े सात लाख रुपए की एफडी मांगी जा रही है, जिससे ट्रांसपोर्टर अपने हाथ पीछे खींच रहे हैं। बता दें कि इंडेन, भारत और एचपी कंपनी को मिलाकर टोटल 33 गाडि़यां डेली प्लांट से गोदाम तक गैस की डिलीवरी कर रही हैं, जबकि सोर्सेज की मानें तो पे्रजेंट टाइम में सिटी में गैस की डिमांड पूरी करने के लिए 60 गाडि़यों की आवश्यकता है।
Subsidy से demand बढ़ी
गवर्नमेंट द्वारा इस फाइनेंशियल ईयर में सब्सिडी सिलेंडर की संख्या 9 से 11 किए जाने के बाद गैस की डिमांड काफी बढ़ गई है। गाडि़यां कम होने के कारण डिमांड की अपेक्षा मार्केट में गैस कम आ रही है। एजेंसी से जुड़े लोगों ने बताया कि सब्सिडी सिलेंडर की संख्या बढ़ने से 40 परसेंट गैस की डिमांड कुछ ही दिनों में बढ़ गई है। एक गाड़ी में 294 रिफिल आती है, जिनमें से 6 कॉमर्शियल होती है।
हो सकती है problems
इंडेन, भारत और एचपी कंपनी की टोटल ख्क् एजेंसियों से करीब फ् लाख कंज्यूमर्स जुड़े हुए हैं। इनमें से इंडेन के ख् लाख, भारत के 70 हजार और एचपी के फ्0 हजार कंज्यूमर्स शामिल है। एजेंसी ओनर्स की मानें तो प्रजेंट टाइम में क्0 से क्भ् दिन की वेटिंग चल रही है। अगर गाडि़यों की संख्या नहीं बढ़ायी गई तो यह आंकड़ा ख्0 से एक महीने तक पहुंच सकता है। टेंडर प्रक्रिया कब तक फाइनल होगी, अभी कुछ नहीं कहां जा सकता है।
टेंडर प्रक्रिया के नए नियम प्रॉब्लम्स क्रिएट कर रहे हैं। जिस तरह की स्थिति बन रही है, उसको देखते हुए आने वाले दिनों में गैस की किल्लत लोगों को झेलनी पड़ सकती है। पे्रजेंट टाइम में गाडि़यों की संख्या बहुत कम है।
-रंजना सोलंकी, प्रेसीडेंट, डोमेस्टिक गैस डिस्ट्रीब्यूटर एसोसिएशन