-पब्लिक के लिए शुरू की गई कई योजनाओं ने तोड़ा दम

-सिर्फ वाहवाही लूटने के लिए कर दिया जाता है ऐलान

-सभी सरकारी विभाग एक ही ढर्रे पर

BAREILLY: पब्लिक को बेहतर सुविधा देने और उनकी सेफ्टी के तमाम दावे गर्वमेंट डिपार्टमेंटस करते हैं। मिनिस्ट्री और डिपार्टमेंट के आला अफसर वाहवाही लूटने के लिए कई तरह की योजना शुरू करते हैं। उनका मीडिया में प्रचार प्रसार किया जाता है। कई योजनाएं तो जितने धमाके से शुरू होती हैं, उतनी ही तेजी से दम तोड़ देती हैं। इन सबके बीच पिसती है पब्लिक और खुद को ठगा सा महसूस करती है। पिछले कुछ महीनों के दौरान पुलिस डिपार्टमेंट, पोस्टल, परिवहन, एजुकेशन डिपार्टमेंट ने कई योजनाएं तैयार की, लेकिन उनका जमीनी हाल क्या है, इस बारे में आज आपको बताएंगे हम।

पुलिस डिपार्टमेंट

शक्ति की नहीं दिखी पावर

ईव टीजिंग की वारदातों को रोकने के लिए एसएसपी जे रविंद्र गौड़ के निर्देशन में एसपी सिटी राजीव मल्होत्रा ने शक्ति मोबाइल की शुरुआत की। तीन स्कूटी पर दो-दो लेडी कांस्टेबल तैनात की गईं। कंट्रोल रूम से ऑपरेट होने वाली इस इस सुविधा का काम स्कूल, कॉलेज, मार्केट व अन्य भीड़भाड़ एरिया में लफंगों को पकड़ना था, लेकिन अभी तक सिर्फ एक बार ही कुछ लफंगे शक्ति के द्वारा पकड़े गए। ना तो शक्ति कहीं नजर आती है और ना ईव टीजिंग नहीं रुक रही है। साथ ही अभी तक इसकी संख्या में भी बढ़ोत्तरी नहीं की गई है। जिम्मेदार लोग भी अपनी इस प्लानिंग को भूलते नजर आ रहे हैं।

आपरेशन की फ्लश हुई खराब

क्राइम कंट्रोल के लिए एसएसपी ने सिटी में अलग-अलग एरिया में किरायेदारों व नौकरों का वेरीफिकेशन की तैयारी की। एसएसपी व एसपी ने पूरे सिटी में किरायेदारों व नौकरों के वेरीफिकेशन व टाइम-टाइम पर ऑपरेशन फ्लश आउट चलाने का दावा किया था। लेकिन आज ना तो वेरीफिकेशन हो रहे हैं और ना ही ऑपरेशन कहीं चलाया गया।

विजिटिंग कार्ड की विजिट समाप्त

एसपी सिटी राजीव मल्होत्रा ने पब्लिक और पुलिस के बीच बढ़ती दूरियां मिटाने के लिए प्रत्येक संडे को थाना एरिया में रहने वालों लोगों के घर-घर जाकर इंट्रेक्शन की शुरुआत की। सभी पुलिसकर्मियों के विजिटिंग कार्ड छपवाने की भी प्लानिंग की गई। विजिटिंग कार्ड सिर्फ कोतवाली एरिया में छपे और कुछ दुकानों पर बंटने के बाद बंद हो गए। यही नहीं दो-तीन संडे तो पुलिस लोगों के घर पहुंची, लेकिन बाद में सब कुछ फिर से पुराने ढर्रे पर आ गया।

सिटी में लॉ एंड आर्डर की प्रॉब्लम व लखनऊ में पुलिस वीक के चलते प्लानिंग में देरी आयी है। एक बार फिर से ऑपरेशन फ्लश आउट चलाया जाएगा। साथ ही किरायेदारों का वेरीफिकेशन और शक्ति की संख्या बढ़ाने और पुलिस-पब्लिक की दोस्ती बढ़ायी जाएगी।

