सेक्स पॉवर का बिजनेस डबल

मेडिकल हब बन चुकी बरेली सिटी में सेक्स पावर बढ़ाने की दवाएं लोगों का शौक बन चुकी हैं। सिटी का यूथ इन दवाओं के बड़े बायर के रूप में सामने आया है। आलम यह है कि पिछले पांच सालों में इन दवाओं का कारोबार दोगुने से भी ज्यादा हो चुका है। विभिन्न विज्ञापनों और इंटरनेट ने इन दवाओं को काफी लुभावने ढंग से पेश किया है। केमिस्ट एसोसिएशन के अकॉर्डिंग सिटी में हर महीने इन दवाओं की लाखों रुपए की सेल हो रही है। वहीं शॉकिंग फैक्ट यह है कि इन दवाओं को यूज करने वाले ज्यादातर लोगों को वाकई में इसकी जरूरत होती ही नहीं। वह इसका इस्तेमाल विज्ञापनों से प्रभावित होकर करते हैं।

विज्ञापनों ने बढ़ाई सेल

सेक्स पावर बढ़ाने का दावा करने वाली दवाओं का  एक अलग भ्रामक संसार मेडिसिन कंपनीज ने बसा रखा है। विज्ञापन के माध्यम से इन दवाओं को काफी ग्लैमराइज्ड तरीके से लोगों के सामने पेश किया जाता है। वहीं इन दवाओं की मार्केटिंग में इंटरनेट की भी बड़ी भूमिका सामने आ रही है। इंटरनेट पर सर्फिंग करते समय ज्यादातर साइट्स का लिंक खोलते ही ऐसा कोई न कोई पॉप-अप सामने आता जिसमें इन दवाओं का गुणगान होता है।

साल्ट वही, नाम कई

सेक्सुअल पावर बढ़ाने के लिए मार्केट में एलोपैथिक, होम्योपैथिक और आयुर्वेदिक हर तरह की मेडिसिंस अवेलेबल हैं। एलोपैथिक दवाओं की बात करें तो यह टैबलेट, कैप्सूल, स्प्रे, ट्यूब और पीने के लिए जेल फॉर्म में मौजूद है। बेसिकली तीन साल्ट्स सीडिनाफिल्ड, टेरेलाफिल और सीडिनाफिल्ड विद डिपोक्सिटिन पर आधारित 500 ब्रांड मार्केट में सेल हो रहे हैं।

2 साल्ट और 250 ब्रांड्स

अगर आयुर्वेदिक दवाओं की बात करें तो लगभग 250 ब्रांड्स मार्केट में बिक रहे हैं। लेकिन इन दवाओं में भी बेसिकली दो ही साल्ट्स का यूज किया जाता है। शिलाजीत और मुसली पर आधारित इन दवाओं के लगभग बीस ब्रांड्स को बायर्स प्रिफर करते हैं। वहीं आयुर्वेदिक स्प्रे बनाने के लिए लिग्नोकैन साल्ट का इस्तेमाल किया जाता है।

हर मंथ 30 लाख का टर्नओवर

इन दवाओं की सेल डे बाई डे बढ़ती जा रही है। इनकी बढ़ती डिमांड को देखते हुए हर महीने कोई नई कंपनी अपना प्रोडक्ट मार्केट में लॉन्च कर रही है। इस वक्त एलोपैथ और आयुर्वेदिक दवाओं के बाजार में लगभग 60 कंपनियां बिजनेस कर रही हैं। सिटी की छोटी से छोटी मेडिसिन शॉप से हर महीने इन दवाओं की कम से कम 1,000 रुपए की सेल होती है। वहीं पूरी बरेली सिटी में इन दवाओं के कारोबार की बात की जाए तो आंकड़ा हर महीने 30 लाख से भी ज्यादा होता है।

लोगों को लुभाने की हर कवायद

इस मार्केट को और बढ़ाने के लिए कंपनीज कई तरह की ट्रिक्स यूज कर रही हैं। पहले जहां मार्केट में सिर्फ पानी या दूध के साथ खाने वाली टैबलेट्स ही मिलती थीं वहीं अब सीधे मुंह में ही घुल जाने वाली टैबलेट्स भी मौजूद हैं। कुछ कंपनीज तो कस्टमर्स को अट्रैक्ट करने के लिए एक गोली के साथ दूसरी गोली मुफ्त देने की भी स्कीम चला रही हैं। वहीं मार्केट में कॉम्पिटीशन के चलते 50 रुपए में बिकने वाली गोलियों को 30 रुपए तक में सेल किया जा रहा है।

25 से 35 साल की उम्र वाले बायर

सोर्सेज के अकॉर्डिंग 25 से 35 साल की उम्र वाले लोग इन दवाओं के बड़े खरीदार हैं। डॉक्टर्स की मानें तो जनरली इन दवाओं की जरूरत 40 साल की उम्र पार कर चुके लोगों को ही पड़ती है। लेकिन चेंज हुए इस टे्रंड में 16 से 20 साल की उम्र के यूथ्स भी इन दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं।

मार्केट एक नजर में

सिटी का टर्नओवर हर मंथ 30 लाख रुपए से ज्यादा  

एलोपैथ

-टैबलेट, कैप्सूल, स्प्रे, ट्यूब और पीने के लिए जेली  

-3 सॉल्ट पर बेस्ड लगभग 500 ब्रांड्स

-लगभग 35 कंपनीज के प्रोडक्ट्स की है डिमांड

आयुर्वेद

-टैबलेट, कैप्सूल, ऑयल

-मार्केट में 2 सॉल्ट पर आधारित 250 से ज्यादा ब्रांड्स

-लगभग 25 कंपनीज की मेडिसिंस हैं अवेलेबल

बिना जरूरत के करते हैं इस्तेमाल

डॉक्टर्स के अकॉर्डिंग मैक्सिमम लोग इन दवाओं को जरूरत की वजह से यूज नहीं करते हैं। बल्कि इन दवाओं का इस्तेमाल करने वालों में वह लोग ज्यादा हैं जिन्हें इसकी जरूरत नहीं होती। केमिस्ट एसोसिएशन के पदाधिकारी बताते हैं कि लोग एक्सपेरिमेंट के तौर पर इन दवाओं इस्तेमाल करते हैं।

अगर 5 साल पहले तक की बात करें तो लोग इन दवाओं का इस्तेमाल इतना नहीं करते थे जितना आज हो रहा है। अब डिमांड लगभग डबल हो चुकी है। इन दवाओं की सेल पूरे साल अच्छी होती है।

दुर्गेश कुमार, प्रेसीडेंट, सिटी रिटेल केमिस्ट एसोसिएशन

केमिस्ट की शॉप पर ये दवाएं आसानी से मिल जाती हैं। समय के साथ ही इन दवाओं की सेल में इजाफा होता जा रहा है। शायद यही वजह है कि लगभग हर महीने कोई न कोई नई कंपनी ऐसी दवा मार्केट में इंट्रोड्यूस करती है।

दिनेश रस्तोगी, प्रेसीडेंट, डिस्ट्रिक्ट केमिस्ट एसोसिएशन