बरेली: जिस तरह से समाज में महिलाओं को आधी आबादी का दर्जा हासिल है, उसी आधार पर सामाजिक व्यवस्थाएं और सुविधाओं में उन्हें बराबरी का हिस्सा मिलना चाहिए। बात करें शहर में पब्लिक टॉयलेट्स की तो नगर निगम ने 30 से ज्यादा बनाए हैं जिनमें सिर्फ 3 पिंक टॉयलेट हैं ऐसे में साफ समझा जा सकता है कि महिलओं की जरूरतों को नजरअंदाज किया जा रहा है। सैटरडे को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने पिंक टॉयलेट की समस्या को लेकर अपने 'एक्सक्यूज मी' कैंपेन के तहत ही दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के ऑफिस में संवाद कार्यक्रम आयोजित किया। जिसमें शहर की सम्मानित महिलाएं, व्यापारी, और डॉक्टर मौजूद रहे जिन्होंने नगर निगम के सहायक नगर आयुक्त विवेक त्रिपाठी से सीधे सवाल किए और सुझाव भी दिए। इस दौरान महिलाओं ने जहां पिंक टॉयलेट की समस्या को लेकर अपना दर्द बताया तो वहीं व्यापारियों ने भी मार्केट में टॉयलेट की कमी के होने वाले परेशानियों को बयां किया। परेशानियां सुनने के बाद सहायक नगर आयुक्त ने पिंक टॉयलेट की संख्या बढ़ाने का आश्वासन दिया। साथ ही बताया कि शहर में स्मार्ट सिटी के तहत पिंक टॉयलेट का निर्माण कराना प्राथमिकता में है।
चल रहे कई निर्माण कार्य
सवाल जवाब सेशन में समाजसेवी पारुल मलिक ने कहा कि शहर में कई निर्माण कार्य चल रहे हैं जिसमें सीवर लाइन भी शामिल है। इसका बरेलियंस को लंबे समय से इंतजार भी था, तो मुझे लगता है कि स्मार्ट सिटी के तहत शहर में जल्द ही पिंक टॉयलेट भी बनाए जाएंगे। तभी निशा शर्मा ने कहा कि शहर में नगर निगम जहां पर भी पिंक टायलेट बनवाता है, वहां पर केयर टेकर क्यों नहीं रखता। इस पर सहायक नगर आयुक्त विवेक त्रिपाठी ने जवाब दिया कि पिंक टॉयलेट भी जल्द दिखाई देंगे, ताकि महिलाएं असुरक्षा महसूस न करें।
सिर्फ कागजों में न हो काम
चित्रा जौहरी ने कहा कि महिलाओं के पिंक टायलेट जहां पर भी बने वहां पर भले ही कुछ शुल्क लिया जाए, लेकिन वहां पर केयर टेकर जरूरी है। क्योंकि बगैर केयर टेकर के महिलाओं को प्रॉब्लम होती है। एक तो टॉयलेट साफ नहीं होते हैं तो दूसरे वहां पर जेंट्स भी यूज करते नजर आते हैं। वहीं समाजसेवी दीक्षा सक्सेना ने कहा कि महिलाओं के लिए पिंक टायलेट नहीं होने से मार्केट जाने से पहले सोचती हैं और पानी कम पीकर निकलती हैं ताकि कहीं टॉयलेट न जाना पड़े। तभी समाज सेवी राशि पराशरी ने कहा कि नारी सशक्तिकरण के लिए कई कैंपेन चलें लेकिन इसके लिए महिलाओं के लिए मार्केट में पिंक टायलेट के बारे में नहीं सोचा। सिर्फ कागजों में नहीं बल्कि हकीकत में पिंक टायलेट बनाएं जाए। इस पर सहायक नगर आयुक्त ने कहा कि अब जो भी निर्माण कार्य हो रहा है, वह दिख भी रहा है।
मिशन शक्ति से होता इंक्लूड
मिशन शक्ति की बात करते हुए डॉ। चारु मेहरोत्रा ने कहा कि मिशन शक्ति सरकार की तरफ से छह माह पहले अभियान शुरू किया गया था। इसी अभियान में महिलाओं के लिए पिंक टॉयलेट इंक्लूड होना चाहिए था तो अब तक न जाने कितने पिंक टायलेट बन जाते। दुनिया की आधी आबादी महिलाओं को कहा जाता है हम लोग भी टैक्स देते हैं लेकिन महिलाओं के लिए कोई सुविधा नहीं। महिलाएं सेफ नहीं तो वह स्मार्ट सिटी कैसे बन सकती है। इसके साथ ही बीडीए को कहीं नक्शा पास कराना हो तो जहां कहीं पर भी कमर्शियल बिल्डिंग बने वहां पर एक पिंक टायलेट जरूर बने तभी नक्शा पास होना चाहिए। इस पर सहायक नगर आयुक्त ने नगर निगम पिंक टायलेट का जल्द निर्माण कराएगा।
36 टॉयलेट की दी लिस्ट
सवाल जवाब सेशन में मौजूद व्यापार मंडल के पदाधिकारी राजेश जसोरिया ने कहा कि व्यापार मंडल पिछले तीन से पिंक टायलेट बनवाने की मांग कर रहा है। 36 टायलेट बनवाने के लिए सूची भी दी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने जो पिंक टायलेट का मुद्दा उठाया है वह सराहनीय है, वह इसका सहयोग करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी ऑफिसेस को जितने भी हों वहां पर ही एक पिंक टायलेट बनाया जाए। तभी व्यापार मंडल के पदाधिकारी राजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि हम संजीदा है हमने अध्यन किया है कि बड़ा बाजार कुतुबखाना एरिया में करीब 45 हजार कर्मचारी काम करते हैं। बड़े शोरूम है जिनमें से कई शोरूम तो महिलाएं ही संचालित करती है। इसमें आधे से अधिक महिला कर्मचारी हैं लेकिन टायलेट न होने से 80 परसेंट कर्मचारी यूरिनल के कारण बीमार है। काम करने की इच्छा शक्ति होनी चाहिए नगर निगम को ध्यान देना भी चाहिए।
बड़े शोरूम पर भी बनवांए टायलेट
व्यापारी मनमोहन ने कहा कि मार्केट में जो भी बड़े शोरूम हैं वहां पर भी टायलेट नहीं हैं, ऐसे शोरूम पर तो शॉपिग करने से बचना चाहिए। क्योंकि जब हम पैसे खर्च करके शॉपिंग करते हैं तो इसके बदले में सुविधाएं तो मिले। उन्होंने यह भी कहा कि नगर निगम टायलेट बनवाए, उसकी निगरानी का उस क्षेत्र के व्यापारियों को सौंपे वह उसकी देखरेख करेंगे। वहीं व्यापारी सुनील खत्री ने कहा कि प्रधान मंत्री जी का सपना था कि खुले में शौच मुक्त भारत बने इसका 80 परसेंट असर तो ग्रामीण क्षेत्रों में दिख रहा है। खुद के बारे में बताते हुए कहा कि टायलेट में गंदगी के चलते महिलाएं ही नहीं पुरुषों को भी दिक्कत होती है। उन्हें भी तीन बार यूरिनल इंफेक्शन हो चुका है। नगर निगम को सेंसर वेस्ड टायलेट लगवाने चाहिए ताकि उनके सफाई भी रहे। इस पर सहायक नगर आयुक्त ने भी दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के इस सेशन की सराहना की और पिंक टायलेट बनवाने की प्रक्रिया को अमल में लाने की बात कही।