पीएचडी में पांच साल बाद रजिस्ट्रेशन प्रोसेस होने जा रहा है शुरू
कम सीट्स, नेट-जेआरएफ और रिजर्वेशन के चलते जनरल कैंडीडेट्स को मौका मुश्किल
BAREILLY: पांच वर्षो के लंबे अंतराल के बाद आखिरकार आरयू की पीएचडी में एडमिशन प्रोसेस स्टार्ट होने जा रहा है। लेकिन आरयू के पीएचडी ऑर्डिनेंस पर गौर करें तो कंबाइंड इंट्रेंस टेस्ट (सीईटी) क्लियर करने वाले जनरल कैटेगरी के स्टूडेंट्स को पीएचडी करने का अवसर कम ही मिलेगा। कई सब्जेक्ट्स की सीट्स पर तो उन्हें एडमिशन के लिए कंसीडर ही नहीं किया जाएगा। फिलहाल आरयू सीट्स के गुणा-भाग में जुटा हुआ है। सीट्स फाइनल होने के बाद ही पिक्चर क्लियर होगी। आरयू ने संशोधित ऑर्डिनेंस को सार्वजनिक कर दिया है। रूल्स एंड रेगुलेशंस पर गौर किया जाए तो जनरल स्टूडेंट्स के लिए पीएचडी अभी दूर की कौड़ी नजर आ रही है।
Preference to NET-JRF
यूजीसी रेगुलेशंस 2009 के अनुसार 2012 में पहली बार पीएचडी के लिए सीईटी कंडक्ट कराई गई। नेट और जेआरएफ को लेकर कोई स्थिति साफ नहीं थी। ऐसे में काफी संख्या में नेट और जेआरएफ के स्टूडेंट्स टेस्ट में अपीयर हुए थे, लेकिन आरयू के संशोधित पीएचडी के ऑर्डिनेंस में नेट और जेआरएफ के कैंडीडेट्स को सीईटी से एग्जेम्प्ट कर दिया गया है। वे इंट्रेंस टेस्ट में अपीयर ना होकर रजिस्ट्रेशन के लिए डायरेक्ट अप्लाई कर सकते हैं। इसके साथ ही उन्हें एक और लाभ दिया गया है। पीएचडी में रजिस्ट्रेशन मेरिट के अनुसार होगा, लेकिन इसमें भी नेट और जेआरएफ को प्रिफरेंस दिया जाएगा। रजिस्ट्रेशन के लिए उन्हें पहले कंसीडर किया जाएगा। यूजीसी, सीएसआईआर, आईसीएआर समेत सेंट्रल रेगुलेटरी बॉडीज से फेलोशिप के अवॉर्डेड कैंडीडेट्स को रजिस्ट्रेशन के लिए सीईटी क्लियर कर चुके जनरल कैंडीडेट्स से पहले चांस दिया जाएगा। ऐसे में जनरल कैंडीडेट्स का नम्बर बाद में आएगा।
Reservation भी पीछे ढकेलेगा
फेलोशिप कैंडीडेट्स के बाद रजिस्ट्रेशन प्रोसीजर में रिजर्वेशन पॉलिसी फॉलो करना कंपलसरी है। यहां पर भी वही रिजर्वेशन पॉलिसी का इस्तेमाल किया जाएगा जो स्टेट गवर्नमेंट द्वारा निर्धारित है और जो अन्य कोर्सेज में अप्लाई की जाती है। ऐसे में सीटें रिजर्वेशन पॉलिसी के तहत बंट जाएंगी। इन दोनों वजह से जनरल कैंडीडेट्स रजिस्ट्रेशन के लाइन में काफी पीछे ढकेल दिए जाएंगे।
Seats पहले ही हो चुकी हैं कम
आरयू अभी सीटों का सही ब्यौरा जुटाने में लगा हुआ है, लेकिन यूजीसी ने अपने नए रेगुलेशन में गाइड की सीटें काफी कम कर दी हैं। असिस्टेंट प्रोफेसर ब्, एसोसिएट प्रोफेसर म् और प्रोफेसर 8 से ज्यादा स्टूडेंट्स को एक समय पर पीएचडी नहीं करा सकते। जिनके अंडर में पहले से स्टूडेंट्स हैं उनकी उतनी सीटें कम हो जाएंगी। डिग्री टीचर्स से भी पीएचडी कराने का हक छीन लिया गया है।
कुछ सब्जेक्ट्स में तो मौका ही नहीं
एक तो सीटें पहले से ही कम हो गई हैं। बाकी कसर नेट, जेआरएफ और दूसरे फेलोशिप वाले कैंडीडेट्स पूरी कर देंगे। उपर से रिजर्वेशन पॉलिसी जनरल कैंडीडेट्स की उम्मीदें तोड़ेगी। आरयू के डींस की मानें तो अभी तो सीट्स की पिक्चर क्लियर नहीं हुई है लेकिन ऐसी संभावना है कि कई सब्जेक्ट्स ऐसे होंगे जहां पर सीईटी क्लियर करने वाले जनरल कैंडीडेट्स को रजिस्ट्रेशन कराने का अवसर ही नहीं मिलेगा। उन्हें मन मसोस कर रहना पड़ेगा। रजिस्ट्रेशन की लाइन में वे काफी पीछे छूट जाएंगे।