हाईलाइट है इनका भी नाम
ज्यादातर ये वे स्टूडेंट्स लीडर्स हैं जिनका नॉमिनेशन खारिज हो गया है या फिर जो लिंगदोह की सिफारिशों के चलते अपना नॉमिनेशन नहीं करा पाए हैं। ऐसे स्टूडेंट्स लीडर्स ने अपने सगे संबंधियों का नॉमिनेशन कराया है। साथ ही उनके पर्चे में उनके नाम के साथ उर्फ लगाकर अपना नाम जोड़ दिया है। उर्फ के सहारे अब ये कैंपस में अपनी पॉलिटिक्स चमका रहे हैं। जिसने पर्चा भरा है वह तो लाइमलाइट में है ही नहीं। जबकि सिचुएशन इतनी बदल गई है कि स्टूडेंट्स को अब नॉमिनेशन कराने वाले कैंडीडेट्स का नाम याद ही नहीं है। उनको केवल उर्फ वाले नाम ही याद हैं। यहां तक कि कैंपेनिंग मैटीरियल में उर्फ के बाद वाले नाम ही ज्यादा हाईलाइट हैं।
ऐसे किया खेल
बीसीबी में प्रेसीडेंट पद के दावेदारों में शामिल ओमकार पटेल का नॉमिनेशन स्वीकार नहीं किया गया। कॉलेज ने उनको स्टूडेंट मानने सही इंकार कर दिया। इस पर उन्होंने अपने भाई सनी पटेल का नॉमिनेशन करा दिया। वहीं उर्फ के साथ अपना नाम ऐड करा दिया। जनरल सेक्रेट्री के लिए एबीवीपी के टिकट पर रश्मि कन्नौजिया का नॉमिनेशन खारिज कर दिया गया। इन्होंने अपनी बहन शीतल कन्नौजिया का भी नॉमिनेशन फाइल कराकर उनके नाम के साथ अपना नाम भी ऐड कर दिया। वहीं वैभव गंगवार नॉमिनेशन पेपर फाइल करने के लिए एलिजिबल नहीं थे तो उन्होंने श्रेय राज का नॉमिनेशन पेपर फाइल कराकर उनके साथ अपना नाम ऐड करा दिया।
अध्यादेश में किया गया है शामिल
स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन के लिए जो अध्यादेश जारी हुआ है उसमें उपनाम को ऐड करने की परमीशन दी गई है। नॉमिनेशन फाइल करने के समय कैंडीडेट्स को हलफनामा देना पड़ता है। उसी हलफनामा में वे अपने नाम के साथ उपनाम भी ऐड करवाते हैं। हलफनामा में दिए गए नाम को ही कॉलेज और यूनिवर्सिटी स्वीकार कर लेता है।
मैं कहीं से भी फाइट से बाहर नहीं हूं। मैं पूरी तरह से मैदान में हूं और मेरी कैंपेनिंग जोरों पर है। मैं और मेरी टीम मेरे नाम से ही कैंपेनिंग कर रही है। मेरी दावेदारी अभी भी बरकरार है। नॉमिनेशन पेपर में मेरा नाम भी है। इलेक्शन की फाइट में अभी भी पूरी तरह से एक्टिव हूं।
-रश्मि कन्नौजिया
मुझे साजिश के तहत नॉमिनेशन एक्सेप्ट न कर इलेक्शन से बाहर किया जा रहा था लेकिन मैं इलेक्शन की फाइट में अभी भी बरकरार हूं। जो नॉमिनेशन पेपर फाइल किया है उसमें मेरा नाम ही दर्ज है। कॉलेज कुछ भी कहे मैं किसी भी रूप में इलेक्शन से बाहर नहीं हूं। मैं अपने नाम से ही कैंपेनिंग कर रहा हूं और अपने नाम से ही वोट मांग रहा हूं।
- ओमकार पटेल
कुछ अलग पहचान के लिए ले रहे हैं सहारा
इन सबके बीच कुछ ऐसे कैंडीडेट्स भी हैं जिन्होंने स्टूडेंट्स के बीच अपनी अलग पहचान बनाने के लिए उर्फ के नाम का सहारा ले रहे हैं। दरअसल स्टूडेंट्स ओरिजनल नाम के बजाय कैची उपनाम को ज्यादा याद रखते हैं। वहीं कुछ स्टूडेंट्स अपने उर्फ वाले नाम से एक खास वर्ग के स्टूडेंट्स को अट्रक्ट करने के फेर में हैं। इसी फंडे को ध्यान में रखते हुए उन्होंने भी उर्फ का सहारा लिया है। दीपक राठौर उर्फ दीपू कुर्मी, शरद वीर सिंह उर्फ शरद वीर सिंह यादव, प्रशांत जौहरी उर्फ बंटी जौहरी, चेतन्य स्वरूप उर्फ चेतन पटेल, अवनीश सिंह उर्फ गोपी, दिनेश कुमार गंगवार उर्फ सोनू, फज्याज अहमद उर्फ रजवी, कुलदीप सिंह उर्फ केडी, शालिनी अरोरा उर्फ शालू समेत आरयू में अरविंद कुमार उर्फ अरविंद पटेल, सुशील कुमार उर्फ भीम, मो। हारून उर्फ हारून भईया ऐसे कैंडीडेट्स हैं जो ओरिजनल नाम के बजाय उर्फ के नाम से ज्यादा पहचाने जाने की कोशिश कर रहे हैं।