जे रविंद्र गौड़, एसएसपी बरेली

हॉस्टिपल

तो कहां से हो बर्थ रजिस्ट्रेशन

नगर निगम में ऑनलाइन बर्थ रजिस्ट्रेशन की शुरुआत अगस्त ख्0क्फ् में की गई। कुछ दिन रजिस्ट्रेशन हुए, लेकिन बाद में ठप्प हो गया। एक बार फिर से इसकी शुरुआत की गई। इसके तहत सिटी के सभी प्राइवेट हॉस्पिटल्स को ऐड किया जाना था, लेकिन जनवरी तक सिर्फ फ्0 हॉस्पिटल ही इससे ऐड हो सके। इसमें देरी की वजह नगर स्वास्थ्य अधिकारी का ट्रांसफर होना है। इस देरी की वजह से सर्टिफिकेट जारी नहीं हो सके क्योंकि इन सर्टिफिकेट पर साइन नहीं हो सके थे। वहीं सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट मार्च ख्0क्फ् में स्टार्ट हुआ था, लेकिन तमाम विवादों के चलते ना तो पूरे कूडे़ का कंजम्पशन हो पा रहा है और ना ही कंपोस्ट खाद ठीक से तैयार हो पा रही है। डोर-टू-डोर गारबेज कलेक्शन की प्रोसेस में देरी होती नजर आ रही है। इसकी वजह सर्वे और टेंडर ना हो पाना है।

रेलवे का हाल

रेलवे के विकास की रफ्तार भी धीमी

बरेली से कासगंज तक क्0ब् किमी तक की ब्राडगेज लाइन का निर्माण ख्0क्0 तक होना था। इसे ख्फ्भ् करोड़ की लागत से ब्लॉक लेकर करना था, लेकिन ब्लॉक ना लेने के चलते काम निर्धारित टाइम ख्0क्फ् तक पूरा नहीं हो सका। बरेली पीलीभीत लाइन का भी यही हाल है। इसके साथ ही बरेली सिटी व जंक्शन यानी एनईआर व एनआर को जोड़ने का काम भी पूरा होना था, लेकिन दो साल के डिले के बाद भी ये काम पूरा नहीं हो सका। धीमी गति से चल रहे काम की वजह से पब्लिक को काफी प्रॉब्लम फेस करनी पड़ रही हैं।

पोस्टल डिपार्टमेंट

म् महीने बाद भी नहीं स्टार्ट हुई कौर बैंकिंग

पायलट प्रोजेक्ट के तहत पोस्ट आफिसेस में कोर बैकिंग की सुविधा अगस्त ख्0क्फ् से स्टार्ट होनी थी। फ‌र्स्ट फेज में कोर बैंकिंग की सुविधा क्म् मुख्य पोस्ट ऑफिस और सेकेंड फेज में कोर बैकिंग की सुविधा म्फ् सब पोस्ट ऑफिस में स्टार्ट होनी है। म् महीने से अधिक टाइम होने के बावजूद अभी कुछ भी नजर नहीं आ रहा है। ऑफिसर्स इसके पीछे का रीजन इंटर्नल प्रॉब्लम्स मान रहे हैं। हालांकि वे अब इस सर्विस को ख्ख् फरवरी से स्टार्ट होने का दावा कर रहे हैं।

तैयारी पूरी कर ली गई है। जल्द ही कोर बैंकिंग शुरू हो जाएगी।

एमएल कालिया, पोस्टमास्टर जनरल

परिवहन निगम

परिवहन की तमाम प्लानिंग हैं कोसों दूर

ख्00 करोड़ के पायलट प्रोजेक्ट के जरिए बरेली सहित पूरे स्टेट के परिवहन निगम को कम्प्यूटराइज्ड किए जाने की बात थी। ख्0क्फ् तक इस योजना को अंतिम रूप दिया जाना था, लेकिन सब कुछ कोसों दूर है। बसों में ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) व बस स्टेशनों पर इलेक्ट्रिक डिस्प्ले बोर्ड, एयर कंडीशनर वेटिंग रूम बनने थे, लेकिन कुछ भी हकीकत में नहीं बदला। तैयारियों को देखकर यह कहा जा सकता है कि लोगों को भ्-म् महीने तक वेट करना होगा।

