61 बसें और जाएंगी
एआरएम नीरज अग्रवाल ने बताया कि रोडवेज के पास लगभग 450 बसें हैं। एक मंथ पहले निर्वाचन आयोग की डिमांड पर रोडवेज ने बसों को सूचीबद्ध करके लखनऊ रवाना करना शुरू किया था। ये सभी बसें सशस्त्र सेना को लाने के लिए यूज की जा रही है। इसमें पहली पाली में 75 बसें और दूसरी पाली में 94 बसों को भेजा गया है। इलेक्शन कमीशन की तरफ से अभी और 61 बसों की डिमांड की गई है।
नहीं हुई सुनवाई
रामपुर निवासी रमेश को दिल्ली के लिए बस पकडऩी थी। दोपहर में नियत समय पर वह सेटेलाइट बस अड्डा पहुंच गए। बस अड्डे पर काफी देर इंतजार करने के बाद भी जब बस नहीं मिली तो उन्होंने इंक्वायरी काउंटर पर जानकारी करनी चाही। काउंटर पर बैठे बाबू ने उन्हें इंतजार करने का टका सा जवाब दे दिया। इस पर वह झल्लाते हुए रोडवेज के पुराने बस अड्डे पहुंचे। वहां अधिकारियों से उन्हें पता चला कि ज्यादातर बसें इलेक्शन ड्यूटी पर लगा दी गई है। झल्लाते हुए उन्होंने शिकायत दर्ज करने के लिए कहा तो उनकी शिकायत भी दर्ज नहीं की गई। उन्होंने बताया कि शाम को उन्हें बस मिल सकी। उनके साथ उनकी अपनी पत्नी हेमा को भी काफी परेशान होना पड़ा.
Trains बनी सहारा
पेशे से डीजे राकेश सागर को शाहजहांपुर जाना था। सेटेलाइट बस अड्डे पहुंचकर उन्हें पता चला कि फिलहाल कोई बस स्टैंड पर नहीं है। उन्होंने बताया कि वह 3 घंटे से बस का इंतजार करते रहे। जो बसें आ भी रही हैं उसमें तिल रखने की भी जगह नहीं है। पुछताछ काउंटर से पता चला कि बसें इलेक्शन ड्यूटी पर लगा दी गई हैं। उन्होंने बताया कि आखिरकार मायूस होकर उन्हें बनारस की ट्रेन पकड़कर शाहजहांपुर जाना पड़ रहा है। ऐसी ही कुछ दास्तां बरेली कॉलेज के स्टूडेंट आसीत की भी है। दो घंटे इंतजार करने के बाद भी जब उन्हें बस नहीं मिल सकी तो उन्होंने भी ट्रेन का सहारा लेना बेहतर समझा।
Extra train होनी चाहिए
चुनाव में बसों को लगाने से पहले आम आदमी के बारे में एक बार सोचना चाहिए था। बहेड़ी निवासी अमित ये कहते हुए बताते हैं कि जब ड्यूटी पर बसों को लगा रहे थे तो सामंजस्य बनाना चाहिए था। अब सुबह भारी भीड़ के बीच महिलाओं को सबसे ज्यादा दिक्कत का सामना करना पड़ता है। चुनाव में बसों का लगना तो पहले से तय था ऐसे में एक्स्ट्रा ट्रेंस का अरेंजमेंट भी करके रखना चाहिए था। ऐसे में लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है।
Auto का बढ़ा किराया
पैसेंजर्स बसों की ख्वाहिश में पुराने बस अड्डे से सेटलाइट और स्टेशन के बीच दौड़ लगा रहे हैं। ऐसे में उनकी मजबूरी का फायदा ऑटो और टेम्पो चालक जमकर उठा रहे हैं। कई पैसेंजर्स ने बताया कि ऑटो और टेम्पो में नॉर्मल फेयर से 20 प्रतिशत बढ़ाकर किराया वसूला जा रहा है।