ओरीजनल कैंडीडेट्स रेस से बाहर
इलेक्शन नजदीक आते ही ओरीजनल कैंडीडेट्स पिक्चर से गायब हो गए हैं। जिन्होंने नॉमिनेशन पेपर फाइल किया था वे पेपर तक ही सिमट कर रह गए हैं। कैंपस और उससे बाहर उनके नाम के आगे ऐड किए गए उपनाम वाले स्टूडेंट्स कैंपेनिंग कर अपने पक्ष में वोट के लिए अपील कर रहे हैं। वो भी बकायदा यह प्रचार कर कि वे ही ओरीजनल कैंडीडेट हैं।
खाने से लेकर सोने तक का इंतजाम
आरयू और बीसीबी में स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन में वोटर्स की खातिरदारी के लिए तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। कहने को तो कैंडीडेट्स ने इलेक्शन कैंपेनिंग को मैनेज करने के लिए इलेक्शन ऑफिस तैयार किया है पर वास्तविकता कुछ और ही है। चुनाव कार्यालय के नाम पर यहां वोटर्स को रिझाने की तैयारियां की जा रही हैं। इन कार्यालयों में बाकायदा हलवाई लगे हैं जो ब्रेकफास्ट से लेकर डिनर तक प्रोवाइड करवा रहे हैं। यही नहीं खाने के बाद रेस्ट करने के भी पूरे अरेंजमेंट किए गए हैं। कई सेंटर्स पर आस-पास के टाउन एरियाज से आने वाले स्टूडेंट्स के लिए फूडिंग और ट्रांसपोर्ट फैसिलिटी अवेलेबल कराने की भी व्यवस्था की जा रही है।
दो बार होती है meeting
अर्ली मॉर्निंग से ही इन चुनाव कार्यालयों में हलचल शुरू हो जाती है। यहां दिन में दो बार कैंडीडेट्स और कार्यकर्ताओं की मीटिंग होती है। उसके बाद ही कार्यकर्ता फील्ड में कैंपेनिंग के लिए टीम बनाकर निकलते हैं। कार्यकर्ता दिन-रात इन कार्यालयों में ही अपना समय गुजार रहे हैं। इसके अलावा समर्थक भी यहीं बैठकर अपने कैंडीडेट्स के लिए मोबाइल कन्वेसिंग भी कर रहे हैं।
Breakfast से dinner तक का arrangement
इलेक्शन के लिए तैयार किए गए इन ऑफिसेज में खानपान के पूरे इंतजाम किए गए हैं। सुबह बे्रकफास्ट से लेकर रात के डिनर तक को बनाने के लिए हलवाई लगे हैं। यह तैयारी कैंडीडेट्स ने समर्थकों और वोटर्स के लिए की है। आस-पास के जिलों से आने वोटर्स पोलिंग के दिन परेशान न हों इसके लिए ही यह अरेंजमेंट्स किए गए हैं। शाम तक वोटिंग चलेगी। दूर-दराज एरियाज से वोटर्स आएंगे। उनकी पेट-पूजा का पूरा ख्याल रखा जा रहा है। वोटर्स को ऑब्लाइज करने और अपने पक्ष में कैंपेनिंग केेलिए वोटर्स केे हर सुविधाओं पर ध्यान दिया जा रहा है।
आराम फरमाने का भी पूरी व्यवस्था
चाय से स्वागत और खाने के बाद रेस्ट भी जरूरी है। इसके लिए कार्यालय में बाकायदा डारमेट्रीज तैयार की गई हैं। जो भी वोटर्स दूसरे जिलों से या फिर अदर टाउन एरियाज से सिटी में आएंगे उन्हें यहां एकमोडेशन प्रोवाइड किया जाएगा। एक पार्टी के जिला प्रवक्ता ने बताया कि उनके कार्यालय में किसी भी समय 100-150 कार्यकर्ता ठहर सकते हैं। वहीं उन्हें टाउन एरियाज से लाने के लिए भी ट्रांसपोर्ट का इंतजाम किया गया है। दूर-दराज से स्टूडेंट््स सुबह-सुबह ही आ सकते हैं। वोटिंग से पहले और वोटिंग केे बाद वे रेस्ट करना चाहें तो यहां पर उनके लिए पूरे इंतजाम किए गए हैं।
24 घंटे मिल रही चाय
कहने को तो सिटी में केवल आरयू और बीसीबी में ही यूनियन इलेक्शंस ऑर्गनाइज किए जा रहे हैं पर इसका रंग सिटी पर भी चढ़ चुका है। इसकी वजह है जगह-जगह बने कैंडीडेट्स के इलेक्शन ऑफिसेज। इन ऑफिसेज में पूरे समय चाय की व्यवस्था रहती है। सुबह से रात तक जो भी इस कार्यालय मेंं आता है उसे रिफ्रेशमेंट दिया जाता है। इसके लिए ऑफिसेज में टी-कंटेनर रखा गया है। यहां आने वाला हर कार्यकर्ता इसे सेल्फ सर्विस के जरिए ले सकता है।