BAREILLY: बरेली कॉलेज में ऑर्गनाइज हुए नेशनल सेमिनार के दूसरे दिन आरयू की प्रो। नीलिमा गुप्ता ने रामगंगा के जल प्रदूषण के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने बताया कि जल प्रदूषण के लिए काफी हद तक हमारे रीति रिवाज और अंधविश्वास जिम्मेदार है। उन्होंने इसके समाधान पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इंसान जन्म से लेकर अपनी मृत्यु तक जीवन भर किसी न किसी रूप में नदियों को अपवित्र व दूषित करता आया है। मुंडन से लेकर दाह संस्कार से जैसे रिवाज नदियों के लिए घातक सिद्ध हो रहे हैं। अब कुछ सामाजिक संगठनों व केंद्र के स्वच्छ भारत अभियान से उम्मीद जगी है। बॉटनी विभाग की तरफ से ऑर्गनाइज किए गए इस सेमिनार का थर्सडे को समापन हो गया।

जेनेटिक संरक्षण से बचाए जा सकते हैं विलुप्त होने वाले जीव

प्रो। जीएस पालीवाल ने उत्तरी पश्चिमी हिमालय की वनस्पति पर जलवायु परिवर्तन से हो रहे कुप्रभावों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि जलवायु तापमान वृद्धि से ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। इससे वहां के जीव जंतु विलुप्ति की कगार पर हैं। रोहतक स्थित एमडी यूनिवर्सिटी के प्रो। डॉ। रवि प्रकाश ने वैश्रि्वक स्तर पर जैव विविधता के खतरे की जानकारी दी। उन्होंने खत्म होते जंगल और अवैध खनन से जो प्रजातियां विलुप्त हो रही हैं उनकी जेनेटिक संरक्षण की बात कही। समापन समारोह में बेस्ट पोस्टर अवार्ड से डॉ। मधुमिता, बेस्ट ओरल प्रेजेंटेशन अवार्ड से नेहा खान को नवाजा गया। इसके अलावा दिव्या सिंह को यंग साइंटिस्ट अवार्ड से सम्मानित किया गया। वहीं डॉ। राजेंद्र सिंह को मास्टर ऑफ इवेंट और डॉ। शालिनी सक्सेना को मास्टर ऑफ सेरेमनी से नवाजा गया। प्रिंसिपल डॉ। सोमेश यादव ने सभी गेस्ट्स को स्मृति चिन्ह भेंट किया। इस ऑकेजन पर डॉ। राजीव यादव, डॉ। मिन्नी, मनमोहन सिंह, निशा यादव, उमेश, अमृता, डॉ। एसके शर्मा, डॉ। सीमा, डॉ। डीके गुप्ता समेत कई मौजूद रहे।