- आरटीओ कैंपस में सक्रिय दलालों के खिलाफ कार्रवाई

- दलालों को लाया गया पुलिस लाइन, तैयार की गई लिस्ट

BAREILLY : ड्राइविंग लाइसेंस या आरटीओ से जुड़ा कोई काम कराने में महीनों लग जाते हैं। वहीं उसी काम को दलाल कुछ मिनटों में ही करा देते हैं। आरटीओ कैंपस के बाहर और अंदर जाल बिछाए दलालों का कुनबा आखिरकार थर्सडे को साफ हो गया। गलत तरीके से ड्राइविंग लाइसेंस बनाए जाने की सूचना पर एसपी ट्रैफिक, एसपी क्राइम, टीएसआई ने संयुक्त रूप से दलालों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए छापेमारी की। दलाल एक्स्ट्रा पैसे लेकर रिलेटेड लर्निग, ड्राइविंग लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन जैसे कोई भी काम चंद मिनटों में करा देते थे। बता दें कि आई नेक्स्ट लगातार आरटीओ ऑफिस में दलालों की सक्रियता की खबरें पब्लिश करता रहा है।

छापेमारी देख भागने लगे दलाल

कार्रवाई होते देख दलाल दुकान बंद कर भागने लगे। करीब दो घंटे तक अफरा-तफरी का माहौल बना रहा। टीम आरटीओ ऑफिस के पास से 8ब् लोगों को पकड़ने में कामयाब रही। सभी को उनके डॉक्यूमेंट्स के साथ पुलिस लाइन लाया गया, जहां दलालों के पास मौजूद मुहर, इंवेलप, फार्म जैसे डॉक्यूमेंट्स और दलालों की कार्यप्रणाली की जांच की गई। जांच टीम द्वारा सभी के मोबाइल नंबर, एड्रेस की लिस्ट तैयार की गई।

जांच में कोई नहीं फर्जी

पकड़े गए 8ब् लोगों में जांच के दौरान फ्म् दलालों और ब्8 कैंडीडेंट्स की पुष्टि हुई जो विभाग से रिलेटेड काम के लिए आरटीओ विभाग पहुंचे हुए थे। जांच के दौरान एक भी दलाल के पास से फर्जी डॉक्यूमेंट या मुहर बरामद नहीं हुई, जबकि आई नेक्स्ट ने अपने स्तर पर यह पता किया की दलालों के पास रिलेटेड विभाग के मुहर लगे म्फ् स्टॉम्प मौजूद थे। इतना ही नहीं विभाग से कुछ दिन पहले यूपी ख्भ् बीबी 008क् नंबर के फोर व्हीलर का बगैर टैक्स जमा किए रजिस्ट्रेशन किया गया था। इस नंबर का इस्तेमाल कर आगरा में एक बैंक में लूट भी कई गई थी। इस मामले में चार लोगों के खिलाफ कैंट थाने में केस भी दर्ज कराया गया है। इसके बाद भी जांच टीम को एक भी दलालों के पास से इल्लीगल डॉक्यूमेंट्स बरामद नहीं हुए। हालांकि सभी को यह चेतावनी देकर छोड़ दिया गया।

विभागीय कर्मचारियों के एजेंट

हालांकि छापेमारी में पकड़े गए दलाल यह बात खुद कबूल रहे थे कि विभाग के कर्मचारी और ऑफिसर्स ने खुद एजेंट बना रखे हैं। बाबूओं के दो आरआई और एआरटीओ के भ्-भ् एजेंट वर्क कर रहे हैं। इनके माध्यम से ही पूरा खेल चलता है। जांच टीम ने पवन बिहार के रहने वाले कमल जगवानी, मुकेश, बबलू को चिन्हिृत किया है, जो नंबर दो का काम करते हैं।

डेली सैकड़ों कैंडीडेट्स ठगे जाते थे

आरटीओ विभाग में लर्निग, परमानेंट और लाइसेंस रीन्यूवल कराने के लिए डेली 700 से 800 लोग आते हैं, जिसका फायदा ये दलाल उठाते थे। आरटीओ विभाग के आस-पास ख्00 से अधिक दलाल हैं। खुद से लर्निग लाइसेंस , स्मार्ट लाइसेंस बनवाने में बमुश्किल फ्00 से ब्00 रुपए का खर्च आता है, जबकि दलाल इसी काम के लिए कैंडीडेंट्स से क्भ्00 रुपए वसूल करते थे। आरटीओ विभाग में दलालों की पकड़ इतनी मजबूत थी कि एक वीक का काम चंद मिनटों में करा देते थे। दलालों पर रोक लगाने के लिए गवर्नमेंट द्वारा ख्0 फरवरी ख्0क्फ् से स्मार्ट कार्ड के रूप में लाइसेंस जारी गया।

दलालों पर कार्रवाई करने के लिए मैंने ख्ब् मई को पुलिस प्रशासन को लेटर लिखा था, जिससे विभाग की जो छवि खराब हो रही है उसको रोका जा सके। अगर विभाग के कर्मचारी या अधिकारी दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ भी एक्शन लिया जाएगा।

संजय सिंह, एआरटीओ, प्रशासन