- जांच में मामला पकड़ में आने पर एसआई को किया सस्पेंड
-कब और कैसे किया खेल, इसका पता लगाएंगे सीओ 2 हेमंत कुटियाल
BAREILLY: धाराओं में खेल कर निर्दोष को जेल भेजना पुलिस का पुराना काम है, लेकिन इस बार पुलिस ने एक नया ही कारनामा कर दिया। ऐसा कारनामा जिसके चलते एनडीए की तैयारी कर रहे स्टूडेंट का करियर चौपट हो गया। उसे क्ब् दिन जेल में भी रहना पड़ा। स्टूडेंट के खिलाफ एसपी सिटी को दिए गए प्रार्थना पत्र के आदेश में अलग से तीन लाइनें बढ़ा दी गईं, जिससे केस दूसरी धाराओं में दर्ज हो गया। बाकी का खेल आईओ ने जांच में धाराएं बढ़ाकर चार्जशीट भी लगा दी। गवाह भी फर्जी तैयार कर लिए गए। जेल से छूटने के बाद स्टूडेंट ने पुलिस के आलाधिकारियों से शिकायत की। कोर्ट ने भी पुलिस का यह खेल पकड़ लिया। एसएसपी ने जब मामले की जांच सीओ थर्ड और आईपीएस सचींद्र पटेल से कराई तो सारा खेल सामने आ गया। एसएसपी ने खेल करने वाले बारादरी थाना के एसआई सुनील कुमार को सस्पेंड कर दिया है और उनकी प्रारंभिक जांच शुरू करा दी है। इसके अलावा सीओ ख् हेमंत कुटियाल को कब और किस मकसद से खेल किया गया इसका पता लगाने के लिए जांच सौंपी है।
क्म् मार्च को दर्ज हुई थी एफआईआर
क्म् मार्च को बारादरी थाने में अतुल गुप्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। एफआईआर एसपी सिटी को दिए गए प्रार्थना पत्र के आदेश के आधार पर की गई। अतुल के पड़ोसी आलोक गुप्ता ने दर्ज कराई थी। बारादरी पुलिस ने अतुल के खिलाफ आईपीसी की धाराओं फ्9ब्, ख्9ब्, भ्0ब् और फ्ख्फ् के तहत एफआईआर दर्ज कर ली। मामले की जांच एसआई सुनील कुमार को सौंप दी गई। यहां से पुलिस का अगला खेल स्टार्ट हो गया। यहां पर वादी के बेटे ने जो एक पत्रकार हैं पुलिस पहुंच का फायदा उठाया।
जांच में बढ़ा दी धाराएं
एसआई ने जब जांच स्टार्ट की तो अपनी केस डायरी में म्00 रुपए की लूट दिखाकर धाराएं अलग से बढ़ा दी। सीडी में फ्9फ् और भ्0म् की धारा अलग से बढ़ा दी। यही नहीं धाराएं बढ़ाने के बाद सीओ की भी अनुमति नहीं ली, जबकि किसी भी जांच में धाराएं बढ़ाने के लिए सीओ की अनुमति जरूरी होती है। उसके बाद एसआई ने अतुल को अरेस्ट कर जेल भेज दिया। एसआई ने 9 अप्रैल को कोर्ट में अतुल के खिलाफ चार्जशीट लगा दी। क्ब् दिन जेल में रहने के बाद जब अतुल वापस आया तो उसकी मां मधु गुप्ता ने आईजी, डीआईजी और एसएसपी को पुलिस के खेल की शिकायत की। शिकायत में उन्होंने लिखा कि पुलिस के खेल के चलते उनके बेटे अका भविष्य खराब हो गया। वह एनडीए की तैयारी कर रहा था। उसका किसी नौकरी के लिए सेलेक्शन भी हो गया था।
कोर्ट ने भी पकड़ा खेल
एसएसपी ने मामले की जांच सीओ थर्ड असित श्रीवास्तव व आईपीएस सचींद्र पटेल को सौंपी। दोनों ने जब केस की जांच की तो पाया कि एसपी सिटी को दिए गए प्रार्थना पत्र और थाना में पहुंचे प्रार्थना पत्र में काफी अंतर है। एसपी सिटी ने जिस प्रार्थना पत्र पर आदेश दिया उससे तो सिर्फ मामूली धाराओं में केस बनता और अतुल को जेल भी नहीं जाना पड़ता। लेकिन थाना में जिस प्रार्थना पत्र के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई उसमें नीचे तीन लाइनें अलग से बढ़ाई गई, जिसमें म्00 रुपये लूटने की बात लिखी है जिससे मामूली धाराएं लूट में बदल गई और अतुल को जेल जाना पड़ गया। यही नहीं बिना सीओ की अनुमति के जांच में धाराएं भी बढ़ा दीं। कोर्ट में भी मेन तहरीर में तीन लाइनें अलग से बढ़ा होना पाया। कोर्ट ने माना कि पत्रकार ने पुलिस से अपनी पहुंच का फायदा उठाकर ये खेल किया है।