गेहूं कटने के बाद जुड़ेंगे टूटे रिश्ते
मां बेटी को ससुराल के लिए विदा करने को तैयार हो गई लेकिन एक महीने बाद ही विदा करने की कंडीशन लगा दी। काउंसलर्स ने जब इसका कारण पूछा तो जवाब सुनकर उन्होंने सिर पकड़ लिया। चलिए अंदर के पेज पर आपको बताते हैं क्या था जवाब।
-परिवार परामर्श केंद्र पर सैटरडे को 22 मामलों की हुई सुनवाई
-एक मामले में गेहूं की फसल कटने के बाद बेटी को विदा करने पर राजी हुई मां
>BAREILLY: वैसे तो हर मां की ख्वाहिश होती है कि बेटी ससुराल में खुशी-खुशी रहे, लेकिन परिवार परार्मश केंद्र में सैटरडे को एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। यहां पर एक मां डेढ़ साल से मायके में रह रही बेटी को विदा करने को तो तैयार हो गई, लेकिन कंडीशन के साथ। कंडीशन यह थी कि गेहूं कटने के बाद यानी एक महीने बाद ही वह बेटी को विदा करेगी। मां का यह जवाब सुनकर काउंसलर्स ने उनको समझाने की कोशिश की, लेकिन रिजल्ट ि1सफर रहा।
मायके में रह रही है
दरअसल, मामला कुछ यूं है कि राजेश्वरी की शादी चार साल पहले मीरगंज के रूपचंद से हुई थी। शादी के बाद कुछ विवाद हुआ तो राजेश्वरी डेढ़ साल पहले मायके आ गई, तब से वह यहीं पर रह रही थी। मामला परिवार परामर्श केंद्र पहुंचा तो काउंसलर्स ने टूटे रिश्तों को मिलाने की कोशिश की। पति-पत्नी के आरोप व प्रत्यारोप सुनने के बाद काउंसलर्स दोनों को एक साथ फिर से रहने के लिए राजी करने में सफल हो गए।
साहब गेहूं कट जाने दीजिए
काउंसलिंग के दौरान दोनों पक्षों का मामला लगभग सुलट गया था। इसी दौरान एकाएक मां ने बेटी की तुरंत विदाई से साफ इनकार कर दिया। मां ने कहा कि वह बेटी को मायके भेजने के लिए तैयार है, लेकिन एक महीने के बाद। कारण पूछने पर मां ने बताया कि, अभी तो लल्ली को गेहूं काटना है। इसके बाद ही उसे विदा करेंगे।
हंसते हुए मान गए काउंसलर्स
मां ने बेहद मासूमियत के साथ अपनी मजबूरी बताई तो काउंसलर्स हंसते हुए मान गए। मां ने कहा कि वैसे ही गेहूं की फसल बर्बाद हो चुकी है। ऐसे में बचे फसल को अगर जल्दी नहीं काटा तो वह भी खत्म हो जाएगी। मजेदार बात यह रही की मां की चिंता को देखकर बेटी भी उनके साथ हो गई। फिलहाल काउंसलर्स ने एक महीने बाद की विदाई कराने की डेट दे दी। इस केस की काउंसलिंग काउंसलर राजपाल सिंह, एडी तिवारी, एमसी शर्मा ने की।
और भी मिले बिछड़े दिल
परामर्श केंद्र में सैटरडे को ख्ख् मामलों की काउंसलिंग की गई। इस दौरान अलग हुए दस दिलों को मिलाया गया यानी की दस कपल्स में समझौता कराया गया। जबकि पांच मामलों को बंद कर दिया गया। सात अन्य मामलों में दोनों पक्षों को और सोचने का मौका दिया गया है।