सर्विस को स्टार्ट करने के लिए काम चल रहा है। अगले कुछ महीनों में पैसेंजर्स को सारी सुविधाएं मिलने लगेंगी।

साद सईद, आरएम, परिवहन निगम

रेडिया टैक्सी

हवा में ही चल रही रेडियो टैक्सी

रेडियो टैक्सी सितम्बर ख्0क्फ् में ही स्टार्ट होनी थी, लेकिन यह सब अभी भी बरेलियंस के लिए एक ख्वाब से कम नहीं है। इसमें देरी की वजह क्0 से कम रेडियो टैक्सी की संख्या होने के चलते परमिट जारी ना होना है। वहीं दूसरी और स्कूल व कॉलेजों में भी कैंप आर्गनाइज्ड कर ड्राइविंग लाइसेंस बनाए जाने की प्रक्रिया भी दो महीने एक्स्ट्रा होने के वाबजूद स्टार्ट नहीं हो सकी है।

रेडियो टैक्सी के लिए अभी एक भी आवेदन नहीं आए है। आवेदन आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।

-आरके वर्मा, एआरटीओ

ना आटो ड्राइवर की वर्दी और ना ही कोई बैच

ऑटो एसोसिएशन ने सिटी में चल रहे करीब फ्,000 चालकों को अगस्त ख्0क्फ् में ही ग्रे कलर की वर्दी देने की बात कही थी। चालकों को एक खास बैच जिस पर रूट वाइज कोड बार और सभी ऑटो में स्टील रॉड भी लगाए जाने थे। लेकिन प्रजेंट टाइम में न तो रॉड लग सके हैं और न ऑटो चालकों के पास वर्दी है। यह व्यवस्था कब तक लागू होगी अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है। इसकी शुरुआत ना होने की मेन वजह फंड अवलेबल ना होना है।

एक महीने में वर्दी दे दी जाएगी। कुछ प्रॉब्लम्स की वजह से यह सुविधा चालकों को नहीं मिल पायी।

पंकज पांडेय, प्रेसीडेंट, ऑटो रिक्शा चालक वेलफेयर सोसाइटी

एजुकेशन डिपार्टमेंट

तीसरी आंख की रोशनी कम

बरेली कॉलेज में अराजकता उसकी नियति में शामिल है। कब कौन सी बात को कॉलेज का माहौल बिगड़ जाए कोई नहीं कह सकता। अनिश्चितता की स्थिति हर वक्त रहती है। अराजक तत्वों की पहचान करने के लिए बरेली कॉलेज ने पहली बार कैंपस में सीसीटीवी कैमरे लगाए थे। प्रमुख जगहों पर आधे दर्जन से ज्यादा कैमरे लगाए गए थे। हालांकि यह कैमरे ख्0क्ख् में नैक के दौरे के दौरान लगाए थे। लेकिन बाद में कॉलेज ने इनकी तरफ ध्यान नहीं दिया। आज हालात यह है कि इनमें से महज दो ही कैमरे चालू स्थिति में हैं। कोई कंट्रोल रूम भी नहीं है।

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वाई-फाई हुई हवाई

सीएम की महत्वाकांक्षी योजना लैपटॉप का लाभ लेने की बारी आई तो बरेली कॉलेज सबसे आगे रहा। लैपटॉप पाने वालों में यहां के स्टूडेंट्स की संख्या सबसे ज्यादा थी, लेकिन इनके लिए जब वाई-फाई फैसिलिटी प्रोवाइड कराने की बात आई तो अभी तक कॉलेज कागजी नाव दौड़ा रहा है। शासन के आदेश के बाद कॉलेज की तरफ से कमेटी गठित कर स्थलीय परीक्षण समेत इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने संबंधी प्वाइंट्स का खाका खींचने को कहा गया। लेकिन यह महज आदेश तक ही सीमित रहा। इस क्रम में अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।