पुलिस के आला अधिकारियों ने भी माना मानसिक विकृति अपराधों की वजह

रेप के बढ़ते केसेज में पुलिसिया सर्वे ने कम कपड़ों को ठहराया था जिम्मेदार

BAREILLY: महिलाओं से रेप व छेड़छाड़ के मामलों में आखिरकार खाकी ने भी अपना नजरिया साफ कर दिया है। अपने सर्वे में महिलाओं के खिलाफ होने वाले सेक्शुअल क्राइम में उनके कम कपड़ों को वजह बताने वाली खाकी ने आई नेक्स्ट से बातचीत में इसे पूरी तरह सही नहीं माना है। पुलिस के आला अफसरानों की राय सर्वे की रिपोर्ट से बिल्कुल अलहदा है। अपराधियों और अपराध को धूल चटाने वाले खाकी के इन मौजूदा और रिटायर्ड सूरमाओं ने माना कि कम कपड़े नहीं बल्कि घटिया व विकृत सोच ही रेप जैसी वारदातों की असली वजह है। हालांकि अधिकारियों ने पहनावे को लेकर शालीनता व सावधानी बरतने को गलत नहीं माना है।

कपड़े नहीं सोच बड़ी करें

पुलिसिया सर्वे में महिलाओं से रेप व छेड़छाड़ के मामलों में बढ़ोतरी पर तंग, छोटे व रिविलिंग कपड़ों को बड़ी वजह माना गया था। आई नेक्स्ट ने इस सर्वे रिपोर्ट पर आम पब्लिक के बीच अपनी सर्वे शुरू की। संडे को बरेली जोन के डीआईजी, एसपी समेत रिटायर्ड पुलिस अधिकारियों से इस मामले में उनकी सोच जानी गई। रिजल्ट बेहतर और पॉजीटिव मिले। इन अफसरान ने भी माना कि कपड़े नहीं विचारों में खामी और विकृत सोच ही रेप व छेड़छाड़ जैसी वारदातों की वजह बन रही। अधिकारियों ने भी माना कि गांवों में महिलाओं का पहनावा शहर से कम आधुनिक है। बावजूद वहां रेप की वारदातें ज्यादा है।

महिलाओं के कपड़ों को नहीं बल्कि इंसान की सोच बदलने की जरूरत है। आदमी के दिमाग के राक्षस को सुधारने के लिए समाज को ही बदलाव लाना होगा। लोगों को देखना होगा कि उनके बेटे में कोई रावण, दुशासन या दुर्योधन तो नहीं है। गांव और शहर में अच्छे माहौल की जरूरत है। गांव में महिलाएं ज्यादा कपड़े पहनती हैं लेकिन वहां भी रेप छेड़छाड़ की घटनाएं ज्यादा होती हैं। अकेले पुलिस और मीडिया सुधार नहीं ला सकती। सबको मिल जुलकर इससे लड़ना होगा।

आरकेएस राठौर, डीआईजी बरेली

तंग या छोटे कपड़े रेप का कारण नहीं है। कपड़ों को नहीं बल्कि जरूरत है सोच बदलने की। मानसिकता बदलने की। रेप इंसान की मेंटल इलनेस को दर्शाता है। इसी के चलते रेप की घटनाएं होती हैं। सिटी के साथ-साथ गांवों में भी रेप की घटनाएं होती हैं। पुलिस ऐसे लोगों पर आईपीसी के तहत कड़ी कार्रवाई करती है।

राजीव मल्होत्रा, एसपी सिटी बरेली

रेप का कपड़ों और पहनावे से कोई लेना देना नहीं है। युवा वर्ग की कुछ सोच ऐसी होती जा रही है, जिसके चलते ऐसी घटनाएं हो रही हैं। रेप टोटल लोगों की सोच पर डिपेंड करते हैं। इसके लिए स्मार्टफोन, सोशल साइट्स फेसबुक और व्हाट्सएप पर आने वाली अश्लील पिक भी वजह बन रही है क्योंकि किशोरों का इन्हें देखकर माइंड चेंज हो जाता है।

बृजेश कुमार श्रीवास्तव, एसपी रूरल

पहनावे के ढंग से शालीनता पर असर दिखाई देता है, लेकिन पहनावा रेप की घटनाओं के लिए जिम्मेदार नहंीं होता। यह केवल अपराधी की विकृत मानसिकता का परिचायक है। इसे बदलने के लिए परिवार और समाज के साथ ही एजूकेशन समेत अन्य सामाजिक संस्थाओं को आगे आना होगा। रेप की घटनाओं का मुख्य जिम्मेदार पेरेंट्स की ओर से बच्चों को संस्कारी शिक्षा ना देना है।

सीके मिश्रा, रिटायर्ड डीएसपी

समाज में रेप की घटनाओं के बढ़ने की मुख्य वजह परिवार की ओर से बच्चों को सुसंस्कृतिक शिक्षा प्रदान ना करना है। रेप की घटनाओं में कपड़ों की नहीं बल्कि मानसिक विकृति जिम्मेदार है। इस मानसिकता को बदलने की शुरुआत अभिभावक, पड़ोस और समाज को मिलकर करना होगा। यह सामाजिक समस्या है। हालांकि पहनावा मानसिक विकृति को कुछ हद तक बढ़ावा देने का काम कर सकती है।

वी त्यागी, रिटायर्ड डीएसपी