नए सेशन के लिए किताबें नही छपवा पाया तो विभाग ने पुरानी किताबों से पढ़ाने का रास्ता निकाला

खस्ता हाल किताबें कैसे मिलेंगी वापस, कहां से आएगी वर्क बुक

BAREILLY:

छोटे बच्चे अक्सर अपने से बड़ों की कॉपी, पेंसिल का इस्तेमाल करते आये हैं। प्राइमरी स्कूलों के बच्चों को इस साल मजबूरी वश ठीक यही अनुभव लेना होगा। असल में प्राइमरी के स्कूलों का नया सेशन शुरू होने को है और बेसिक शिक्षा विभाग ने किताबें नही छपवाई हैं। ऐसे में, फजीहत से बचने के लिए विभाग ने पुराने बच्चों की किताबे वापस लेने के रुप में निकाला है। यानि नए सेशन में बच्चों को अपने सीनियर्स की खस्ताहाल किताबों से पढ़ाई करेंगे।

ख्भ् तक जमा करानी है बुक्स

प्राइमरी एजूकेशन पर करोड़ों रुपया खर्च करने के बाद भी शासन की अदूरदर्शिता के चलते बच्चों को फटी-पुरानी किताबों से पढ़ना होगा। ऐसा पहली बार होगा जब मौजूदा सेशन के बच्चों से उनकी किताबें जमा करायी जाएंगी। बेसिक शिक्षा विभाग ने एक शासनादेश क्म् मार्च को जारी किया है। जिसमें फ्क् मार्च को खत्म होने वाले मौजूदा सेशन से पहले स्टूडेंट्स की बुक्स जमा कराने के निर्देश दिये गए हैं। स्कूलों को ख्भ् मार्च तक किताबे जमा करानी होंगी।

वर्क बुक का नहीं है सलूशन

विभाग ने किताबों की जुगाड़ तो कर ली, लेकिन काम करने के लिए वर्कबुक कहां से आएंगी। इसको लेकर विभाग कोई योजना नहीं बना सका है। अब ऐसे में नए क्लास में पहुंचने वाले बच्चे यदि पुरानी किताबों से पढ़ना शुरू भी कर दें तो भी उन्हें कॉपियां खुद ही खरीदनी पड़ेंगी। वर्क बुक के अरेंजमेंट के सवाल पर बीएसए के पास कोई जवाब नहीं है।

फट गई किताबें, कैसे मिलेंगी वापस

मौजूदा सेशन के बच्चों से किताबें वापस लेने के आदेश के बाद टीचर्स कंफ्यूजन में आ गए हैं। इस मामले में स्कूल टीचर्स एक बड़ा और व्यवहारिक सवाल उठा रहे हैं कि छोटे बच्चे एक साल के अंदर ही किताबें फाड़ कर बराबर कर देते हैं। ऐसे में बच्चों से किताबे वापस ले पाना बहुत ही मुश्किल काम होगा।

आई नेक्स्ट ने पहले ही किया आगाह

आई नेक्स्ट अगले सेशन में बच्चों को खाली बस्ता ले जाने की स्थिति पर आगाह किया था। असल में बेसिक शिक्षा विभाग प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूल के सिलेबस को प्रिंट कराने के लिए कंपनियों के टेंडर इन्वाइट करता है। लेकिन इस साल विभाग ने ख्8 फरवरी को खुलने वाले टेंडर को ख्7 फरवरी को निरस्त कर दिया था। अब जबकि टेंडर ही नही भरा गया है, ऐसे में कब टेंडर प्रोसेस पूरा होगा, कब किताबे प्रिंट होंगी और कब ये पूरे स्टेट के स्कूलों तक डिस्ट्रीब्यूट हो पायेंगी। इस सवाल का अभी विभाग के पास कोई जवाब नही है।