अनहोनी से बचने के लिए
कोतवाली, सुभाषनगर, बिथरी चैनपुर, प्रेमनगर समेत अन्य थानों में तैनात कई पुलिसवालों के पास अपनी लाइसेंसी पिस्टल है। एक दरोगा ने बताया कि लाइसेंसी पिस्टल रखने के पीछे मेन वजह खुद की सिक्योरिटी है। ड्यूटी पर तो सरकारी वेपन मिल जाता है, लेकिन ऑफ ड्यूटी में उन्हें बिना हथियार के रहना पड़ता है। ऐसे में अनहोनी से बचने के लिए वह लाइसेंसी पिस्टल रखते हैं। ट्रैफिक ऑफिस में तैनात दरोगा के पास भी पर्सनल लाइसेंसी पिस्टल है। उनका मानना है कि सरकारी पिस्टल बिना वजह यूज नहीं कर सकते। वहीं प्रॉपर रख-रखाव न होने से ये ऐन वक्त पर धोखा दे जाती है। अगर कहीं डराने के लिए हवाई फायरिंग भी करनी पड़ जाए तो तमाम डिपार्टमेंटल प्रोसेस पूरा करना पड़ता है. थोड़ी सी गलती हुई तो नौकरी तक पर बन आती है। ऐसे में खुद की पिस्टल ज्यादा भरोसेमंद साबित होती है। ऑफ ड्यूटी में दुश्मनों से बचने के लिए खुद का लाइसेंसी वेपन रखना ज्यादा सेफ रहता है।
लाइसेंस मिलना आसान
पुलिसकर्मी को वेपन और लाइसेंस बड़ी आसानी से मिल जाता है। पुलिस डिपार्टमेंट में होने वाली जांच ये आसानी से करा लेते हैं। एडमिनिस्ट्रेशन प्रोसेस में भी इन्हें खास प्रॉब्लम नहीं होती। वहीं सरकारी पिस्टल पुलिसवालों के लिए जिम्मेदारी से कम नहीं। पुलिस ऑफिस में तैनात एक दरोगा ने बताया कि सरकारी वेपन की देख-रेख अच्छे तरीके से नहीं होती है। ड्यूटी पर उसका पूरा रिकॉर्ड देना होता है। थाने में इंट्री करानी होती है। यही नहीं सरकारी पिस्टल खोने या चोरी होने पर जांच स्टार्ट हो जाती है। इसके अलावा सरकारी गोली का भी पूरा हिसाब देना पड़ता है।
क्या कहते हैं नियम
नियम के अनुसार, किसी भी पुलिसकर्मी को ड्यूटी पर जाते वक्त पिस्टल इश्यू कराने के लिए थाने की जीडी में इंट्री करानी पड़ती है। जब ड्यूटी खत्म हो जाती है तो पिस्टल वापसी की इंट्री करानी पड़ती है। इस दौरान मुठभेड़ या अन्य कहीं वेपन का यूज किया जाता है, तो उसका पूरा ब्योरा देना पड़ता है। जैसे कि गोली क्यों चलाई, गोली किस पर चलाई, कितने राउंड गोली चलाई, गोली चलाने की क्या जरूरत पड़ गई। इसके अलावा जिस एरिया में मुठभेड़ हुई, वहां के थाने में एफआईआर दर्ज करानी होगी। ड्यूटी के दौरान सरकारी वेपन ही यूज कर सकते हैं। प्राइवेट वेपन यूज करना गलत है।
Some latest example
अक्सर देखने में आता है कि सरकारी वेपन ऐन वक्त पर दगा दे जाते हैं। बभिया में हुई पुलिस मुठभेड़, बिथरी में हुई मुठभेड़ और रोडवेज पर हुए मर्डर के दौरान पुलिस वेपन न चलना लेटेस्ट एग्जाम्पल हैं। इसके पीछे की वजह वेपन की ढंग से केयर न करना भी है। थानों पर रखे जाने वाले अधिकांश वेपन की महीनों तक सफाई ही नहीं होती। जब भी कोई अधिकारी राउंड पर जाता है, तब दिखावे के लिए इनकी सफाई की जाती है। जबकि हर वेपन की हफ्ते में एक बार सफाई होना जरूरी है। ये जिम्मेदारी उस पुलिसकर्मी की होती है, जिसे वेपन इश्यू किया जाता है। कुछ खराबी होने पर वेपन को आर्मरी से ठीक कराना होता है, लेकिन ऐसा किया नहीं जाता।
'ड्यूटी के वक्त सरकारी वेपन ही रखना चाहिए। प्राइवेट वेपन अगर जीडी में इंट्री के साथ भी रखा जाता है तो भी नियम के खिलाफ है। ऐसा करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा। '
-आरकेएस राठौर, डीआईजी बरेली
Reoprt By-Anil Kumar