समझ के साथ पढ़ना-लिखना और गणित सीखेंगे कक्षा 1 व 2 के बच्चे

रटने की जगह विषय की समझ पैदा करने के लिए जल्द ही शुरू किया जाएगा ये प्रोग्राम

BAREILLY:

बालमन से मैथ्स का भूत भगाने के लिए प्राइमरी स्कूलों में अब नए तरीके से पढ़ाई पर जोर दिया जा रहा है। खासतौर पर क्लास एक व दो के लिए डिजाइन इस प्रोग्राम में बच्चों क ो मैथ्स को खेल-खेल में समझाने का प्रयास किया जाएगा। दूसरे सब्जेक्ट्स को भी कुछ इसी अंदाज में बताया जाएगा। इसके लिए विभाग ने तैयारी पूरी कर ली है। जल्द ही ये 'अर्ली रीडिंग एंड राइटिंग विद कॉप्रीहेंसिव एंड अर्ली मैथमेटिक प्रोग्राम' के रूप में शुरू होने जा रहा है। क्या है ये प्रोग्राम आइए जानते हैं

ताकि किताबों से प्रासंिगक संबंध

यशपाल समिति ने 'शिक्षा बिना बोझ के' अपनी रिपोर्ट में प्राइमरी एजुकेशन सिस्टम की प्रासंगिकता पर सवाल उठाया। इस रिपोर्ट में मैथ्स व अन्य विषयों का सामाजिक सरोकार न होने की बात कही गई, जिसमें बच्चों की समझ बढ़ाने की बजाय रटने की पढ़ाई को बदलने की पैरोकारी की गई थी। रिपोर्ट के आधार पर इस प्रोग्राम को मिनिस्ट्री ऑफ ह्यूमन रिर्सोसेस ने बनाया है, जिसमें क्लास क् व ख् के बच्चों को पढ़ाते वक्त उनमें उस विषय की समझ और जरूरत विकसित की जाएगी। पढ़ाते वक्त टीचर कम्युनिटी बेस्ड एग्जांपिल का भी इस्तेमाल करेंगे। यानि, बच्चों को पोस्ट ऑफिस, पुलिस स्टेशन, मंदिर-मस्जिद व अन्य जगहों की विजिट कराएंगे।

टीचर्स को स्पेशल ट्रेनिंग

इस प्रोग्राम के तहत बच्चों को समझ के साथ बोलना, पढ़ना, लिखना व गणित सिखाने के लिए टीचर्स को बाकायदा ट्रेनिंग दी जाएंगी। टीचर्स को ये ट्रेनिंग बीआरसी या फिर डायट पर दी जाएगी। प्रोग्राम के तहत टीचर्स को गणित सिखाने के लिए किट्स उपलब्ध कराई जाएगी। जबकि अन्य विषयों में समझ विकसित करने के लिए टीचर पढ़ाने के तरीके में आस-पास के परिवेश के उदाहरण का प्रयोग करेगा। इसके अलावा बच्चों में नैतिकता विकसित करने के लिए स्कूलों को प्रार्थना सभा के समय 'आज की बात' के रूप में प्रेरणादायक प्रसंग सुनाने के सुझाव ि1दए हैं।

डेढ़ घंटे सिर्फ मैथ्स

इस प्रोग्राम के तहत गणित पढ़ाने के लिए स्कूल ऑवर को दो भागों में बांटा गया है। पढ़ाई के चार घंटों में से अब डेढ़ घंटा गणित पढ़ाई जाएगी। बाकी के ढाई घंटे में टीचर बच्चों को सिलेबस के अतिरिक्त मनोरंजक बुक्स भी पढाएंगे। बरखा सीरिज नामक कॉमिक्स बुक्स इस पीरियड में ही पढ़ाई जाएंगी।

समिति ने क्या कहा था रिपोर्ट में

यशपाल समिति व एनसीईआरटी की राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण संस्था ने प्राइमरी एजुकेशन पर सर्वे किया था। दोनों के सर्वे में सुझाव कमोबेश समान थे। लिहाजा, मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सुझाव के आधार पर प्रोग्राम को डिजाइन किया है। सर्वे में दिये सुझाव इस प्रकार हैं

- बच्चों का किताब के साथ सार्थक एवं सामाजिक रूप से प्रासंगिक अनुबंध हो।

- भौतिक और सामाजिक दुनिया से जोड़कर गणित में स्वाभाविक और सकारात्मक रुचि का विकास किया जाए।

- क्लास एक्टिविटीज को सामाजिक गतिविधियों से जोड़ा जाए।